AI : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने खोली पोल, हेराफेरी करने वाले कारोबारियों की लिस्ट तैयार | Fraud caught through artificial intelligence | Patrika News
कर चोरी रोकने के लिए प्रदेश में इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) का इस्तेमाल हो रहा है। पिछले माह ही विभाग ने एआइ और डाटा एनालिसिस से जुटाए सबूतों के आधार पर करोड़ों की कर चोरी उजागर की है। 2021-22 में भी करीब 1100 प्रकरणों में लगभग 1200 करोड़ की कर चोरी पकड़ी जा चुकी है। चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी के अनुसार विभाग एआइ और डाटा एनालिसिस करते हुए कर चोरी करने वाले और कारोबारियों की लिस्ट तैयार कर रहा है। जीएसटी विभाग का इंटीग्रेशन अब इनकम टैक्स विभाग से हो गया है। इस आधार पर भी स्क्रूटनी चल रही है।
जो प्रोडक्ट नहीं, उससे संबंधित खरीदी क्यों
जांच का पहला बिंदु एचएसएन समरी है। जानकारी रिटर्न के साथ दी जाती है। जीएसटी में हर आर्टिकल (वस्तु या सेवा) को एक एचएसएन कोड दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कोई निर्माता ऐसे प्रोडक्ट की भी खरीदी बताता है, जिसका उपयोग इनपुट यानी निर्माण में नहीं होता तो ऐसे निर्माताओं को बताना होगा कि वे गलत कोड किस मंशा से दर्ज कर रहे हैं।
आरटीओ से निकाली जा रही जानकारी
ई-वे बिल फर्जीवाड़ा पकड़ने का सशक्त माध्यम है। इसके साथ आरटीओ, फास्टैग की मदद से भी गड़बड़ी रोकने में कामयाबी मिल रही है। उदाहरण के तौर पर इंदौर से माल लेकर कोई गाड़ी उदयपुर रवाना हुई। गाड़ी किसी दूसरे रूट से गुजरती है तो रेड फ्लैग आ जाता है। विभाग ई-वे बिल का फास्टैग से मिलान करता है। अगर गाड़ी नंबर गलत दिया जाता है तो आरटीओ से डिटेल निकाली जाती है। यानी वजनी सामान के लिए टू व्हीलर, छोटी गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। हाल ही में विभाग ने राजस्थान से मार्बल लेकर निकली गाड़ी पकड़ी, जो मप्र के ई-वे बिल पर महाराष्ट्र में अनलोड हो रही थी।
खरीदी ज्यादा-बिक्री कम
विभाग की नजर में ऐसे कारोबारी भी हैं, जो लगातार ज्यादा माल खरीदकर कम बिक्री दिखा रहे हैं। इसमें पता लगाया जाता है कि वे बिक्री हुए बगैर नया सामान खरीदने के लिए पैसा कहां से ला रहे हैं? ऐसे में बगैर बिल के कारोबार की आशंका रहती है। जीएसटीआर 1 और 3 के रिटर्न में बिक्री का अलग-अलग आंकड़ा देने वाले भीएआइ की निगरानी में है।
जानिए होता है Artificial intelligence
कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial intelligence) दुनिया की श्रेष्ठ तकनीकों में से एक है। इस तकनीक की सहायता से ऐसा सिस्टम तैयार किया जा सकता है जो मानव बुद्धिमत्ता यानी इंटेलिजेंस के बराबर होगा। इस तकनीक के माध्यम से अल्गोरिदम सीखने, पहचानने, समस्या-समाधान, भाषा, लाजिकल रीजनिंग, डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग,बायो.इंफार्मेटिक्स तथा मशीन बायोलाजी को आसानी से समझा जा सकता है। यह तकनीक खुद सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है। पहली बार 1955 में जॉन मेकार्थी ने आधिकारिक तौर पर इस तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम दिया था। जॉन मेकार्थी अमरीकी कंप्यूटर वैज्ञानिक थे। मशीनों को स्मार्ट बनाने के लिए उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टर्म का इस्तेमाल किया था।
