श्री कृष्ण की भाद्रपद माह में ऐसे करें पूजा, जानें कब है जन्माष्टमी?

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श्री कृष्ण की भाद्रपद माह में ऐसे करें पूजा, जानें कब है जन्माष्टमी?

हिंदू कैलेंडर का छठा माह भाद्रपद

हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। भाद्रपद मास हिंदू कैलेंडर का छठा माह होता है।

वहीं साल 2021 में सोमवार, 23 अगस्त से भाद्रपद माह का शुभारंभ हुआ, वहीं इस माह सोमवार, 30 अगस्त 2021 यानि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। ऐसे में आज हम आपको श्री कृष्ण की भाद्रपद में पूजा के महत्व से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं।

इस संबंध में पंडित एके शुक्ला का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विष्णु भगवान को भाद्रपद माह काफी प्रिय बताया गया है। ऐसे में जिस तरह से पूरी श्रद्धा विश्वास से भक्त श्रावण माह में भगवान शंकर की पूजा करते हैं ठीक उसी प्रकार भाद्रपद यानि भादो के माह में भक्त श्री हरि की और इनके श्री कृष्ण स्वरूप की पूजा करते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अनुसार भी इसी माह में भगवान श्री हरि विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में धरती पर 8वां अवतार लिया था। इसके चलते भी भाद्रपद माह का महत्व अधिक बढ़ जाता है।

ऐसे में जानकारों के अनुसार जहां एक तरफ़ इस माह में श्री कृष्ण से जुड़े उपाय विशेष लाभदायक सिद्ध होते हैं। वहीं भाद्रपद के बृहस्पतिवार श्री हरि विष्णु व श्रीकृष्ण की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं, क्योंकि इस दिन के कारक देव ही श्री हरि विष्णु ही हैं।

इस पूरे माह श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप भी विशेष फल प्रदान करता है। इस भाद्रपद माह क्या करें, ऐसे समझें –

भगवान कृष्ण की करें पूजा-
पंडित शुक्ला के मुताबिक भाद्रपद में श्रीकृष्ण भगवान की अराधना विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि जो जातक इस माह में श्रीकृष्ण पूजा करता है उसे पूजन विधि से जुड़ी सभी बातों का ज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि पूजन विधि में हल्की सी भी चूक आपको पूर्ण आशीर्वाद की प्राप्ति में बाधक बन सकती है।

पं. शुक्ला के अनुसार भाद्रपद माह में श्रीमद्भग्वदगीता का पाठ करना बेहद विशेष माना गया है, माना जाता है कि श्रीमद्भग्वदगीता का पाठ इस समय करना अति शुभदायक होता है।

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ऐसे करें श्री कृष्ण की पूजा-
: ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि नित्य कर्म के पश्चात हल्के रंग के विशेषकर पीले शुद्ध यानि धुले हुए साफ वस्त्र पहनें।

: इसके बाद श्री कृष्ण की पूजा के लिए सर्वप्रथम चौकी पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद भगवान कृष्ण की मूर्ति एक पात्र में रखिए। फिर इसके सामने दीपक जलाने के बाद धूपबत्ती करें।

: इसके पश्चात श्री कृष्ण भगवान पूजा संकल्प लेकर श्री कृष्ण से इसके पूरा होने की प्रार्थना करें।

: तत्पश्चात श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराकर पुन: गंगाजल से स्नान कराएं।

: स्नान के बाद श्री कृष्ण की मूर्ति/प्रतिमा को साफ़-सुथरे अथवा नए वस्त्र पहनाएं, और फिर इनका श्रृंगार करें इसके बाद एक बार फिर से इनके सामने दीप जलाकर, धूप दिखाएं।

: इस समय पूजा के दौरान श्री कृष्ण को अष्टगंध चन्दन या रोली का ही तिलक लगाएं, जिसमें अक्षत मिले हों।

: श्री कृष्ण को भोग लगाते समय उनकी सबसे प्रिय माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पित करें, विशेष रूप से इस बात का ख्याल रखें कि हर व्यजंन में तुलसी का पत्ता अवश्य हो।

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