DTC और कलस्टर बसों में लगे पैनिक बटन नहीं करते काम, देखें ACB को जांच में क्या मिला गड़बड़झाला

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DTC और कलस्टर बसों में लगे पैनिक बटन नहीं करते काम, देखें ACB को जांच में क्या मिला गड़बड़झाला

DTC और कलस्टर बसों में लगे पैनिक बटन नहीं करते काम, देखें ACB को जांच में क्या मिला गड़बड़झाला

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर बसों में पैनिक बटन व अन्य उपकरण को लेकर दिल्ली एंटी करप्शन ब्रांच की जांच से कई गड़बड़ियों को खुलासा हुआ है। एसीबी अफसर के मुताबिक, हमने टीम के जरिए बसों में सर्वे कराया। इसके बाद ऑडिट में कई खामियां पाईं गईं। जिसकी जांच जारी है। अब तक की अपनी जांच के नतीजों के आधार पर एंटी करप्शन ब्रांच ने दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय के सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज करके ट्रांसपोर्ट विभाग के डिप्टी कमिश्नर व अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति मांगी है।

कंट्रोल रूम में नहीं मिली कोई टीम

एसीबी के मुताबिक, 15 जून को पैनिक बटन घोटाले की न्यूज क्लिपिंग वाली एक शिकायत मिली थी। इस मामले की तफ्तीश के लिए एक टीम बनाई। इसके बाद यह टीम आईएसबीटी, कश्मीरी गेट स्थित पैनिक बटन के कंट्रोल एंड कमांड रूम पर पहुंची। जांच के दौरान दो लोग मिले। जिन्होंने बताया कि वे ओखला फेज-2 स्थित मेसर्स एमएपीएल (मिलेनियम ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड) के कर्मचारी हैं। जांच के दौरान पता चला कि जनवरी 2020 में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और डीटीसी ने एक कंपनी से 5 साल के लिए दिल्ली में चलने वाली डीटीसी और क्लस्टर बसों में सीसीटीवी, जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन की निगरानी के लिए एग्रीमेंट किया। इसके बाद अक्टूबर 2020 में एक अन्य कंपनी के साथ एग्रीमेंट हुआ। प्रोजेक्ट के मुताबिक, हर डीटीसी और क्लस्टर बस में 2 वायरलेस वॉकी-टॉकी, 3 सीसीटीवी, 1 जीपीएस सिस्टम और 10 पैनिक बटन लगाए जाने थे। फिलहाल 4500 बसें (3391-डीटीसी बसें और 1109-क्लस्टर बसें) इन उपकरणों से लैस हैं और इनका संचालन मेसर्स एमएपीएल द्वारा बनाए रखा और संचालित किया जा रहा है।

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पैनिक बटन कंट्रोल रूम नेटवर्क से कनेक्ट नहीं

पैनिक बटन लगाने का मकसद आपात स्थिति में बस में सवार यात्री उसे दबाकर अलर्ट कर सकता है। इसके बाद पैनिक बटन का इंडिकेशन बस के ड्राइवर/कंडक्टर और साथ ही कश्मीरी गेट स्थित कंट्रोल एंड कमांड रूम तक पहुंच जाएगा। मगर एसीबी टीम की जांच कई खामियां उजागर हुई। अधिकांश बसों में कंट्रोल रूम की नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं है। जांच में यह भी सामने आया कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद से कंट्रोल और कमांड रूम में पैनिक बटन से जुड़ी एक भी शिकायत दर्ज नहीं थी। यह यकीन कर पाना मुश्किल है कि बसों में यात्रा करने वाले किसी भी शख्स ने पैनिक बटन दबाकर मदद न मांगी हो। फिलहाल एसीबी का कहना है जांच जारी है।

BJP ने दिल्ली सरकार पर साधा निशाना


दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के अनुसार पैनिक बटन लगाने के लिए अक्टूबर, 2020 में एक कंपनी के साथ अग्रीमेंट किया गया। हर बस के लिए मेंटिनेंस कॉस्ट 3000 रुपये है। इस तरह से 4500 डीटीसी व क्लस्टर बसों में लगे पैनिक बटन का मेंटिनेंस कॉस्ट हर महीने एक करोड़ 35 लाख रुपये वसूल किए जा रहे हैं। इस तरह से पिछले 5 साल में करीब 800 करोड़ रुपये वसूल किए गए। एसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पांच साल के दौरान पैनिक बटन से ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के कंट्रोल व कमांड सेंटर में कोई कंप्लेंट ही दर्ज नहीं हो पाई। इसे लेकर नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि पांच रुपये के प्लास्टिक बटन लगाकर गुमराह किया जा रहा है। दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल एलजी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेगा। साथ ही बीजेपी नेताओं ने ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत के इस्तीफे की भी मांग की।

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बसों में सभी सुरक्षा उपाय मौजूदः आप

इस मामले पर दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा है कि एसीबी की ओर से किए जा रहे किसी भी औपचारिक ऑडिट के बारे में दिल्ली सरकार को कोई जानकारी नहीं है। सरकार को यह भी नहीं पता कि ऑडिट करते समय उचित टेक्निकल प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा था कि नहीं या ऑडिट करने वाले व्यक्ति तकनीकी रूप से इस काम के लिए सक्षम थे या नहीं? सरकार का दावा है कि ऑडिट के किसी भी निष्कर्ष के संबंध में दिल्ली सरकार के अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया या इनपुट नहीं मांगा गया, जबकि उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपने से पहले यह आवश्यक था। दिल्ली सरकार ने तमाम आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। बसों में सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय मौजूद हैं और वो प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं। कश्मीरी गेट स्थित कमांड एंड कंट्रोल सेंटर ने डीटीसी और क्लस्टर बसों में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों, खासकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसे दिल्ली पुलिस के हेल्पलाइन नंबर 112 के साथ भी इंटिग्रेट किया गया है और एपीआई के माध्यम से दिल्ली पुलिस को भी फीड मिल रही है। सभी बसें सीसीटीवी कैमरे, पैनिक बटन और जीपीएस सिस्टम से लैस हैं। चौबीसों घंटे चलने वाला कमांड और कंट्रोल सेंटर लाइव फीड के माध्यम से ओवर स्पीडिंग और यात्रियों और बस के स्टाफ के बीच हुए किसी भी विवाद की शिकायत मिलने पर अपनी रिपोर्ट देता है।

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