जीएसटी से किसानो पर बढ़ सकता है बोझ ।

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जीएसटी से किसानो पर बढ़ सकता है बोझ ।

एक जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी से व्यापर से जुड़े हर क्षेत्र पर प्रभाव देखने को मिलेगा मगर लगता है कृषि क्षेत्र में जीएसटी की दरों से किसानों पर बोझ बढ़ता नजर आ रहा है। हालांकि मानसून शुरू होने और अच्छी बारिश होने से किसान उत्साहित नजर नहीं आ रहे है, जबकि ऐसी बारिश से अच्छी उपज की उम्मीद और मजबूत हो जानी चाहिए । दरअसल कीटनाशकों पर 18% जीएसटी लगाने की बात तय हुई है, जिससे किसानो की मुश्किलें बढ़ने वाली है।

फसलों की सुरक्षा और उत्पादकता बढ़ाने में मदद देने वाले प्रॉडक्ट्स हरित क्रांति का एक अहम हिस्सा हैं। पिछले कई सालो में फसलों की सुरक्षा बढ़ाने वाले उत्पाद बनाने वाली भारतीय उद्योग ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने के अलावा आयातित और देशी प्रौद्योगिकी ने साथ मिलकर काम कर अच्छे स्तर पर प्रगति हासिल की है, ताकि देशभर में फसलों को सुरक्षा प्रदान करने वाले उत्पादों की कमी न रहे। खेती-बाड़ी लायक जमीन में देखी जा रही निरंतर कमी को ध्यान में रखते हुए देश को एग्रीकल्चर सेक्टर को मॉडर्न बनाना होगा जिससे हम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सके। साथ ही देशभर में अनाज की जरूरत को पूरा करने और लोगो को भरपूर खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए कृषि उत्पादकता और इसकी बढ़त में और सुधार करने की आवश्यकता है।

जीएसटी द्वारा दिए गए प्रस्ताव में फसलों की सुरक्षा करने वाले बीज, कृषि उपकरण, आवश्यक उर्वरक आदि से अलग कर दिया गया है। बीजों पर टैक्स की छूट दी गई है, उर्वरको व ट्रैक्टर्स पर 12% टैक्स लगेगा और फसलों की सुरक्षा में काम आने वाले उत्पादों पर 18% की दर से टैक्स लगेगा। वैसे तो कृषि क्षेत्र में जीएसटी का ज्यादा असर नहीं होगा मगर खेती-बाड़ी में प्रयोग होने वाले उत्पादों जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक, ट्रैक्टर आदि जैसी चीजों पर टैक्स बढ़ सकता है जिससे कृषि की लागत में भी इजाफा बढ़ेगा। हालांकि कृषि उत्पादन की कीमतों पर बाजार का नियंत्रण होता है। किसान का कीमतों में नाममात्र की दखल है। कृषि के लिए काम आने वाले उत्पादों के दामों में इजाफा होने और इसकी बढ़ती लागत को झेलने के अलावा किसान के पास कोई और रास्ता नहीं बचेगा, इस तरह भारतीय किसान पर बोझ बढ़ेगा।