संपत्ति बन गई परिवार के मुखिया बुजुर्ग की परेशानी | Property has become the problem of senior citizen | Patrika News

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संपत्ति बन गई परिवार के मुखिया बुजुर्ग की परेशानी | Property has become the problem of senior citizen | Patrika News

संपत्ति बन गई परिवार के मुखिया बुजुर्ग की परेशानी | Property has become the problem of senior citizen | Patrika News

बुजुर्गों की परेशानी को देखते हुए भरण पोषण अधिनियिम के प्रावधानों का सहारा लेकर अब न्याय दिलाने के प्रयास किए जा रहे है। वैसे तो यह अधिनियम 1950 में ही बन गया था लेकिन अब बुजुर्गों के लिए ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है। कुछ साल पहले तक परिवार के लिए बुजुर्ग का घर में रहना उनका आशीर्वाद माना जाता था लेकिन अब कई मामलों में यह बोझ बनकर सामने आ रहा है। आज वल्र्ड सीनियर सिटीजन डे है। शहर में बुजुर्गों की समस्या के हल के लिए सीनियर सिटीजन पंचायत व आलंबन वरिष्ठ नागरिक परामर्श केंद के जरिए काम किया जा रहा है। पंचायत में एडिशनल डीसीपी प्रशांत चौबे के नेतृत्व में काउंसलर की टीम काम करती है और परामर्श केंद्र में रिटायर्ड सरकारी अधिकारी बुजुर्गों को न्याय दिला रहे है। दोनों ही जगह आने वाली शिकायतों से साफ है कि बुजुर्गों के लिए अपने ही परेशानी का कारण बन गए है।

तीन बेटे, एक ने किया दुकान पर कब्जा, दो खाने को भी नहीं दे रहे
छावनी इलाके के एक व्यापारी ने तीन बेटों को लेकर शिकायत की। पिता ने तीन बेटों का पालन पोषण किया और व्यापार को आगे बढ़ाया। अब उनके पास मकान, दुकान है। बुजुर्ग हो गए है, काम नहीं होता। स्थिति यह है कि एक बेटे ने दुकान पर कब्जाकर लिया, दो बेटें भी ध्यान नहीं देते। दो समय के खाने के मोहताज हो गए है। परामर्श केंद्र में शिकायत की तो अध्यक्ष एनएस जौदान, डॉ. आरके शर्मा, केके बिड़ला, जीएम पाठक, वासुदेव रावल, महेश गोयल, एडी पाटिल, एमसी शर्मा, ब्रजेश शर्मा, रामेश्वर कुशवाह, आनंद श्रीवास्तव, अनिल चितांबरे, ओम दरबार, राकेश अजमेरा की टीम ने काउंसलिंग की। बेटों को बुलाया, कानूनी प्रावधान बताए तो भरण पोषण देने के लिए तैयार हुए।

माता-पिता भोपाल में, बेटी ने कर लिया मकान पर कब्जा
रिटायर्ड अफसर व उनकी पत्नी पुलिस पंचायत के पास अपनी बेटी की शिकायत लेकर पहुंची। माता-पिता भोपाल में है, इंदौर में मकान है लेकिन बेटी ने कब्जा कर लिया। बुढापे में मकान सहारा था लेकिन बेटी वहां भटकने नहीं दे रही। पंचायत की सख्त समझाइश से बेटी को राहत मिली। दूसरे मामले में बेटी पति के साथ अपने मायके में आकर रहने लगी और बैंक खाते तक कब्जे में कर लिए। पंचायत ने कानूनी प्रावधान बताए तो दामान दूसरी जगह मकान लेकर परिवार सहित चला गया।

बेटे व पोते ने कर दिया जीवन परेशान
पुलिस के पास पहुंचे बुजुर्ग बेटे व पोते के कारण परेशान थे। रिटायर्ड अधिकारी बुजुर्ग ने बताया कि बेटा का व्यापार स्थापित करके दिया। अब बेटा पोते के साथ मिलकर परेशान करता है। पोता घर छोड़कर जाने के लिए कहता है, नहीं जाने पर जहर देकर मारने की धमकी देता है। पुलिस ने समझाया तो पालन पोषण के लिए दोनों तैयार हो गए। एक मामले में बुजुर्ग ने बेटे की कोराना से मौत के बाद बहू की शादी कर दी तो वह दूसरे पति के साथ मकान पर कब्जे की कोशिश में लग गई। पुलिस की सख्ती से यहां बुजुर्ग को राहत मिली।
आलंबन वरिष्ठ नागरिक परामर्श केंद्र (पलासिया व कलेक्टोरेट परिसर)
परामर्श केंद्र में पिछले सालों में कुल 995 शिकायतें आई। उसमें से करीब 65 से 70 प्रतिशत मामले में बुजुर्ग अपने बेटे-बहू से ही परेशान थे। अधिकांश केस में बेटा-बहू उनकी जमा पूंजी व मकान हड़पने के प्रयास में थे।
बहू-बेटे के द्वारा परेशान करने के मामले- 688
नाती-पोतो से परेशान होने की शिकायत -13
धोखाधड़ी कर जबरन संपत्ति पर कब्जे संबंधि- 75
माता-पिता का भरण पोषण न करना-136
माता-पिता को लावारिस छोडऩा- 02

संपत्ति बनी बड़ी परेशानी, सख्ती दिखाने पर ही मिलती है राहत
बुजुर्ग की जमा पूंजी व संपत्ति परेशानी बन गई है। और कोई नहीं उनकी संतान ही संपत्ति को हड़पने के लिए बुजुर्गों को परेशान करते है। काउंसलिंग में समझाइश देते है, कानून प्रावधान की सख्ती दिखाते है तब कहीं जाकर बुजुर्गों का राहत मिलती है।
एनएस जादौन, रिटायर्ड डीएसपी।

आमने-सामने बैठाकर समझाते, कानूनी मदद भी करते
सीनियर सिटीजन की अधिकांश शिकायतें, बेटा-बहू व बेटी को लेकर आ रही है। इन केस में आमने सामने बैठाकर समझाइश दी जाती है जिसमें से अधिकांश में राहत मिल जाती है। बुजुर्ग इतने परेशान हो जाते है कि उनके आंंसू निकल आते है। जिन केस मेें समझौता नहीं होती उसमें कानूनी मदद कराई जाती है।
प्रशांत चौबे, एडिशनल डीसीपी (नोडल अधिकारी)।



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