AQI: अब कोरोना नहीं तो प्रदूषण के बचने के लिए लगाएं मास्क, वरना आने वाले दिनों में बढ़ेगी आपकी परेशानी

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AQI: अब कोरोना नहीं तो प्रदूषण के बचने के लिए लगाएं मास्क, वरना आने वाले दिनों में बढ़ेगी आपकी परेशानी

AQI: अब कोरोना नहीं तो प्रदूषण के बचने के लिए लगाएं मास्क, वरना आने वाले दिनों में बढ़ेगी आपकी परेशानी

अभी सितंबर की शुरुआत ही हुई थी कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 218 और 361 तक जा पहुंचा। इस स्तर पर तमाम लोगों को खांसी-जुकाम होने लगता है। दिल्ली सरकार भी प्रदूषण को देखते हुए ऐक्शन मोड में आ गई और जरूरी कदम उठाने पर विचार कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि हर साल की तरह आने वाले दिनों में सर्दी भी बढ़ेगी और प्रदूषण भी। डॉक्टरों का कहना है कि चूंकि कोरोना की वजह से लोगों के फेफड़े कमजोर हुए हैं और दिल पर भी असर पड़ा है, इसलिए अभी से सावधानी बरतना ही समझदारी होगी।

किन पर हो सकता है प्रदूषण का ज्यादा असर

यूं तो प्रदूषण किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं होता लेकिन फिर भी कुछ लोगों के लिए यह ज्यादा घातक हो सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक इन लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। अकॉर्ड सुपर स्पेशिलियटी हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी के कंसल्टेंट डॉक्टर रोहित मुखर्जी कहते हैं, ‘पलूशन में शामिल पीएम 2.5 पार्टिकुलेट मैटर इतना बारीक होता है कि वह शरीर के अंदर तक प्रवेश कर सकता है। इसीलिए अक्टूबर से जनवरी तक का समय उन लोगों के लिए मुश्किल होता है जिनके फेफड़े कमजोर हैं, अस्थमा के मरीज हैं, टीबी होकर ठीक हो चुका है, कोविड होकर ठीक हो चुका है, ऐलर्जिक हैं या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिसीज (सीओपीडी) हुआ है। इन लोगों पर प्रदूषण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है।’ पीएसआरआई अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर नीतू जैन कहती हैं, ‘अभी इतना पलूशन हो रहा है तो पराली जलाने और पटाखे जलाने पर और पलूशन होगा। यह प्रदूषण बच्चों और वृद्धों के लिए तो खतरनाक है ही, साथ ही जिन्हें जल्दी खांसी-जुकाम होता है, जिन्हें कोविड हुआ है, दिल से जुड़ी परेशानियां हैं, प्रेग्नेंट वुमन और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर भी इसका असर होगा।’ वहीं एशियन हॉस्पिटल के कार्डियॉलजिस्ट डॉ. प्रतीक चौधरी कहते हैं कि लोगों के दिल कमजोर हो गए हैं और इसकी एक बड़ी वजह प्रदूषण हैं। अब दुनिया में जितनी प्रीमैच्योर मौतें प्रदूषण की वजह से होती हैं, उनमें 80 फीसदी दिल की परेशानी से होती हैं। आसान भाषा में कहें तो प्रदूषण के बारीक कण शरीर के अंदर जाकर खून में मिल जाते हैं और इस तरह दिल तक पहुंच कर उसे नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए दिल के मरीजों को तो सावधानी बरतने की जरूरत है ही, साथ ही स्वस्थ लोगों को भी सावधानी बरतनी चाहिए।

किन पर होगा ज्यादा असर

  • कमजोर फेफड़े वालों पर।
  • सीओपीडी के मरीजों पर।
  • कोविड से ठीक हो चुके लोगों पर।
  • टीबी से ठीक हो चुके लोगों पर।
  • एलर्जिक लोगों पर।
  • अस्थमा के मरीजों पर।

क्या करना है बदलाव

  • बाहर जाते हुए मास्क पहनना।
  • गहरी सांस वाली एक्सरसाइज।
  • इम्यूनिटी मजबूत।
  • एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल।
  • वॉकिंग का समय बदलना।

