Assam News: असम के नैशनल पार्क से राजीव गांधी का नाम हटाने पर भड़की कांग्रेस, समझिए क्‍या है पूरा विवाद

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Assam News: असम के नैशनल पार्क से राजीव गांधी का नाम हटाने पर भड़की कांग्रेस, समझिए क्‍या है पूरा विवाद

हाइलाइट्स

  • असम के ओरंग नैशनल पार्क से हटाया जाएगा राजीव गांधी का नाम
  • कांग्रेस ने असम सरकार के इस फैसले पर जमकर जताया विरोध
  • आदिवासियों की भावनाओं के सम्‍मान के लिए बदला नाम: हिमांत

गुवाहाटी
असम में ब्रह्मापुत्र नदी के तट पर स्थित राजीव गांधी ओरंग नैशनल पार्क के नाम में बदलाव को लेकर राजनीति तेज हो गई है। हिमांत बिस्‍वा शर्मा सरकार ने स्‍थानीय आदिवासियों की भावनाओं का सम्‍मान करते हुए नैशनल पार्क के नाम से राजीव गांधी का नाम हटाने का फैसला लिया है। अब इस पार्क को सिर्फ ओरंग नैशनल पार्क के नाम से जाना जाएगा। एक तरफ जहां कांग्रेस ने असम सरकार के इस फैसले पर जमकर हमला बोला है, वहीं मुख्‍यमंत्री हिमांत बिस्‍वा शर्मा ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब भी दिया है।

कांग्रेस के प्रवक्‍ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने असम सरकार के इस फैसले को अपमानजनक बताया है। उन्‍होंने कहा- ‘जो व्यक्ति असम का सीएम बना बैठा है, जो कहा करता था कि वह राजीव गांधी की वजह से राजनीति में है। उनका नाम (राजीव गांधी) मिटाकर क्या समझता है कि मिट जाएगा। पार्कों से शहीदों का नाम मिटाकर कुछ हासिल नहीं होने वाला।’

2005 में कांग्रेस सरकार ने जोड़ दिया था राजीव गांधी का नाम: शर्मा
इस बीच, मुख्‍यमंत्री हिमांत बिस्‍वा शर्मा ने कांग्रेस के हमलों का जवाब दिया है। उन्‍होंने ट्विटर पर लिखा है – ‘मैं कुछ बातें स्‍पष्‍ट कर देना चाहता हूं। ओरंग राष्ट्रीय उद्यान का नाम नहीं बदला गया है। असम में किसी भी राष्ट्रीय उद्यान का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं है। वर्ष 2005 में तत्‍कालीन कांग्रेस सरकार ने इस परंपरा को तोड़ा और पूर्व पीएम राजीव गांधी का नाम पार्क के साथ जोड़ दिया। हमने स्‍थानीय आदिवासियों का सम्‍मान करते हुए पार्क का मूल नाम बहाल कर दिया है।’

कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों को कम आंकते हैं मोदी: गौरव गोगोई
दूसरी ओर, असम के कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी पार्क का नाम बदलने पर कड़ा विरोध जताया है। उन्‍होंने कहा कि यह सिर्फ असम के बारे में नहीं है बल्कि हमने पूरे देश में ऐसा देखा है। जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी तक कांग्रेस से आए देश के प्रधानमंत्रियों का यह अपमान है। हमने देखा है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके समर्थकों ने इन नेताओं के योगदान को लगातार कम करके आंका है। पीएम मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि इन सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया है।



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