Elections 2022 : राष्‍ट्रपति चुनाव पर दिखेगा 10 मार्च के नतीजों का असर, जानें 5 राज्‍यों में चुनाव कितने अहम

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Elections 2022 : राष्‍ट्रपति चुनाव पर दिखेगा 10 मार्च के नतीजों का असर, जानें 5 राज्‍यों में चुनाव कितने अहम

हाइलाइट्स

  • पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम का ऐलान, 10 मार्च को नतीजे
  • चार में बीजेपी सत्‍ता में, पंजाब में कांग्रेस के आगे सत्‍ता बचाने की चुनौती
  • 690 विधायक चुने जाएंगे जो राष्‍ट्रपति चुनाव पर डालेंगे सीधा असर
  • राज्‍यसभा की 19 सीटों का भविष्‍य भी तय करेंगे ये चुनाव, नतीजे बेहद अहम

उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 10 मार्च को पता चल जाएगा कि 2024 से पहले सत्ता के सेमिफाइनल के बाद देश की सियासत किस दिशा में मुड़ती दिख रही है। इतना तय है कि इन पांच राज्यों के चुनाव के असर तात्कालिक से लेकर दूरगामी तक होंगे। देश की सियासत पर भी असर देखने को मिलेगा। इस चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष की साख दांव पर रहेगी। जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उनमें चार में बीजेपी सत्ता में है जबकि पंजाब में कांग्रेस सरकार में है। देश की राजनीति को चुनाव नतीजे इन पांच मोर्चों पर तुरंत प्रभावित कर सकते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव पर सीधा असर
चुनाव नतीजों का सबसे पहला असर इस साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा। 5 राज्‍यों में कुल 690 विधायक चुने जाने हैं। साथ ही इन चुनावों से 19 राज्‍यसभा सीटों का गणित भी साफ होगा। पांच में से तीन राज्‍यों की 19 सीटें खाली होने वाली हैं। चूंकि विधायक और सांसद मिलकर इलेक्‍टोरल कॉलेज बनाते हैं जो राष्‍ट्रपति के चुनाव में हिस्‍सा लेते हैं।

अगर पांच राज्यों के परिणाम पिछली बार की तरह आए तब तो सत्तारूढ़ बीजेपी अपनी पसंद का राष्ट्रपति आसानी से चुन लेगी, लेकिन अगर उलटफेर हुए या नजदीकी मामले भी रहे तो बीजेपी को इस बार दिक्कत हो सकती है। क्योंकि पिछले कुछ सालों से बीजेपी का तमाम विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। कई बड़े राज्यों में बीजेपी के पास विधायकों के नंबर नहीं है।

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राज्यसभा का समीकरण बदलेगा
इसी साल राज्यसभा की सूरत भी बदलेगी। इस जुलाई तक राज्यसभा की 73 सीटों पर चुनाव होंगे। यानी कि एक तिहाई सीटों पर चुनाव होंगे। जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उस हिसाब से कांग्रेस और विपक्षी दलों को इस बार बीजेपी के सामने हल्की बढ़त मिल सकती है। ऐसें में इन पांच राज्यों के परिणाम संसद के ऊपरी सदन की तस्वीर तय करेगी। बीजेपी के लिए राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार चुनने के अलावा राज्यसभा में भी दबदबा बनाए रखने के लिए इन पांच राज्यों में पुराना प्रदर्शन दोहराने का दबाव होगा। वहीं विपक्ष यहीं से बीजेपी को कमजोर करना चाहेगा।

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बीजेपी के लिए 2024 से पहले संदेश देने की कोशिश
2019 में आम चुनाव में बड़ी जीत मिलने के बाद से बीजेपी अलग-अलग मोर्चों पर संकट में रही है। चाहे गवर्नेंस का मसला हो या सियासत की पिच, बीजेपी के लिए उतार-चढ़ाव भरे संकेत रहे हैं। ऐसे में 2022 की शुरुआत में होने वाले इस चुनाव से बीजेपी दिखाना चाहेगी कि अब भी देश की राजनीति केंद्र में है और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पार्टी 2024 से पहले स्वाभाविक अडवांटेज के रूप में अपनी शुरुआत करेगी।

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क्षेत्रीय ताकतों की हसरतों का भी लिटमस टेस्ट
पांच राज्यों के नतीजे क्षेत्रीय ताकतों की विस्तारवादी हसरतों की हकीकत दिखाएंगे। आम आदमी पार्टी पंजाब के अलावा गोवा और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में भी उतरी है तो टीएमसी गोवा में किस्मत आजमाएगी। अगर अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की पार्टी ने अपनी छाप छोड़ दी तो उसका असर देश की राजनीति पर देखने को मिल सकता है। लेकिन अगर वे कुछ उल्लेखनीय करने में विफल रहे तो उन पर भी सवाल उठेंगे।

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कांग्रेस का नेतृत्व मसला और गुटबाजी की दिशा
पांच राज्यों के चुनाव का सबसे अधिक असर कांग्रेस पर भी देखा जा सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के अंदरूनी गणित और गांधी परिवार के प्रभुत्व के लिए यह चुनाव 2019 आम चुनाव से भी अधिक महत्व भरा है। अगर कांग्रेस के लिए इस बार अपेक्षित परिणाम नहीं आए तो पार्टी के अंदर बड़ी बगावत देखने को मिल सकती है। तय कार्यक्रम के अनुसार पार्टी में इस साल जून में नए अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। चुनाव परिणाम तय करेगा कि कांग्रेस पर गांधी परिवार की पकड़ कमजोर हुई है या अभी पार्टी उनके नियंत्रण में है।

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फिलहाल चुनावी रैलियों पर पाबंदी (फाइल)



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