​मास्क लगाना नहीं छोड़ना है

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कोरोना की गंभीरता कम होने की वजह से लोगों की मास्क पहनने की आदत भी कम हो गई है। आलम यह है कि लोग पब्लिक प्लेस पर भी बिना मास्क के नजर आ रहे हैं। लेकिन मास्क पहनने की आदत ही आपको प्रदूषण से होने वाले नुकसानों से भी बचाएगी। जिन लोगों को नौकरी और अन्य जरूरी कामों के सिलसिले में बाहर निकलना ही पड़ता है, वह किस तरह प्रदूषण से अपना बचाव करें? डॉक्टर रोहित और डॉक्टर नीतू के मुताबिक इन हालातों में मास्क सबसे अच्छा उपाय है। डॉक्टर नीतू जैन कहती हैं कि एन-95 मास्क प्रदूषण से सबसे ज्यादा बचाव करता है, इसलिए उसे पहनना चाहिए। वहीं डॉक्टर रोहित कहते हैं, ‘प्रदूषण से बचाव के लिए ट्रिपल फिल्टर मास्क का उपयोग करना चाहिए। आजकल लोग सर्जिकल मास्क या कपड़े के मास्क पहनते हैं। ये कोरोना से बचाव के लिए तो ठीक हैं लेकिन प्रदूषण से बचाव में उतने असरदार नहीं है। प्रदूषण के लिए ट्रिपल लेयर मास्क ही फायदेमंद रहते हैं।

​छोटे-छोटे बदलाव देंगे बड़ा फायदा

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डॉक्टरों के मुताबिक स्मॉग के साथ ही ओपीडी में खांसी-जुकाम, अस्थमा के मरीज बढ़ जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अभी क्या कदम उठाए जाएं कि आने वाले दिनों में सेहत पर प्रदूषण का कम से कम असर हो। इस बारे में डॉ. नीतू जैन कहती हैं, ‘एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल जरूर करें, खासकर बुजुर्गों, बीमारों और बच्चों के कमरों में।’ डॉक्टर रोहित मुखर्जी कहते हैं, ‘प्रदूषण बढ़ने के साथ ही सुबह वॉक की आदत छोड़नी चाहिए क्योंकि तब हवा में प्रदूषण होता है और इसका सेहत पर काफी असर पड़ता है। अगर वॉक करना ही है तो दोपहर के वक्त करें जब सभी लोग ऑफिस जा चुके हों और धूप हो, क्योंकि इस समय सड़कों पर ट्रैफिक और हवा में प्रदूषण कम होता है। बाहर का तला-भुना खाना कम से कम लें और घर का हेल्दी फूड खाएं। इसमें आंवला, ब्रोकली और मोसम्बी का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा वह चीजें खाएं जो आपकी इम्यूनिटी मजबूत करती हैं ताकि बीमार होने के चांस कम से कम हों। घर में इंडोर प्लांट्स लगाएं और किचन में चिमनी ऑन रखें क्योंकि यहां से इंडोर पलूशन फैलता होता है।’ बकौल डॉक्टर रोहित मुखर्जी, इन सारे उपायों के साथ कमजोर फेफड़े वालों को डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज और प्राणायाम शुरू कर देना चाहिए।

​आने वाले दिनों में बढ़ न जाए परेशानी

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पर्यावरण पर नजर रखने वाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा हालिया रिलीज एक स्टडी के मुताबिक, देश में उत्तर भारत का हिस्सा सबसे ज्यादा प्रदूषित है। इनमें पहला नंबर गाजियाबाद का है जबकि दूसरा नंबर राजधानी दिल्ली का है। मौसम पर नजर रखने वाली संस्था स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत कहते हैं कि पलूशन इस बार ज्यादा होगा या नहीं, ये तो तब ही बताया जा सकता है। सर्दियों में जब हवा कम हो जाती है, टेम्परेचर गिरता है और धुंध वगैरह बनती है तो प्रदूषण हट नहीं पाता और फिर स्मॉग बन जाता है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि उस समय कितना तापमान गिरेगा और हवा कितनी तेज चलेगी। जब बारिश वगैरह होगी तो पलूशन धुलेगा लेकिन वह बहुत कम समय के लिए होगा। अगर पिछले साल के मुकाबले देखें, तो लॉकडाउन में इन दिनों कम पलूशन था और आज ज्यादा है। तो अगर सब कुछ नॉर्मल रहा तो पिछले साल से ज्यादा प्रदूषण इस साल हो सकता है।

​प्रदूषण से बचना है तो ट्रिपल फिल्टर मास्क लें

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डॉक्टर रोहित और डॉक्टर नीतू के मुताबिक इन हालातों में मास्क सबसे अच्छा उपाय है। डॉक्टर नीतू जैन कहती हैं कि एन-95 मास्क प्रदूषण से सबसे ज्यादा बचाव करता है, इसलिए उसे पहनना चाहिए। वहीं, डॉक्टर रोहित कहते हैं, प्रदूषण से बचाव के लिए ट्रिपल फिल्टर मास्क का उपयोग करना चाहिए। आजकल लोग सर्जिकल मास्क या कपड़े के मास्क पहनते हैं, ये प्रदूषण से बचाव में उतने असरदार नहीं हैं।

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