India vs Australia: तीसरे दिन ही सरेंडर, ये कैसी ऑस्ट्रेलियाई टीम है?
ये बात सही है कि इन बातों से दबाव बनाने की कोशिश या फिर पिच के मिजाज को लेकर रोना-धोना मौजूदा टीम के खिलाड़ियों ने नहीं बल्कि इयन हीली सरीखे पूर्व खिलाड़ियों ने किया। कई पूर्व खिलाड़ियों ने किया। फैंस में संदेश तो यही गया कि ऑस्ट्रेलियाई नाच ना जाने आंगन टेढ़ा वाली बात बिना आंगन पर उतरे ही करने लगने वालों में से है।
दरअसल, ऐसा प्रतीत होता है कि ऑस्ट्रेलिया ने भारत में जीत को हल्के में लिया, उन्हें ये लगा कि अगर वो पाकिस्तान को पाकिस्तान में हरा सकतें है तो भारत को भारत में क्यों नहीं, लेकिन, यही सोच उन्हें अब तड़पाएगी। वो इतिहास भूल गए। 1969-70 में भारत में एक टेस्ट सीरीज जीतने के बाद उन्हें 2004 तक इंतजार करना पड़ा था। 2001 की महानतम ऑस्ट्रेलियाई टीम भी भारत जैसे फाइनल फ्रंटियर के किले को भेदने में नाकाम रही थी।
ऐसे में 2 दशक बाद एक और टेस्ट सीरीज जीतने के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम की सोच और तैयारी और मजबूत होनी चाहिए थी। खासकर, उस मेजबान भारत के खिलाफ जो पिछले 15 सीरीज में घरेलू मैदान पर लागातर जीत हासिल करने का अश्वमेध रथ लिए घूम रहा है।
अगर, ऑस्ट्रेलिया भारत में जीत के लिए बेकरार था तो उन्हें कम से कम दो हफ्ते पहले यहां आना चाहिए था। खुद को स्पिन पिचों पर अभ्यस्त होने का मौका देना चाहिए था। ये कहकर कि हमारे खिलाड़ी तो अक्सर आईपीएल में इन पिचों पर खेलते ही रहते है, बेहद मामूली तर्क है, क्योंकि आईपीएल में पिचें बल्लेबाजों के लिए सपाट होती है। जमकर कोई भी चौके-छक्के मार सकता है, अश्विन और जडेजा के सामने ऐसी पिचों पर रन बनाने के लिए कंगारु तो क्या विराट कोहली और रोहित जैसे भारतीय दिग्गजों को भी परेशानी हो सकती है।
ऐसे में अहम सवाल कि क्या ऑस्ट्रेलिया दिल्ली में पलटवार कर सकता है? ये फिलहाल तो अंसभव ही दिखता है क्योंकि 1987 के बाद से दिल्ली में टीम इंडिया ने कोई भी टेस्ट नहीं गंवाया है। ऑस्ट्रेलिया के लिए मैच जीतने से ज्यादा चुनौती इस बात की होगी वो टेस्ट को चौथे और फिर पांचवे दिन ले जाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।