Glass Balls on Moon: चंद्रमा की सतह पर कहां से आईं कांच की गोलियां? चीनी रोवर Yutu-2 की खोज से वैज्ञानिक भी हैरान

209

Glass Balls on Moon: चंद्रमा की सतह पर कहां से आईं कांच की गोलियां? चीनी रोवर Yutu-2 की खोज से वैज्ञानिक भी हैरान

बीजिंग: चंद्रमा पर चीन के YUTU-2 रोवर ने एक अजीबोगरीब आकृतियों की खोज (Strange Discoveries on Moon) की है। यह आकृतियां दूर से देखने में किसी चमकदार पारदर्शी कांच की गेंद (Glass Balls on the Moon) की तरह दिखाई दे रही हैं। ये गेंदें (Lunar Pearls) चंद्रमा की मटमैली सतह पर चमकती हुई नजर आ रही है। हालांकि, ये सभी युतु रोवर से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित हैं। ऐसे में पास जाने पर ही इसकी सत्यता की पुष्टि हो सकती है। इससे पहले भी युतु रोवर ने चंद्रमा की सतह पर झोपड़ी जैसी एक आकृति कि खोज की थी। बाद में पता चला था कि वह एक पत्थर था, जो चंद्रमा के वातावरण के कारण रोवर के कैमरे में किसी झोपड़ी की तरह दिखा था।

15 से 25 मिलीमीटर की हैं ये गोलियां
चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इस खोज को साइंस बुलेटिन नाम की मैगजीन में प्रकाशित किया है। इसमें अनुमान लगाया गया है कि ये कांच के गोले क्या हो सकते हैं। चंद्र मोतियों की तरह दिखाई देने वाली कांच की ये गेंदें आकार में 15 से 25 मिलीमीटर मापी गई हैं। चीन के युतु-2 ने इन दो तस्वीरों के अलावा इसी की तरह नजर आने वाली चार अन्य वस्तुओं का पता लगाया है। हालांकि, इन तस्वीरों के आधार पर वैज्ञानिक इन वस्तुओं की पहचान नहीं कर सके हैं। ऐसे में अगले कुछ दिनों में रोवर को इन आकृतियों में से किसी एक के पास लेकर जाया जाएगा। जिसके बाद इनकी सत्यता की पुष्टि हो सकेगी।

चंद्रमा पर मौजूद थे सक्रिय ज्वालामुखी! 40 साल बाद धरती पर सैंपल लेकर आया चीन
चंद्रमा पर कैसे आईं कांच की गेंदें
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कांच की गेंद की तरह नजर आने वाली ये आकृतियां तब बनी होंगी, जब कोई उल्कापिंड चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा। इससे चंद्रमा की कुछ सतह गर्म होकर कांच में बदल गई होगी। इसके अलावा वैज्ञानिकों का यह अनुमान भी है कि चंद्रमा पर सक्रिय प्राचीन ज्वालामुखी से किसी ज्वालामुखी कांच का निर्माण हो सकता है, जो अब भी चंद्रमा की सतह पर मौजूद है। उन्होंने बताया कि ज्वालामुखी की गर्मी से सिलिकेट तरल के रूप में बाहर निकला होगा और लुढ़कने से गोल आकृति का हो गया होगा। तेजी से ठंडा होने के कारण यह सिलिकेट कांच में बदल गया होगा।

navbharat times -चंद्रमा पर दिखी ‘रहस्यमय’ झोपड़ी, चीनी रोवर Yutu-2 की खोज से वैज्ञानिक भी हैरान
चंद्रमा के क्रेटर के पास मिली यें गोलियां
हालांकि, चंद्रमा पर आज कोई सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद नहीं है। अधिकांश ज्वालामुखी विस्फोट हजारों साल पहले हुए हैं। चंद्रमा की सतह पर पहला ज्वालामुखी विस्फोट लगभग 4.2 अरब साल पहले हुआ था। कांच के गोले चंद्रमा की सतह पर किसी उल्कापिंड के टकराने से बने क्रेटर के पास देखे गए हैं। ऐसे में एक संभावना यह है कि इस टक्कर के परिणामस्वरूप कांच के गोले का निर्माण हुआ हो। वहीं, दूसरी संभावना है कि इस टक्कर के कारण चंद्रमा की सतह के नीचे दफन कांच का यह गोला ऊपर निकलकर आ गया हो।

navbharat times -चंद्रमा से लाई गई मिट्टी की जांच कर रहा चीन, बोला- हमें ज्वालामुखी की सक्रियता से जुड़े सुराग मिले
चंद्रमा की सतह पर पहले भी मिल चुकी हैं कांच की गोलियां
यह पहली बार नहीं है जब चांद पर शीशा खोजा गया है। अपोलो 16 मिशन के दौरान, अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा के डेसकार्टेस हाइलैंड्स में कांच के छोटे मोतियों को इकट्ठा किया था। कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कांच के मोतियों में पानी के अणुओं के निशान थे और वे चंद्रमा पर ज्वालामुखियों के फटने के बाद बनते थे। इनमें छोटी बूंदें अंतरिक्ष के निर्वात में ठंडी होकर कांच में बदल जाती थीं, जो हल्की होने के कारण सतह पर लुढ़कती रहती थीं। हालांकि, अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों के खोजे गए अधिकांश कांच के मोती युतु-2 रोवर की वर्तमान खोज से काफी छोटी थीं।



Source link