AAP vs BJP : आप, बीजेपी और एलजी के झगड़े में कैसे उलझ गई दिल्ली, इनसाइड स्टोरी जानिए

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AAP vs BJP : आप, बीजेपी और एलजी के झगड़े में कैसे उलझ गई दिल्ली, इनसाइड स्टोरी जानिए

AAP vs BJP : आप, बीजेपी और एलजी के झगड़े में कैसे उलझ गई दिल्ली, इनसाइड स्टोरी जानिए

नई दिल्ली : अब दिल्ली सरकार और इसे संचालित कर रही आम आदमी पार्टी (AAP) खुलकर उप-राज्यपाल (LG) वीके सक्सेना के खिलाफ खुलकर सामने आ गई है। सक्सेना ने इसी वर्ष 26 मई को एलजी का पदभार संभाला था और करीब चार महीने में ही आप सरकार उनसे ऊब चुकी है। इस कदर कि अब उन्हें हटाने के लिए धरना दिया जा रहा है। उधर, बीजेपी कह रही है कि दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी है, इस कारण आम जनता और मीडिया का ध्यान हटाने के लिए आए दिन नए-नए मुद्दे खड़ी करती रहती है। जवाब में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र की सरकार को अब तक का सबसे भ्रष्ट बता दिया। आप सरकार एलजी पर तो घोटाले का आरोप लगा ही चुकी है।

मौजूदा केंद्र सरकार 75 वर्षों में सबसे भ्रष्ट: सीएम केजरीवाल

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की छापेमारी के बाद से आम आदमी पार्टी के तेवर गरम हैं। उसने यहां तक आरोप लगाया कि बीजेपी उसकी पार्टी को दिल्ली की सत्ता से बेदखल करने की साजिश रच रही है और इसके लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की भी कोशिश हो रही है। कुछ आप नेताओं ने यहां तक दावा किया कि उनके पास बीजेपी से आए ऑफर की कॉल रिकॉर्डिंग भी है। उधर, बीजेपी लगातार चुनौती दे रही है कि कॉल रिकॉर्डिंग सार्वजनिक किया जाए। इसी तनातनी के बीच केजरीवाल सरकार ने विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव लाने का फैसला किया। हालांकि, यह भी सच है कि 70 सीटों वाली विधानसभा में अकेले आप के 62 और शेष आठ बीजेपी के विधायक हैं। ऐसे में विश्वासमत प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

बहरहाल, सोमवार को दिल्ली विधानसभा में पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना मौजूदा केंद्र सरकार को आजादी के 75 सालों की सबसे भ्रष्ट सरकार बताया। उन्होंने कहा कि लोग महंगाई से त्रस्त हैं जिसके लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार जिम्मेदार है। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना कहा कि जब भी उन्हें अपने अरबपति दोस्तों के कर्जे माफ करने होते हैं या किसी राज्य में सरकार गिराने के लिए विधायक खरीदने होते हैं, तब वो टैक्स बढ़ा देते हैं।

उन्होंने यहां तक कहा कि जिस तरह अंग्रेज टैक्स लगाकर भारतीयों का खून चूसते थे और सारा धन इंग्लैंड ले जाते थे, उसी तरह केंद्र सरकार टैक्स उगाही करके उद्योगपति मित्रों के कर्जे माफ करती है। सीएम ने कहा कि बीजेपी ने देश के अलग-अलग राज्यों में अब तक 277 विधायकों को खरीदा जिसके लिए 63 अरब रुपये खर्च हुए। उन्होंने कहा कि इसकी मार आम लोगों को झेलनी पड़ती है क्योंकि बढ़ते टैक्स से महंगाई बेकाबू होती जा रही है। उन्होंने दावा किया कि अगर पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस समेत खाने-पीने की तमाम चीजों पर टैक्स घट जाए, तो महंगाई तुरंत कम हो जाएगी।

जब भी इन्हें अपने अरबपति दोस्तों के कर्जे माफ करने होते हैं या किसी राज्य में सरकार गिराने के लिए विधायक खरीदने होते हैं, तब ये किसी न किसी चीज पर टैक्स बढ़ा देते हैं, जिसके कारण महंगाई बेकाबू होती जा रही है।

अरविंद केजरीवाल, सीएम, दिल्ली

ऑरेशन लोटस पर भी रार
आम आदमी पार्टी का दावा है कि बीजेपी ने दिल्ली में भी ऑपरेशन लोटस के तहत सरकार गिराने की कोशिश की। हालांकि, उसका यह प्रयास औंधे मुंह गिर गया। सीएम केजरीवाल ने बीजेपी का नाम लिए बिना कहा कि 20-25 करोड़ रुपये का लालच देकर भी आप विधायकों को ईमान डिगाया नहीं जा सका, इससे साबित होता है कि आप का एक-एक नेता कट्टर ईमानदार है। उन्होंने विधानसभा में कहा कि बीजेपी लाख कोशिशें कर ले, खरीद की रकम कितनी भी बढ़ा दे, आप के एक भी विधायक नहीं बिकने वाले।

