Crocodile on Rail Track: वडोदरा-मुंबई के बीच ट्रैक पर पड़ा था घायल मगरमच्छ, रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 25 मिनट रोकी गई राजधानी एक्सप्रेस

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Crocodile on Rail Track: वडोदरा-मुंबई के बीच ट्रैक पर पड़ा था घायल मगरमच्छ, रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 25 मिनट रोकी गई राजधानी एक्सप्रेस

हाइलाइट्स

  • गुजरात में कर्जन रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर दूर ट्रैक पर पड़ा था घायल मगरमच्छ
  • सूचना पर पहुंचे वन्यजीव ऐक्टविस्ट, मगरमच्छ को कराया रेस्क्यू
  • मगरमच्छ के सिर पर लगी थी गंभीर चोट, नहीं बची जान
  • राजधानी एक्सप्रेस 25 मिनट तो अन्य ट्रेनें 40 मिनट तक खड़ रहीं

वडोदरा
सुपरफास्ट ट्रेन राजधानी का रुकना बड़ी बात है। ट्रेन की देरी से यात्रियों में गुस्सा और अधिकारियों में हड़कंप पैदा कर देता है लेकिन वडोदरा से मुंबई जाने वाली सुपरफास्ट राजधानी एक्सप्रेस को 25 मिनट के लिए रोक दिया गया और किसी ने भी नराजगी जाहिर नहीं की। कारण था एक घायल मगरमच्छ, जो ट्रैक के बीच में दर्द से तड़प रहा था।

आठ फीट लंबे मगरमच्छ का जीवन बचाने के लिए 25 मिनट के लिए राजधानी एक्सप्रेस रोकी गई। इस ट्रेन के 25 मिनट रुकने से वडोदरा-मुंबई लाइन पर चलने वाली अन्य ट्रेनें लगभग 45 मिनट के लिए रोकी गईं।

नहीं बचाया जा सका मगरमच्छ
रेलवे अधिकारियों के साथ-साथ पशु कार्यकर्ताओं ने मगरमच्छ को बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास किया लेकिन उसके सिर पर लगी गंभीर चोट से वह नहीं बचाया जा सका।

स्टेशन से पांच किलोमीटर दूर की घटना
वन्यजीव कार्यकर्ता हेमंत वाधवाना ने कहा, ‘मुझे कर्जन रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक ने लगभग 3.15 बजे फोन आया कि रेल ट्रैक पर एक मगरमच्छ पड़ा है। इसे रेलवे के एक गश्ती दल ने कर्जन मियागाम रेलवे स्टेशन से करीब पांच किलोमीटर दूर देखा। मैं अपने वाहन में पशु कार्यकर्ता नेहा पटेल के साथ तुरंत घटनास्थल पहुंच गया।’

घटनास्थल पर जल्दी पहुंचना नहीं था संभव
हेमंत ने बताया, ‘घटनास्थल कहीं बीच में स्थित था और वहां जल्दी पहुंचना संभव नहीं था। हालांकि, हमारे वाहन के कर्जन रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के बाद, हमें यह पता चला कि रेलवे अधिकारियों ने राजधानी एक्सप्रेस को लगभग 20 मिनट के लिए रोक दिया था ताकि हम ट्रैक पर जाकर मगरमच्छ को रेस्क्यू करा सकें। उसके बाद ट्रेन 5 मिनट और रोकी गई।’

सिर पर आई थीं गंभीर चोटें
वन्यजीव कार्यकर्ता ने बताया कि वहां मौजूद रेलवे स्टाफ ने कहा कि मगरमच्छ कुछ देर से अपना जबड़ा हिला रहा था। हमने इसकी जांच की और पाया कि इसके सिर पर गंभीर चोटें आई हैं। अफसोस की बात है कि कुछ ही मिनटों में उसकी मौत हो गई। अग्निवीर प्राणिन फाउंडेशन की नेहा पटेल ने कहा, मगरमच्छ को किसी तेज रफ्तार ट्रेन ने कुचल दिया था।

ट्रेन से रेलवे स्टेशन तक लाया गया मगरमच्छ का शव
मगरमच्छ को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया और उसके बाद इस व्यस्त ट्रैक पर ट्रेन की आवाजाही शुरू की गई। कर्जन मियागम के स्टेशन अधीक्षक संतोष कुमार ने कहा कि राजधानी हमारी प्रीमियम ट्रेन है इसलिए हम इसमें कभी देरी नहीं करते हैं। लेकिन मंगलवार तड़के हमने मगरमच्छ की जान बचाने के लिए ट्रेक रोकी। दुर्भाग्य से मगरमच्छ नहीं बचाया जा सका। उसे किसान ट्रेन में रखकर कर्जन रेलवे स्टेशन पर लाकर वन विभाग को सौंप दिया गया।

तीन और मगरमच्छों को कराया गया रेस्क्यू
सोमवार की रात को वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग इलाकों से तीन और मगरमच्छों को बचाया। वन्यजीव बचाव ट्रस्ट के वालंटिअसर्स ने तरसाली के पास एक गांव से चार फीट लंबे मगरमच्छ को बचाया गया। एक अन्य वन्यजीव कार्यकर्ता हेमंत वाधवाना ने एमएस विश्वविद्यालय में विज्ञान संकाय से दो फीट लंबे मगरमच्छ को बचाया। वह पास के नाले से निकल गया था। हलोल के कोटांबी गांव से पांच फीट लंबे मगरमच्छ को भी बचाया गया।

रेलवे ट्रैक से हटाया गया मगरमच्छ



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