फिल्म रिव्यू: तीखी और चुलबुली है ये ‘बरेली की बर्फी’

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पड़ोस के लड़के को आम के पेड़ पे चढ़ाओ, नीचे उतरा तो आम खाएंगे गिर के मरा तो तेरहवीं की दावत..।” ये मैं नहीं कह रहा, ये तो “बरेली की बर्फी” में आयुष्मान खुराना कह रहे हैं। जी “बरेली की बर्फी” 18 अगस्त, को सिनेमाघरों में आ गई है। अश्विनी अय्यर तिवारी की डायरेक्शन में बनी मनोरंजन और रोमेंस पर आधारित ये फिल्म दर्शकों के उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरती है। फिल्म की कहानी नीतेश तीवारी और श्रेयस जैन ने लिखी है। फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ की कहानी फ्रेंच उपन्यास “इनग्रीडिएंट्स ऑफ लव” से प्रेरित है काबिल-ए-तारिफ ये है कि इस फ्रेंच कहानी को लेखक ने भारतीय अंदाज में ऐसे फिट किया है कि दर्शकों को देखने में मजा आ जाता है। आयुष्मान खुराना राजकुमार राव और कृति सेनन की अदाकारी के बाद बरेली की ये बर्फी और भी मशहूर हो गई है।

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फिल्म की ओपनिंग नरोत्तम मिश्रा के घर की छत से होती है, जहां जावेद अख्तर की आवाज हमें मिश्रा परिवार के विचित्र प्राणियों का पात्र परिचय करवाती हैं । विचित्रता तो ये है कि संडास नहीं उतरने पर पिता बेटी से सिग्रेट लेने उसकी मां को भेज देते हैं, फिल्म देखने पर ऐसे कई अजूबे देखने को मिलेंगे आपको।

कहानी ये है कि खुले दिमाग की बिंदास बिट्टी मिश्रा यानि की कृति सेनन को लगता है कि मां से लेकर समाज के लोग, सभी उससे परेशान रहते हैं। तो, तो क्या, वो घर छोड़कर चली जाती है, और मजा तो तब आता है कि जब वह मां के आंखों से आंसू निकलने से पहले ही, एक किताब की वजह से पुन: वापस आ जाती है।

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अब बात करते हैं चिराग दूबे की, मेरा मतलब कि आयुष्मान खुराना की जो एक छोटी सी प्रिंटिंग प्रेस के मालिक ठहरते हैं। चिराग बाबू गिर जाते हैं बिट्टी के प्यार में, पर बिट्टी हैं, कि किसी प्रीतम विद्रोही से पेंच लड़ाना चाहती हैं। आप सोचेंगे कि ऐसी फिल्में तो बहुत देखी है, तो भैया ये कहानी ऐसी वैसी नहीं है। प्रीतम विद्रोही यानि की राजकुमार राव को इस्तेमाल कर चिराग बाबू अपना प्यार पाना चाहते हैं, इसी दौरान फिल्म कई ट्विस्ट से होकर गुजरती है, और ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। फिल्म की डायरेक्टर अश्विन अय्यर तिवारी ने स्वरा भास्कर की नील बट्टे सन्नाटा के जिरए निर्देशन में डेव्यू किया था जिसके लिए उन्हें काफी सराहना मिली थी और बरेली की बर्फी के लिए तो उनकी खुलकर तारीफ की जा सकती है। फिल्म 2 घंटे 3 मिनट की है, जो कि थोड़ी लंबी हो गई है। फर्स्ट हाफ में फिल्म बिल्कुल बंधी हुई है, सेकेंड हाफ में भी कुछ सिन्स को छोड़कर फिल्म आपको शिकायत का मौका नहीं देती है। फिल्म का संवाद बेहतरीन है, रात भर घूमती रहती है, लड़की है चूड़ैल थोड़ी ना है। कुछ जगहों पर तो ये खडूस आदमी को भी हंसाने में सफल हो सकती है। तूने जो गोबर किया है, अब उसके उपले बना दे फिर जैयो।” म्यूजिक की बात करें तो शादी से लेकर पार्टी तक के सभी गाने अच्छे हैं।

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लोकेशन की बात करें तो लगता है कि सचमुच में ये पूरी कहानी यहीं पर घटी होगी। और हां एक खास बात जो बताना है कि इस फिल्म में आपको पंकज तिवारी के रूप में एक अलग ही हिंदुस्तानी बाप दिखने वाला है। अब अगर मनोरंजन का डोज पूरा करना है और स्वाद चखना चाहते हैं बरेली की बर्फी का तो जाइये थियेटर। और मजा लीजिए तीखी, चुलबुली और बरेली की हॉट बर्फी का।

अभिनय

कृति सेनन ने बिट्टी मिश्रा के किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाया है, इस फिल्म में कृति का बेस्ट दिखता है। अपने कुछ ही फिल्मों से इंडस्ट्री में पहचान बना लेने वाले राजकुमार राव और आयुषमान खुराना हमें शिकायत का कोई मौका नहीं देते, राजकुमार ने तो फट्टू और गली छाप गूंडे के रूप में कमाल कर दिया है। वहीं पंकज त्रिपाठी और सीमा पावा जैसे बहतरीन कलाकारों ने फिल्म में जान डाल दी है। तो जाइये और देखिये बरेली की बर्फी।

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