फर्जी मामलों में फंसाना चाहती है बीजेपी: केजरीवाल

आम आदमी पार्टी की शिकायत है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। सीएम ने भी कहा कि उनकी सरकार पर नए-नए आरोप लगाए जा रहे हैं क्योंकि किसी आरोप में कोई दम नहीं है। एक आरोप को साबित नहीं कर पाते, इसलिए नया आरोप मढ़ देते हैं। सीएम ने कहा कि पिछले 10-15 दिनों से भ्रष्टाचार के लिए शराब नीति बदलने का आरोप लगा रहे थे। चूंकि उसमें कुछ नहीं निकला, तो अब कह रहे हैं कि नए क्लासरूम बनाने में घोटाला हुआ है। केजरीवाल ने कहा, ‘इन लोगों ने पूरे देश में स्कूलों का बेड़ा गर्क कर रखा है। अगर हमने स्कूलों में तय संख्या से ज्यादा क्लासरूम्स या टॉयलेट्स बनवा दिए, तो उसमें क्या गलत किया? इनके पास कोई मुद्दा नहीं है, तो मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं, लेकिन कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।’

आप ने सीबीआई डायरेक्टर से मांगा मिलने का समय
आप ने दिल्ली की अपनी सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर रणनीति बदल दी है। वह अब तक खुद को पाक-साफ बता रही थी, लेकिन अब उसने बीजेपी की केंद्र सरकार और उसके नियुक्त उप-राज्यपाल वीके सक्सेना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने लगी है। आप ने एलजी पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है। पार्टी ने एलजी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए सीबीआई डायरेक्टर से मुलाकात का वक्त मांगा है। आप विधायक आतिशी मरलेना ने ट्वीट कर कहा, ‘विधानसभा में एलजी पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों के संबंध में सीबीआई के डायरेक्ट से मिलने का समय मांगा गया है।’ उन्होंने दावा किया है कि नोटबंदी के दौरान जब देश के लोग 12-12 घंटे लाइन में खड़े थे, तब दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ब्लैक मनी को वाइट करने में लगे थे। खादी ग्रामोद्योग संस्था के तत्कालीन चेयरमैन रहे विनय सक्सेना ने अपने कैशियर पर पुराने नोट लेकर नए नोटों में बदलने का दबाव डाला था। दो कैशियर ने विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ बयान दिया फिर भी उनकी जांच क्यों नहीं हुई? वहीं, आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी पर पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाए। इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

AAP विधायक का दावा- LG पर 1,400 करोड़ के घोटाले का आरोप

वहीं, आप विधायक दुर्गेश पाठक ने सक्सेना के भ्रष्टाचार की रकम का भी ‘खुलासा’ कर दिया। उन्होंने कहा कि खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन पद पर रहते हुए नोटबंदी के दौरान 1,400 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले में खादी ग्रामोद्योग के दो पूर्व कर्मचारियों के बयानों का जिक्र करते हुए दावा किया कि उनके शिकायत किए जाने के बाद भी सक्सेना के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पहले दुर्गेश पाठक ने सदन के अंदर एलजी पर हमला बोलते हुए उन पर महात्मा गांधी और उनके प्रतीक चिह्न खादी के नाम पर 1,400 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब एलजी खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन थे, तब नोटबंदी के दौरान उनके निर्देश पर खादी के केंद्रों से पुराने नोटों की अदला-बदली करके नए नोट जारी करवाए गए और ब्लैक मनी को वाइट किया गया। जब एक केंद्र के दो कैशियरों ने इसके खिलाफ आवाज उठानी चाही, तो उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। वहीं इस घोटाले में साथ देने वाले दो अन्य अधिकारियों को प्रमोशन दे दिया गया। इतना ही नहीं, इस मामले में शिकायत मिलने पर जांच के लिए बनाई गई कमिटी की अध्यक्षता भी सक्सेना ने ही की, जबकि वह खुद इस मामले में आरोपी थे।