कर चोरी रोकने के लिए प्रदेश में इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) का इस्तेमाल हो रहा है। पिछले माह ही विभाग ने एआइ और डाटा एनालिसिस से जुटाए सबूतों के आधार पर करोड़ों की कर चोरी उजागर की है। 2021-22 में भी करीब 1100 प्रकरणों में लगभग 1200 करोड़ की कर चोरी पकड़ी जा चुकी है। चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी के अनुसार विभाग एआइ और डाटा एनालिसिस करते हुए कर चोरी करने वाले और कारोबारियों की लिस्ट तैयार कर रहा है। जीएसटी विभाग का इंटीग्रेशन अब इनकम टैक्स विभाग से हो गया है। इस आधार पर भी स्क्रूटनी चल रही है।
जो प्रोडक्ट नहीं, उससे संबंधित खरीदी क्यों
जांच का पहला बिंदु एचएसएन समरी है। जानकारी रिटर्न के साथ दी जाती है। जीएसटी में हर आर्टिकल (वस्तु या सेवा) को एक एचएसएन कोड दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कोई निर्माता ऐसे प्रोडक्ट की भी खरीदी बताता है, जिसका उपयोग इनपुट यानी निर्माण में नहीं होता तो ऐसे निर्माताओं को बताना होगा कि वे गलत कोड किस मंशा से दर्ज कर रहे हैं।
आरटीओ से निकाली जा रही जानकारी
ई-वे बिल फर्जीवाड़ा पकड़ने का सशक्त माध्यम है। इसके साथ आरटीओ, फास्टैग की मदद से भी गड़बड़ी रोकने में कामयाबी मिल रही है। उदाहरण के तौर पर इंदौर से माल लेकर कोई गाड़ी उदयपुर रवाना हुई। गाड़ी किसी दूसरे रूट से गुजरती है तो रेड फ्लैग आ जाता है। विभाग ई-वे बिल का फास्टैग से मिलान करता है। अगर गाड़ी नंबर गलत दिया जाता है तो आरटीओ से डिटेल निकाली जाती है। यानी वजनी सामान के लिए टू व्हीलर, छोटी गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। हाल ही में विभाग ने राजस्थान से मार्बल लेकर निकली गाड़ी पकड़ी, जो मप्र के ई-वे बिल पर महाराष्ट्र में अनलोड हो रही थी।
खरीदी ज्यादा-बिक्री कम
विभाग की नजर में ऐसे कारोबारी भी हैं, जो लगातार ज्यादा माल खरीदकर कम बिक्री दिखा रहे हैं। इसमें पता लगाया जाता है कि वे बिक्री हुए बगैर नया सामान खरीदने के लिए पैसा कहां से ला रहे हैं? ऐसे में बगैर बिल के कारोबार की आशंका रहती है। जीएसटीआर 1 और 3 के रिटर्न में बिक्री का अलग-अलग आंकड़ा देने वाले भीएआइ की निगरानी में है।
जानिए होता है Artificial intelligence
कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial intelligence) दुनिया की श्रेष्ठ तकनीकों में से एक है। इस तकनीक की सहायता से ऐसा सिस्टम तैयार किया जा सकता है जो मानव बुद्धिमत्ता यानी इंटेलिजेंस के बराबर होगा। इस तकनीक के माध्यम से अल्गोरिदम सीखने, पहचानने, समस्या-समाधान, भाषा, लाजिकल रीजनिंग, डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग,बायो.इंफार्मेटिक्स तथा मशीन बायोलाजी को आसानी से समझा जा सकता है। यह तकनीक खुद सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है। पहली बार 1955 में जॉन मेकार्थी ने आधिकारिक तौर पर इस तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम दिया था। जॉन मेकार्थी अमरीकी कंप्यूटर वैज्ञानिक थे। मशीनों को स्मार्ट बनाने के लिए उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टर्म का इस्तेमाल किया था।