Hit And Run Case: उलझी मौत की गुत्थी, पत्नी का सवाल-सीसीटीवी फुटेज होने के बावजूद गिरफ्त में क्यों नहीं आए आरोपी

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Hit And Run Case: उलझी मौत की गुत्थी, पत्नी का सवाल-सीसीटीवी फुटेज होने के बावजूद गिरफ्त में क्यों नहीं आए आरोपी

नई दिल्ली/ द्वारका : नजफगढ़ में 20 फरवरी की सुबह हुए दर्दनाक हादसे में सरकारी डॉक्टर और टेक्निशियन की मौत (Hit And Run Case) के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। एक तरफ जहां परिजन इलाज में लापरवाही की शिकायतें कर रहे हैं, वहीं आरोपी कार चालक सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बावजूद पुलिस गिरफ्त से बाहर है। इस हादसे में डॉ. राजीव रंजन की मौत हो गई थी। उनका तीन साल का मासूस बेटा घंटी बजते ही दरवाजे की तरफ यह कहते हुए दौड़ता है कि पापा आ गए। लेकिन, जब देखता है कि पापा नहीं हैं, तो यह बोलकर मायूस हो जाता है कि पापा काम में बिजी हैं।

मां के लिए मासूम को समझाना मुश्किल
मां डॉ. रश्मि समझ नहीं पा रहीं कि वह इस मासूस को कैसे समझाएं कि पापा अब कभी वापस नहीं आएंगे। डॉ. रश्मि के अनुसार, दादा देव अस्पताल में काम करते हुए उनके पति को कभी-कभार प्राइवेट मेडिकल कॉल में भी जाना पड़ता था। 19 फरवरी को टेक्निशियन मनीष ने फोन कर डॉ. राजीव को 20 फरवरी की एक प्राइवेट कॉल के बारे में बताया। डॉक्टर राजीव ने हामी भर दी। डॉ. रश्मि ने बताया कि उन्हें बहुत अधिक दूर नहीं जाना था, इसलिए मेट्रो से जाने लगे। सुबह करीब 10:15 बजे डॉ. राजीव ने रश्मि को वॉट्सऐप मेसेज भी किया और बताया कि दोनों ने नाश्ता साथ में कर लिया है। इसके करीब एक घंटे बाद उन्हें फोन पर सूचना मिली कि उनका एक्सिडेंट हो गया है।

हादसे की सूचना मिलते ही डॉ. रश्मि अस्पताल पहुंचीं। उनके पहुंचने के बाद ही एंबुलेंस अस्पताल पहुंची। उन्होंने खुद अपने पति की नब्ज चेक की और उन्हें इलाज देने की कोशिश की। रश्मि के अनुसार, 25 फरवरी को उनकी शादी के दस साल पूरे हो रहे थे, तो दोनों काफी खुश थे। लेकिन, पांच दिन पहले ही हादसा हो गया। उन्होंने कहा कि घटना का सीसीटीवी फुटेज भी है, लेकिन इतने दिन बीत जाते के बाद भी आरोपी कार चालक गिरफ्तार नहीं हुआ है।

परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
वहीं, टेक्निशियन मनीष के परिजनों ने इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उन्होंने द्वारका नॉर्थ पुलिस थाने के अलावा स्वास्थ्य मंत्री से भी लिखित शिकायत की है। परिजनों के अनुसार, एक्सिडेंट के आठ घंटे बाद तक मनीष के वाइटल्स ठीक थे। उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हादसे के बाद तीन घंटे तक वह परिजनों से बात कर रहे थे। डॉक्टर ने उनकी सर्जरी करने की बात कही, लेकिन परिजन डॉक्टरों का इंतजार ही करते रहे। मनीष के परिजनों ने शिकायत में लिखा है कि उन्हें इंटरनल ब्लीडिंग थी और उनके शरीर पर बाहरी चोट नहीं थे। मनीष अपने पीछे दो बच्चों को छोड़ गए हैं।

मनीष ने मौत से पहले अपने बयान में पुलिस को बताया था कि वह डॉ. राजीव के साथ 20 फरवरी को नजफगढ़ में एक मेडिकल कॉल पर जा रहे थे। इसी दौरान मनीष जैसे ही बाइक से नजफगढ़ मेट्रो स्टेशन के पास पहुंचे तो एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें पीछे से जोरदार टक्कर मारी और डॉ. राजीव को कुचलते हुए फरार हो गई।

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