सरकारी अनाज की कालाबाजारी रोकने को होगी पात्र गृहस्थियों के नाम की जांच

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राशन में पारदर्शिता के लिए सरकार की नई योजना, धरे जाएंगे अपात्र कार्डधारक जो नाम आधार में फीड हैं, वह सही है कि नहीं, इसके लिए होगी आधार सीङ्क्षडग राशन में पारदर्शिता के लिए सरकार नए कदम उठा रही है। पहले कार्डधारकों को आधार से ङ्क्षलक किया गया तो वहीं ई-पोस मशीन से राशन वितरण शुरू कराया गया। अब पात्र गृहस्थियों के नाम की भी चेङ्क्षकग होगी। जो नाम आधार में फीड हैं, वह सही है कि नहीं, इसके लिए आधार सीोडग होगी। राजधानी में 22 लाख 76 हजार से अधिक यूनिट के लिए लगभग 14 लाख नामों की सीङ्क्षडग होगी। वहीं शासन स्तर पर हर दिन 13 हजार 774 नामों की सीङ्क्षडग का फरमान जारी हुआ है। 19 मार्च 2019 तक इस प्रक्रिया को पूरा करना है।

अभी तक राशन कार्डधारकों को आधार ङ्क्षलक किया गया था तो कार्डधारकों की पहचान में सहूलियत रहती थी। वहीं अपात्रों का भी इसी से ढूंढ निकाला जाता था। राशन कोटेदारों पर नकेल कसने के लिए ई-पोस मशीन कोटे में लगा दी गई। इन सब के बाद भी राशन में धांधली की शिकायत आ रही है। इस पर शासन ने आधार सीङ्क्षडग का निर्णय लिया है। अब उसी नाम पर राशन मिलेगा जिसका नाम आधार कार्ड में बिल्कूल सही होगा। ई-पोस में इसी के अनुरूप कार्डधारकों के नाम फीड किए जा रहे हैं। नाम में यदि एक स्पेङ्क्षलग की भी चूक हुई या वह गलत है तो राशन कार्डधारक को राशन नहीं मिलेगा। पांच दिसंबर को हुई समीक्षा बैठक में शासन स्तर पर ये निर्णय लिया गया था कि 19 मार्च 2019 तक हर हाल में इस काम पूरा करना है। आदेश के बाद राजधानी का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया गया है।

Examination of names of eligible household members to prevent black marketing of government grains in up 1 news4social -

क्या कहते हैं अधिकारी

डीएसओ मो. आमिर ने बताया कि शासन ने आधार सीोडग के लक्ष्य को 19 मार्च 2019 तक पूरे करने का निर्देश दिया है। इस प्रक्रिया के जरिए इन नामों को ठीक कराया जा रहा है जिनकी स्पेङ्क्षलग व पता यूआइडी के अंतरगत सही नहीं है। असल में नए निर्दश के अनुसार ईपोस में जो भी नाम फीड होगा इसकी स्पेङ्क्षलग बिल्कुल सही होनी चाहिए, नहीं तो राशन नहीं मिलेगा। मशीन अंगूठे या अंगुली के निशान को पंच नहीं करेगी।

हर जगह डाल रहे अनाज पर डाका

दरअसल राशन की कालाबाजारी से शहर भी अछूता नहीं है। यहियागंज, वजीरगंज के लोगों ने बताया कि इलाक की दुकानें कम खुलती हैं। जब यहां पर वितरण होता है तो काफी देर इंतजार करना पड़ता है। कभी-कभी गेंहूं भी कम मिलता है। इसके अलावा कुछ लोगों ने नए कार्डो पर भी राशन वितरण में कोटेदारों पर अपनी मर्जी चलाने का आरोप लगाया।

मशीनें लगीं, लेकिन वितरण में खेल

शहर में राशन वितरण के लिए मशीनें लग गई हैए इसलिए अब शहर में प्रतिमाह पांच से 20 तारीख के बीच वितरण होना चाहिए, लेकिन कुछ कोटेदार अभी भी पुरानी व्यवस्था रोस्टर के अनुसार वितरण कर रहे हैं। इस संबंध में पूर्ति विभाग के अफसरों ने बताया कि मशीनों से वितरण होने से अब निरीक्षण की व्यवस्था है, लेकिन माह के अंत में जब दुकानों पर आधार से राशन नहीं पा सके लोगों को वितरण होता है। तब अफसर मौजूद रहते हैं। लोगों ने यह कहा पांच यूनिट का कार्ड है। गेंहू 15 किलो मिलता है, लेकिन चावल कम मिलता है। कोटा डीलर जितने पैसे बोलते हैं। वह दे देते हैं।