ये सस्ता खाना है या सस्ती मेहनत !

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Cheap meal or cheap hardwork
ये सस्ता खाना है या सस्ती मेहनत !

भारत में खाना और मेहनत दोनों की अपनी अलग अलग कीमत है, और भाजपा का राज में आने से खाना तो सस्ता हुआ ही है मगर उसका असर क्या मेहनत पर नहीं पड़ेगा ?
यूँ तो योगी सरकार ने एक्शन में आते ही कई अहम फैसले लिए, जनता की सेवा का उद्देश्य लिए योगी ने खाना सस्ता करने का उनका बड़ा फैसला साबित हुआ। पांच रूपये में भरपेट भोजन के लिए चालू की गई अन्नपूर्णा योजना निसंदेह गरीबो के लिए एक वरदान साबित होगी मगर जो पार्टी कल तक तमिलनाडु में ऐसी योजनाओं को जायज नहीं बताती थी अब ऐसा क्या कारण है की वो इस योजना को लागू करने के लिए इतनी उत्सुक है ?
क्या योगी सरकार प्रदेश की गरीब जनता को इस योजना के माध्यम से भरपेट भोजन खिलाकर जनता के दिल में उतरना चाहती है ? या कोई अन्य कारण है ?

खैर, कारण कोई भी हो मगर भोजन को इतना भी काम मूल्य पर नहीं उपलब्ध नहीं करना चाहिए की मजदूर मेहनत के प्रति उदासीन हो जाएं । यदि लोगो को महज पांच रूपये में पेटभर खाना मिलने लगेगा वो उतनी ही मेहनत करेंगे जितनी जरूरत होगी। बेहतर होता अगर योगी जी भोजन के दाम करने के बजाए मजदूरों की मजदूरी में इजाफा करते, उनको आत्मनिर्भर बनाते। इससे न केवल प्रदेश बल्कि समाज भी कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर हो कर खुँशी की, शान्ति की हवा में सांस लेता ।