IIM स्टूडेंट से ‘रिक्शा मैन’ तक का सफर. इरफान ने यूं बदल दी पांच लाख रिक्शेवालों की जिंदगी

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IIM स्टूडेंट से ‘रिक्शा मैन’ तक का सफर. इरफान ने यूं बदल दी पांच लाख रिक्शेवालों की जिंदगी

नई दिल्ली
Irfan Alam News: आईआईएम अहमदाबाद के छात्र इरफान आलम पटना में एक बार रिक्शे में बैठे तो उन्हें बहुत तेज प्यास लगी थी। उन्होंने जब रिक्शेवाले से पानी के लिए पूछा तो रिक्शेवाले ने कहा कि उनके पास पानी नहीं है। इसके बाद इरफान आलम को सबसे वंचित तबके के लोगों के लिए कुछ करने का ख्याल आया। भारत में शहरी क्षेत्रों की नियमित यात्रा में 30 प्रतिशत योगदान रिक्‍शा का है।इरफ़ान को यह लगा कि अगर किसी रिक्शे में पानी,अखबार जैसी सुविधाएं हों तो इससे लोगों को काफी मदद मिल सकती है।

उसके बाद साल 2007 में उन्होंने 300 रिक्शे को मॉडर्न बनाकर उसमें मैगजीन, न्यूज़पेपर, म्यूजिक, विज्ञापन, रिफ्रेशमेंट, पानी आदि की सुविधा उपलब्ध करवाई। इस इनोवेटिव और मॉडर्न सोच के लिए लोगों को ने इरफान को रिक्शा मैन फ्रॉम बिहार का टाइटल दे दिया।

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तीन इजीनियर के साथ डिजाइन
बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय में जन्मे इरफान आलम ने अपने मॉडर्न सोच से रिक्शा चालकों को एंपावर्ड किया। कई मूल्य वर्धित सेवाओं के साथ भारत में पहली प्रीपेड रिक्शा की शुरुआत का श्रेय भी इरफान आलम को ही जाता है। इरफान आलम ने रिक्शे को मॉडर्न डिजाइन देने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से लोन लेकर 3 इंजीनियरों के साथ मिलकर रिक्शे का नया डिजाइन बनाया।

पांच लाख रिक्शा जुड़े
इरफान के इस उपक्रम सम्मान फाउंडेशन से अब देश भर के 5,00,000 से अधिक रिक्शा चालक जुड़े हुए हैं। इरफान आलम की इस पहल को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साल 2010 में सम्मानित किया। अमेरिका के वाइट हाउस में युवा उद्यमियों के शिखर सम्मेलन की बैठक के लिए इरफान आलम को बुलाया गया।

मॉडर्न रिक्शे में हर चीज उपलब्ध

इरफान ने जिन तीन इंजीनियर के साथ मिलकर रिक्शे को डिजाइन किया उसमें पानी, न्यूज़पेपर, बिस्किट, मोबाइल चार्जिंग फैसिलिटी के साथ सवारी के लिए इंश्योरेंस कवर, सीट बेल्ट, फर्स्ट एड किट और रेडियो सेट आदि भी उपलब्ध हैं। इसके लिए ग्राहकों को कोई अतिरिक्त रकम चुकाने की जरूरत भी नहीं थी।

बदलाव का जज्बा
साल 2009 में अपने अभियान की शुरुआत करने वाले इरफान आलम सिर्फ 27 साल के थे। वह आम समझी जाने वाली चीजों में बदलाव करना चाहते थे। वह रिक्शा चालकों के साथ उस पर बैठने वाली सवारी के अनुभव को भी बेहतर बनाना चाहते थे। उन्होंने तीन पहिए वाले परंपरागत साइकिल रिक्शा को लाल पीले रंग का स्टाइलिश अधिक जगह वाला और आराम देह सीट वाला व्हीकल बना दिया।

रिक्शा चालक के लिए भी आसान
इस मॉडर्न रिक्शे में शॉक ऑब्जर्वर और गियर सिस्टम लगाकर रिक्शा चालकों के लिए इसे चलाना आसान बनाने की पहल की गई। पहले जहां परंपरागत रिक्शे का वजन 125 किलो होता था, इरफान के इस अभियान के बाद रिक्शे का वजन घटकर सिर्फ 70 किलो रह गया। इरफान ने फाइबर से रिक्शा बनाने की शुरुआत की।

रिक्शे पर विज्ञापन
उन्होंने अपने आईआईएम अहमदाबाद के अनुभव को प्रोडक्ट बेचने और इन रिक्शा पर विज्ञापन करने के काम में भी इस्तेमाल किया। उनके अभियान में शामिल रिक्शा चालक पहले की तुलना में 40% अधिक पैसे कमाते हैं। साल 2007 में सम्मान फाउंडेशन की शुरुआत करने वाले इरफान आलम ने कहा, “रिक्शा इंडस्ट्रीज करने के रूप में हमें एक बड़ा मौका दिखा और हमने इसका फायदा उठाकर इसे संगठित कारोबार का रूप देने की कोशिश की। हमारी कोशिश यह है कि रिक्शा उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति के लिए बेहतर लाइफ और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित किया जाए।”

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