शिवसेना-एनसीपी हैं साथ-साथ, मिलकर लड़ेंगे चुनाव

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शिवसेना-एनसीपी हैं साथ-साथ, मिलकर लड़ेंगे चुनाव

मुंबई
शिवसेना और एनसीपी ने मिलकर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं, वहीं कांग्रेस एकला चलो का राग अलाप रही है। कांग्रेस के अपने दम पर चुनाव लड़ने की पुनरुक्ति के बाद शिवसेना ने मुखपत्र के जरिए संकेत दिया है कि राज्य में अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ना चाहती है, तो कोई बात नहीं। लेकिन, शिवसेना और एनसीपी मिलकर चुनाव लड़ेगी। एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने यही बात कही है।

शिवसेना ने तो सीधे कांग्रेस से यह सवाल भी पूछा है कि क्या कांग्रेस राज्य में मध्यावधि चुनाव कराने की योजना बना रही है? मुखपत्र में लिखा कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अकेले चुनाव लड़ने की बात करनी शुरू कर दी है, तो शिवसेना और एनसीपी को महाराष्ट्र के हित में अगला चुनाव एक साथ मिलकर लड़ना होगा।

वहीं, पाटील ने कहा कि कांग्रेस राज्य में अपनी ताकत पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है, लेकिन सब जानते हैं कि किसकी कितनी ताकत है। वक्त की जरूरत है कि तीनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ें। लेकिन, अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ना चाहती है, तो शिवसेना और एनसीपी राज्य के हित में एक साथ चुनाव लड़ेंगे।

पाटोले के बयान के बाद प्रतिक्रिया
बता दें कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पाटोले राज्य में सभी स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के कार्याध्यक्ष नसीम खान का कहना है कि जो प्रदेश अध्यक्ष कह रहे हैं, वही पार्टी की नीति भी है। इस पर एनसीपी और शिवसेना के नेताओं का कहना है कि मिलकर चुनाव लड़ना है या अकेले चुनाव लड़ना है, इसका फैसला सोनिया गांधी और राहुल गांधी करेंगे। एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने तो यह भी कहा कि आज कांग्रेस की राय अकेले चुनाव लड़ने की हो सकती है, लेकिन 2024 के आते-आते बदल भी सकती है।

सुनील देशमुख बीजेपी को करेंगे बाय-बाय
पूर्व मंत्री व बीजेपी नेता सुनील देशमुख पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल होंगे। 19 जून को राहुल गांधी के जन्मदिन पर कांग्रेस में प्रवेश करेंगे। माना जा रहा है कि उस दिन कई और दूसरे दलों के नेता भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस में शामिल होने की पुष्टि देशमुख ने खुद की है। देशमुख पहले कांग्रेस में ही थे। 1978 में कांग्रेस से जुड़े थे। 2004 में कांग्रेस के टिकट पर अमरावती से विधायक चुने गए थे। उन्हें विलासराव देशमुख सरकार में वित्त राज्यमंत्री भी बनाया गया था।

सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के बेटे राजेंद्र सिंह शेखावत से किसी बात को लेकर अनबन हो गई और इतनी बढ़ गई कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का निर्णय ले लिया। 2014 में बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी के टिकट पर विधायक भी बने, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार सुलभा खोडके के हाथों पराजित होना पड़ा।

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