सांप और मानव में संघर्ष बढ़ा, कई प्रजातियां खतरे में | Many species of snakes are in danger | Patrika News

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सांप और मानव में संघर्ष बढ़ा, कई प्रजातियां खतरे में | Many species of snakes are in danger | Patrika News

सांप और मानव में संघर्ष बढ़ा, कई प्रजातियां खतरे में | Many species of snakes are in danger | Patrika News

सांपों के अनुकूल हैं जबलपुर की पहाडिय़ां और जंगल

जबलपुर। नर्मदा का कछार मानव भर के लिए ही नहीं, जंगली और सरीसृप जीवों के लिए भी अनुकूल है। लेकिन, आबादी का दायरा बढऩे व जंगली दायरा सिकुडऩे से एक अलग तरह का संघर्ष छिड़ गया है। इसमें सबसे अधिक संकट में सांप हैं।
जानकारों के अनुसार जबलपुर जिले में घर व दूसरे रहवासों में सांप निकलने की 250-300 शिकायतें आती हैं। इनमें से आधे ही बच पाते हैं। वरना, डसने के डर से लोग इन्हें मार देते हैं। यह डर अनायास नहीं है। औसतन हर महीने 8 से 10 लोगों की मौत सर्पदंश से हो रही है।
डरा रहा संघर्ष- यह संघर्ष जीव विज्ञानियों को डरा रहा है। वजह सांप की कई प्रजातियों पर गहराता संकट है। जबलपुर नदियों, पहाड़ों और जंगल से घिरा है। विशेषज्ञों के अनुसार यह प्राकृतिक स्थिति सांपों के अनुकूल मानी जाती है। यही वजह है कि यहां विषधर सांपों से लेकर सामान्य प्रजाति के सांप भी पाए जाते हैं। मदन महल, बरगी, डुमना, ईडीके एरिया, खमरिया के अलावा पाटन, कटंगी, शहपुरा के जंगलों में सांपों की विभिन्न प्रजातियां हैं। इन इलाकों में मानव दखल बढऩे से सांप व मानव में संघर्ष बढ़ा है।
हर माह सर्पदंश से 10 की मौत– जिले में हर माह सांप निकलने के 200-250 शिकायतें आती हैं। हर माह सांप के डसने से 8-10 लोगों की मौत भी हो रही है। सर्पदंश से मौतों के अधिकतर मामले ग्रामीण क्षेत्रों पाटन,
ये प्रजातियां शहर में- जबलपुर में ङ्क्षकग कोबरा, करैत, रसैल वाइपर, धामन, अजगर, सुकरी, ङ्क्षट्रकेट, बुल्फ स्नेक, ट्रीस्नेक, पनेला, सेंड बोआ, रैंड सेंड आदि प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। इनमें से रेंड सेंड बोआ, ङ्क्षकग कोबरा संरक्षित प्रजातियों में शामिल हैं।
बचा रहे सर्प प्रेमी- वन विभाग के साथ ही कई युवा और सर्प विशेषज्ञ सांपों को बचाने में लगे हैं। वे नागपंचमी पर सपेरों के पास मिले सांपों को वन विभाग के सुपुर्द करने और उनका इलाज कराने में भी सहयोग करते हैं।
शहर में सांपों की कई प्रजातियां हैं। इसमें जहरीले और साधारण सांप भी शामिल हैं। कई बार रेस्क्यू के दौरान सेंड बोआ और ङ्क्षकग कोबरा प्रजाति के सांप भी मिलते हैं। दो दशकों से सांपों का रेस्क्यू कर रहे हैं।
गजेंद्र दुबे, सर्प विशेषज्ञ
दो दशक से सांपों को पकड़ रहे हैं। अब तक हजारों सांपो का रेस्क्यू किया है। घायल सांपों का वेटरनरी चिकित्सकों के सहयोग से इलाज भी कराते हैं। सांपों का संरक्षण आवश्यक है।
धनंजय घोष, सर्प विशेषज्ञ
अधिकतर सांप जहरीले नहीं होते। लेकिन, उनका डर इतना ज्यादा होता है कि लोग इसे देखते ही मारने पर उतारू हो जाते हैं। जबकि, सांप भी पर्यावरण में विशेष भूमिका निभाते हैं।
रत्नेश आथ्या, सर्प मित्र



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