नई दिल्ली: देश का अन्नदाता एक बार फिर से परेशान है. जिसके कारण उसने आज यानी 1 जून से पंजाब और मध्य प्रदेश समेत देश के 22 राज्यों में अपनी मांग को लेकर 10 दिन तक राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है. इस आंदोलन को लेकर देशभर के किसान एकजुट हो चुके है.
क्या है हड़ताल का कारण
आपको बता दें कि किसान यूनियन ने केंद्र सरकार से मांग की थी कि वह कर्ज को माफ करें और फसल उत्पादन को बढ़े. छोटे किसान या फिर किसी अन्य की भूमि पर खेती करने वाले किसानों की आय मासिक तौर पर निर्धारित होनी चाहिए. किसान संगठन के नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन 10 जून तक चलेगा. अगर सरकार ने उनकी मांग को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया तो इसको आगे भी बढ़ाया जा सकता है. कई राज्य में किसानों की इस हड़ताल की वजह से सब्जियों, दूध और अनाज जैसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति बंद करवा दी है. इस किल्लत का सामना देशवासियों को कुछ समय तक करना पड़ सकता है.
हड़ताल से निपटने के लिए प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा व्यवस्था
बता दें कि साल 2017 में भी किसानों ने सरकार से अपनी मांग के लिए आंदोलन किया था. उस वक्त हालात काफी खराब देखने को मिले थे. जिस दौरान उस समय के किसान आंदोलन से सबक लेते हुए प्रशासन ने इस बार सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पहले से ही तैयारी कर ली है. मध्यप्रदेश के आईजी मकरंद देउस्कर ने कहा कि किसान यूनियन से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरीके से तैयार है. 35 जिलों में सभी पुलिस वालों को 10 हजार लाठियों के साथ हेलमेट, चेस्टगार्ड प्रदान किये गए है. 100 से ज्यादा पुलिस वाहनों को भेजा गया.
मंदसौर में हाई अलर्ट
जानकारी के अनुसार, मंदसौर गोली कांड की बरसी 6 जून को है. इसी दिन कांग्रेस मंदसौर में मेगा रैली को संबोधित करती नजर आएगी. इसे रैली का हिस्सा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी होगें. और आज से किसान आंदोलन को मध्य नजर रखकर सरकार ने मंदसौर में धारा 144 लगाने के अलावा आसपास के इलाकों में सोशल मीडिया पर भी बंदिश लगा दी गई है. इस क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए रिजर्व पुलिस फोर्स की पांच अतिरिक्त कंपनियों को तैनात किया गया है. यह पर दो सौ से अधिक CCTV कैमरे तक लगाए गए है.
किसान हड़ताल को राजनीत का मंच नहीं बनने देंगे
किसान संगठन के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने कहा कि यह हड़ताल अन्नदाता की मांग को लेकर है. हम पूरी कोशिश करेंगे कि इसे राजनीतिक दलों का मंच न बने. अगर इस दौरान कोई नेता किसान के पक्ष में आता है तो उसका हार्दिक स्वागत है. हम चाहते हैं कि किसान आंदोलन में राजनीति नहीं की जाए.