By Election: उपचुनावों की तारीखों का ऐलान, 2 नवंबर को आएगा रिजल्ट

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By Election: उपचुनावों की तारीखों का ऐलान, 2 नवंबर को आएगा रिजल्ट

भारत निर्वाचन आयोग ने की उपचुनावों की घोषणा…। मध्यप्रदेश में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर होना है उपचुनाव…।

भोपाल। मध्यप्रदेश में होने वाली उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। इसमें प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट समेत तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।

भारत निर्वाचन आयोग ने खंडवा लोकसभा सीट के साथ ही रैगांव, जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा के उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। खंडवा लोकसभा की सीट भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद से खाली पड़ी थी। इसके अलावा रैगांव, जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा के उपचुनाव भी इसी दिन होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक 30 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और 2 नवंबर को मतों की गिनती होगी। इससे पहले नामांकन पत्र भरने का काम 1 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा, जो 8 तक चलेगा। 13 अक्टूबर तक नाम वापस लेने की अंतिम तारीख हैं।

 

खंडवा लोकसभा उपचुनाव

खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा सीट से भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान सांसद थे। उनका कोरोना से निधन हो गया। तभी से यह सीट खाली है। हालाकि इस सीट पर अभी भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों ने कोई प्रत्याशी तय नहीं किया है। जबकि चुनाव प्रचार काफी दिनों से किया जा रहा है।

 

तीन विधानसभा सीट

  • सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक जुगल किशोर बागरी का 10 मई को कोरोना से निधन हो गया था। तभी से यह सीट खाली थी। इस सीट पर भी दोनों ही दलों ने किसी प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है।
  • अलीराजपुर जिले की जोबट विधायक कलावती भूरिया का 24 अप्रैल को कोरोना से निधन हो गया था। तभी से यह सीट खाली है। यह सीट आदिवासी बहुल क्षेत्र की है और कांग्रेस के पास थी। कलावती भूरिया पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं झाबुआ से कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया की भतीजी थीं।
  • निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर विधानसभा सीट से विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर का अप्रैल में कोरोना से निधन हो गया था। यहां भी जातिगत समीकरणों के कारण प्रत्याशी के नामों का ऐलान दोनों ही दलों ने नहीं किया है।

दोनों ही पार्टियां सक्रिय

इससे पहले भाजपा और कांग्रेस प्रमुख दल पिछले दो माह से अपने-अपने स्तर पर उपचुनाव वाले क्षेत्रों में फोकस कर रहे थे। इस बार कांग्रेस ने भी आदिवासी क्षेत्रों को फोकस करने का प्रयास किया है, वहीं भाजपा भी आदिवासी और ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिशों में लगी है।









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