HAM को छोटी दुकान बताने वाले ललन सिंह को जीतन मांझी का जवाब, कहा- खरीद-फरोख्त में वो लोग विश्वास करते हैं, हम नहीं

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HAM को छोटी दुकान बताने वाले ललन सिंह को जीतन मांझी का जवाब, कहा- खरीद-फरोख्त में वो लोग विश्वास करते हैं, हम नहीं

HAM को छोटी दुकान बताने वाले ललन सिंह को जीतन मांझी का जवाब, कहा- खरीद-फरोख्त में वो लोग विश्वास करते हैं, हम नहीं

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जेडीयू अध्यक्ष ललन के छोटी दुकान वाले बयान पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जवाब देते हुए कहा कि ये तो सब लोग जानते हैं कि दुकान का मतलब क्या होता है, जहां खरीद-फरोख्त होती है। वो लोग इसी पर विश्वास करते हैं, और यही किया भी है। लेकिन हमारी पार्टी दुकान नहीं है, जहां खरीद-फरोख्त होती हो। ललन सिंह का हम सम्मान करते हैं, लेकिन उनकी इस बात का अर्थ क्या है मुझे इससे कोई मतलब नहीं है। 

नाक के ऊपर चला गया पानी- मांझी

जेडीयू में पार्टी को मर्ज करने की बात पर मांझी ने कहा कि अब पानी नाक के ऊपर चला गया था, जिसके चलते हमे ये निर्णय लेना पड़ा। इस पर पार्टी के सभी लोगों का एक मत था कि किसी भी पार्टी के साथ मर्ज नहीं करेंगे। इसके बाद संतोष मांझी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हम लोग स्वतंत्र होकर काम करेंगे चाहे चुनाव का मामला हो या संघर्ष का मामला हो। 

हमारे निर्णयों को तोड़ा-मरोड़ा गया

नीतीश कुमार को घेरते हुए जीतन मांझी ने कहा कि हमने सीएम रहते हुए जनता के हित में 34 निर्णय लिए। और उसे पूरा करने के लिए हिन्दुस्तानी आवामा मोर्टा सेक्युलर का गठन हुआ। हमारे जो भी निर्णय थे उन्हें तोड़-मरोड़ कर कुछ काम किए गए, और कुछ काम नहीं किए गए। जिसके लिए जनता को जवाब हमें देना पड़ता है। 

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6 महीने और मुख्यमंत्री रह सकता था

यही नहीं जीतन मांझी ने कहा कि 9 महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद हमे बेमतलब हटाया गया। हम 6 महीने और सीएम रह सकते थे। शरद यादव को आगे करके हमसे इस्तीफा ले लिया गया। जब हम त्याग पत्र लेकर राज्यपाल के पास गए थे, तब मेरी जेब में उस वक्त एक और लेटर था कि विधानसभा को भंग करवा दूं, लेकिन मैं राज्यपाल के पास जाकर ऐसा नहीं कर सका और इस्तीफा दे दिया। अगर मैं विधानसभा भंग करवाता तो छह महीने तो मुझे कार्यवाहक के रूप में मुख्यमंत्री से कोई नहीं हटा सकता था। लेकिन मैंने ऐसा किया नहीं। 

महागठबंधन से अलग जीतन मांझी                                                                                           मांझी ने कहा कि उन्होंने मरते दम तक नीतीश कुमार के साथ रहने की कसम खायी थी। इस कसम का कुछ लोगों ने उलटा मतलब निकाल लिया। उनकी पार्टी का जदयू में विलय करने का दबाव दिया जाने लगा। नीतीश कुमार ने यह कहकर कि पार्टी का विलय किजीए या निकल जाइए, उनकी कसम को तोड़ दिया। उचित मान-सम्मान व हिस्सेदारी नहीं मिलने के कारण उन्होंने सरकार से अलग होने का फैसला किया है। पार्टी का संगठन मजबूत है। आगामी चुनावों में पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरेगी।

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