कैशियरों के बयान के हवाले से दुर्गेश पाठक ने दावा किया था कि उनकी ब्रांच में 22 लाख रुपये की हेराफेरी की गई थी और ऊपर से दबाव बनाकर पुराने नोटों के बदले नए नोट दिलवाए गए थे। पाठक ने कहा कि देशभर में खादी ग्रामोद्योग की 7 हजार ब्रांच हैं और सभी ब्रांचों में यही खेल चल रहा था। इस हिसाब से यह 1400 करोड़ से ज्यादा का भ्रष्टाचार है। एक कैशियर के बयान का हवाला देते हुए पाठक ने कहा कि जब कैशियर ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट लेने से मना कर दिया, तो उनसे कहा गया कि चेयरमैन साहब का आदेश है कि ये नोट लेकर नए नोट देना है। अगर ऐसा नहीं किया, तो चेयरमैन नाराज हो जाएंगे। पाठक ने कहा कि भ्रष्टाचार के इस पूरे मामले में लीपापोती की गई। सीबीआई में मामला दर्ज तो किया गया, लेकिन एफआईआर में सक्सेना का नाम तक नहीं लिखा गया। ना सीबीआई ने उन पर कोई रेड की, ना उनसे पूछताछ की। उन्होंने कहा कि ये मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है, इसलिए इसकी ईडी से जांच करवाई जाए और जब तक ये जांच चलें, तब तक उन्हें एलजी के पद से हटाया जाए।

एलजी का पलटवार- शिक्षा मॉडल पर उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विधानसभा में एलजी के खिलाफ मोर्चा खोला, तो उसके जवाब में एलजी ने भी दिल्ली सरकार के एजुकेशन मॉडल पर सवाल उठा दिए। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर एलजी सचिवालय के अधिकारियों ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को एक पत्र लिखकर पूछा है कि पिछले पांच सालों में शिक्षा पर खर्च बढ़ाने के बावजूद सरकारी स्कूलों में छात्रों के दाखिले क्यों घट रहे हैं और उनकी हाजिरी इतनी कम क्यों है?

दिल्ली के इकनॉमिक सर्वे 2021-22 के आंकड़ों का हवाला देते हुए चिट्ठी में कहा गया है कि एलजी ने इस बात पर गहन चिंता जताई है कि एजुकेशन सेक्टर में इतना अधिक निवेश करने के बावजूद सरकारी स्कूलों में छात्रों का दाखिला कम क्यों होता जा रहा है। सर्वे के आंकड़ों का जिक्र करते कहा गया है कि 2014-15 में शिक्षा पर निवेश 6145.03 करोड़ रुपये था, जो 2019-20 तक बढ़कर 11,081.09 करोड़ तक पहुंच गया। प्रति छात्र सालाना खर्च भी 2015-16 के 42,806 रुपये के मुकाबले 2019-20 में बढ़कर 66,593 रुपये हो गया, मगर इस दौरान सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ने के बजाय और कम हो गई। साल 2014-15 में जहां सरकारी स्कूलों में 15.42 लाख छात्र पढ़ते थे, वहीं 2019-20 में उनकी तादाद घटकर 15.19 लाख रह गई।

इसके अलावा साल-2017 से 2022 के बीच सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति कम रहने पर भी एलजी ने चिंता जताई। आंकड़ों के हवाले से बताया गया कि इस दौरान उपस्थिति 55 से 61 पर्सेंट के बीच ही रही, यानी बड़ी तादाद में छात्र स्कूल से नदारद रहे और करीब 6 लाख छात्रों ने नियमित रूप से क्लासेज अटेंड ही नहीं की। एलजी ने चीफ सेक्रेट्री को इसके कारणों की जांच करने और इस संबंध में प्राथमिकता के आधार पर एक नोट बनाकर भेजने का निर्देश दिया है। हालांकि, एलजी ऑफिस की तरफ से अभी विधानसभा में एलजी पर लगाए गए आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया गया है।

आप और बीजेपी दोनों के विधायकों का धरना
विधानसभा परिसर में सत्ता पक्ष और विपक्षी की नूराकुश्ती का एक नया अंदाज देखने को मिला। सदन के अंदर चल रही भिड़ंत सदन के बाहर तक आ गई और दोनों दलों के विधायक विधानसभा परिसर में ही रात्रिकालीन धरने पर बैठ गए। एलजी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद आम आदमी पार्टी के विधायक उन्हें पद से हटाने की मांग को लेकर गांधी जी की प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए। जवाब में बीजेपी के विधायकों ने भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे डिप्टी सीएम को बर्खास्त करने की मांग को लेकर विधानसभा परिसर में लगी शहीदों की प्रतिमाओं के पास धरना शुरू कर दिया। दोनों पार्टियों के विधायकों ने दावा किया कि वे पूरी रात विधानसभा परिसर में ही धरने पर बैठे रहे।

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