हाईकोर्ट आदेश की अपनी ‘व्याख्या’ कर सुविधा क्षेत्र दफन कर रही सरकार
मास्टर प्लान मामले में जोधपुर हाईकोर्ट के आदेश की उड़ा रहे धज्जियां
जयपुर। मास्टर प्लान मामले में हाईकोर्ट के आदेश को अक्षरश: लागू करने की बजाय सरकार उसकी धज्जियां उड़ाने पर उतारू है। सुविधा क्षेत्र को बहाल करने की बजाय लोगों से फेसेलिटी सेस लेकर पट्टा देने के मामले में यह स्थिति सामने आई है। इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश की अपनी ‘व्याख्या’ कर ऐसे आदेश जारी किए गए हैं। जबकि, कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि सुनियोजित विकास के लिए सुविधा क्षेत्र को बहाल करना होगा। इसमें खुला क्षेत्र, हरित क्षेत्र, खेल मैदान, गार्डन, पार्क, रिक्रिएशन क्षेत्र व अन्य सुविधा शामिल है। इसके बावजूद गलत तरीके से सृजित सभी कॉलोनियों में सुविधा क्षेत्र विकसित करने की बजाय वहां पट्टे देकर वैध किया जा रहा है। विषय विशेषज्ञों का दावा है कि नगरीय विकास विभाग का यह आदेश कोर्ट आदेश की अवहेलना है।
1. कोर्ट का यह है आदेश— जोधपुर हाईकोर्ट के 12 जनवरी 2017 को विस्तृत आदेश दिए। इसमें साफ किया गया है कि स्थानीय निकाय और राज्य सरकार को उन कॉलोनियों खुला क्षेत्र, पार्क, मैदान, हरित क्षेत्र सहित अन्य सुविधा क्षेत्र को बहाल करना होगा, जिसे अन्य अनाधिकृत उपयोग के लिए ले लिया गया हो। यह जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर सहित अन्य सभी शहरों के लिए प्रभावी है।
2. इनकी अपनी व्याख्या— अफसर इसकी अपनी व्याख्या कर सरकार को गुमराह कर रहे हैं। उनका तर्क है कि हाईकोर्ट ने बहाल (रिस्टोर) करने के लिए कहा है, लेकिन मौके पर कभी निर्धारित सुविधा क्षेत्र था ही नहीं तो फिर बहाल किसे करें।
3. हकीकत— ऐसी कॉलोनियां जिनका ले-आउट प्लान स्वीकृत है, वहां भी सरकार निर्धारित सुविधा क्षेत्र उपलब्ध कराने में फेल रही है। निर्धारित प्रावधान के विपरीत ज्यादातर कॉलोनियां गृह निर्माण सहकारी समिति, खातेदारों ने बसाई है। इन्हें दण्डित की जाने की बजाय स्थानीय लोगों से पट्टों के नाम पर फेसेलिटी सेस की वसूली की जाएगी।
हाईकोर्ट का इस तरह है फोकस
-ईको सेंसिटिव जोन, ईकॉलोजिकल जोन व हरित क्षेत्र एक बार तय होने पर मास्टर प्लान में इनकी जगह में बदलाव नहीं हो।
-आबादी पर पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन करने के बाद ही मास्टर प्लान में बदलाव हो, हरित क्षेत्र व खुला क्षेत्र की न्यूनतम आवश्यकता पूरी हो।
-निजी या सहकारी संस्थाओं की ओर से सृजित कॉलोनियों में खुला क्षेत्र, सुविधा केन्द्र, खेल मैदान, उद्यान व मनोरंजन केन्द्र स्थल को हर हाल में बहाल रखा जाए, सरकार व स्थानीय निकाय इसकी पालना सुनिश्चित करें।
-हरित क्षेत्र के नियमों का उल्लंघन कर हुए निर्माण को ध्वस्त किया जाए।
मास्टर प्लान मामले में जोधपुर हाईकोर्ट के आदेश की उड़ा रहे धज्जियां
जयपुर। मास्टर प्लान मामले में हाईकोर्ट के आदेश को अक्षरश: लागू करने की बजाय सरकार उसकी धज्जियां उड़ाने पर उतारू है। सुविधा क्षेत्र को बहाल करने की बजाय लोगों से फेसेलिटी सेस लेकर पट्टा देने के मामले में यह स्थिति सामने आई है। इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश की अपनी ‘व्याख्या’ कर ऐसे आदेश जारी किए गए हैं। जबकि, कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि सुनियोजित विकास के लिए सुविधा क्षेत्र को बहाल करना होगा। इसमें खुला क्षेत्र, हरित क्षेत्र, खेल मैदान, गार्डन, पार्क, रिक्रिएशन क्षेत्र व अन्य सुविधा शामिल है। इसके बावजूद गलत तरीके से सृजित सभी कॉलोनियों में सुविधा क्षेत्र विकसित करने की बजाय वहां पट्टे देकर वैध किया जा रहा है। विषय विशेषज्ञों का दावा है कि नगरीय विकास विभाग का यह आदेश कोर्ट आदेश की अवहेलना है।
1. कोर्ट का यह है आदेश— जोधपुर हाईकोर्ट के 12 जनवरी 2017 को विस्तृत आदेश दिए। इसमें साफ किया गया है कि स्थानीय निकाय और राज्य सरकार को उन कॉलोनियों खुला क्षेत्र, पार्क, मैदान, हरित क्षेत्र सहित अन्य सुविधा क्षेत्र को बहाल करना होगा, जिसे अन्य अनाधिकृत उपयोग के लिए ले लिया गया हो। यह जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर सहित अन्य सभी शहरों के लिए प्रभावी है।
2. इनकी अपनी व्याख्या— अफसर इसकी अपनी व्याख्या कर सरकार को गुमराह कर रहे हैं। उनका तर्क है कि हाईकोर्ट ने बहाल (रिस्टोर) करने के लिए कहा है, लेकिन मौके पर कभी निर्धारित सुविधा क्षेत्र था ही नहीं तो फिर बहाल किसे करें।
3. हकीकत— ऐसी कॉलोनियां जिनका ले-आउट प्लान स्वीकृत है, वहां भी सरकार निर्धारित सुविधा क्षेत्र उपलब्ध कराने में फेल रही है। निर्धारित प्रावधान के विपरीत ज्यादातर कॉलोनियां गृह निर्माण सहकारी समिति, खातेदारों ने बसाई है। इन्हें दण्डित की जाने की बजाय स्थानीय लोगों से पट्टों के नाम पर फेसेलिटी सेस की वसूली की जाएगी।
हाईकोर्ट का इस तरह है फोकस
-ईको सेंसिटिव जोन, ईकॉलोजिकल जोन व हरित क्षेत्र एक बार तय होने पर मास्टर प्लान में इनकी जगह में बदलाव नहीं हो।
-आबादी पर पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन करने के बाद ही मास्टर प्लान में बदलाव हो, हरित क्षेत्र व खुला क्षेत्र की न्यूनतम आवश्यकता पूरी हो।
-निजी या सहकारी संस्थाओं की ओर से सृजित कॉलोनियों में खुला क्षेत्र, सुविधा केन्द्र, खेल मैदान, उद्यान व मनोरंजन केन्द्र स्थल को हर हाल में बहाल रखा जाए, सरकार व स्थानीय निकाय इसकी पालना सुनिश्चित करें।
-हरित क्षेत्र के नियमों का उल्लंघन कर हुए निर्माण को ध्वस्त किया जाए।