Bajirao Mastani: मस्तानी की प्रेम कहानी बॉलीवुड ने अमर कर दी, बदहाली के आंसू बहा रहा उसका महल

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Bajirao Mastani: मस्तानी की प्रेम कहानी बॉलीवुड ने अमर कर दी, बदहाली के आंसू बहा रहा उसका महल


Bajirao Mastani: मस्तानी की प्रेम कहानी बॉलीवुड ने अमर कर दी, बदहाली के आंसू बहा रहा उसका महल

छतरपुरः वैसे तो बुंदेलखंड में कई किस्से एवं कहानियां हैं, लेकिन मस्तानी की ऐसी कहानी है जो कभी भी अपनी परिपूर्णता को नहीं पहुंची। कहा जाता है कि मस्तानी ने जीवन पर्यंत संघर्ष किया और इसी के चलते अंत में उसने अपने प्राण त्याग दिए। बॉलीवुड ने मस्तानी की प्रेम कहानी को अमर कर दिया, लेकिन उसका महल आज भी बदहाली के आंसू रो रहा है।

मस्तानी महाराजा छत्रसाल की दत्तक पुत्री थी। उनका महल छतरपुर जिले के मऊ सहानिया में महाराजा छत्रसाल के ठीक बगल में बनाया गया है। कहते हैं कि मस्तानी बेहद खूबसूरत और युद्ध कला में निपुण थी। यही वजह है कि महाराजा छत्रसाल के लिए कई युद्ध उसने अपनी युद्ध कौशल के चलते जीते।

खंडहर में तब्दील हो रहा महल
मस्तानी का महल धुबेला म्यूजियम के ठीक बगल में बना हुआ है, लेकिन अब यह ऐतिहासिक महल धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। इस महल को देखने के लिए ज्यादातर प्रेमी जोड़े आते हैं। वे महल की दीवारों में अपना नाम लिखकर चले जाते हैं जिस वजह से महल की दीवारें खराब हो रही हैं। इसके चलते यह महल धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है।

कौन थी मस्तानी
मस्तानी बाजीराव प्रथम की दूसरी पत्नी थी। कहते हैं कि वह मुसलमान थी और बुंदेलखंड से ताल्लुक रखती थी। उसके बारे में कहा जाता है कि उसकी बेइन्तहा खूबसूरती के चलते उसे ‘सौंदर्य की रानी’ कहा जाता था। मस्तानी को बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल की बेटी भी माना जाता है। कुछ इतिहासकार उसे छत्रसाल के राज्य की एक नर्तकी मानते हैं। बाजीराव प्रथम को मात्र 20 वर्ष की उम्र में मराठा साम्राज्य के पेशवा के रूप में नियुक्त कर दिया गया था। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आने वाले 20 वर्षों में लगभग 41 से भी अधिक युद्ध लड़े। उसके बारे में प्रचलित है कि इन युद्धों में से एक भी युद्ध में वह पराजित नहीं हुआ। वह विजय का परचम लहराते हुए आगे बढ़ता रहा। बाजीराव और मस्तानी की प्रेम कहानी इतिहास की दिलचस्प प्रेम कहानियों में एक है। वैसे बाजीराव और मस्तानी से जुड़ी कई कहानियां हैं, लेकिन उन सभी कहानियों में एक बात समान है, और वह है असीम प्रेम।

ऐसे बनी प्रेम कहानी
दिसंबर 1728 ई. में अल्लाहाबाद के मुग़ल प्रमुख मोहम्मद ख़ान बंगश ने बुंदेलखंड पर हमले की योजना बनाई। महाराजा छत्रसाल को बंगश की योजना के बारे में पता चल चुका था। उन्होंने सहायता मुहैया कराने के लिए बाजीराव प्रथम को एक पत्र लिखा और सहायता मांगी। पत्र मिलने के तुरंत बाद ही बाजीराव अपनी सेना के साथ महाराजा छत्रसाल की सहायता के लिए रवाना हो गया। बंगाश युद्ध में परास्त हो गया और उसे बंदी बना लिया गया। बाद में उसे इस शर्त के साथ मुक्त कर दिया गया कि वह दोबारा कभी भी बुंदेलखंड पर आक्रमण नहीं करेगा। युद्ध में बाजीराव की सहायता से छत्रसाल, बाजीराव के बहुत आभारी थे और उसे अपने बेटे के रूप में मानने लगे थे। इतना ही नहीं, छत्रसाल ने अपने साम्राज्य को तीन भागों में विभाजित कर दिया, जिनमें से एक हिस्सा बाजीराव प्रथम को भेंट स्वरूप दे दिया। इनमें झाँसी, सागर और काल्पी का भी समावेश था। इसके साथ ही छत्रसाल ने अपनी बेटी मस्तानी और बाजीराव के विवाह का प्रस्ताव भी बाजीराव के समक्ष रखा। वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मस्तानी छत्रसाल की बेटी नहीं, बल्कि छत्रसाल के दरबार की नर्तकी थी। मस्तानी को लेकर भले ही इतिहासकारों के अलग-अलग मत हों, लेकिन एक बात तो है कि महाराजा छत्रसाल उसे अपनी बेटी की तरह मानते थे।

मौत कैसे हुई, स्पष्ट नहीं
बाजीराव की मौत के बाद मस्तानी की मौत को लेकर अलग-अलग मत हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि बाजीराव की मौत का समाचार सुनते ही मस्तानी ने अपनी अंगूठी में रखे जहर को खा लिया और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। दूसरी ओर, कुछ लोग यह मानते हैं कि मस्तानी बाजीराव के साथ सती हुई थी।

रिपोर्टः जयप्रकाश



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