विश्व अंगदान दिवस-दुनिया से जाने के बाद भी सितारा बन गया 7 वर्ष का मोहित, राजस्थानियों को दिखाई अंगदान की राह | world organ donation day | Patrika News

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विश्व अंगदान दिवस-दुनिया से जाने के बाद भी सितारा बन गया 7 वर्ष का मोहित, राजस्थानियों को दिखाई अंगदान की राह | world organ donation day | Patrika News

विश्व अंगदान दिवस-दुनिया से जाने के बाद भी सितारा बन गया 7 वर्ष का मोहित, राजस्थानियों को दिखाई अंगदान की राह | world organ donation day | Patrika News

मोहित का हुआ था सबसे पहले राजस्थान में अंगदान
अलवर के तिलवाड़ में रहले वाले मोहित का राजस्थान में सबसे पहले अंगदान हुआ। साल 2015 में चारा काटने की मशीन में फंसने के बाद मोहित को जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में लाया गया। जहां पर मोहित को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।

इसके बाद डॉक्टर्स की टीम ने मोहित के परिजनों से पहली बार अंगदान के लिए प्रेरित किया। काफी समझाइश के बाद मोहित के परिजन तैयार हुए और 5 फरवरी 2015 में ब्रेन डेड मोहित के शरीर से 2 किडनी और लिवर निकाल कर ट्रांसप्लांट किए गए।

यह राजस्थान का पहला केस था जब किसी भी शरीर से परिजनों की सहमति से अंगदान कर 2 लोगों को जीवनदान दिया गया। साथ ही राजस्थान का पहला एनब्लॉक किडनी ट्रांसप्लांट भी इसी केस में हुआ। जिसमें मोहित की किडनी का साइज उम्र के कारण छोटा होने से दोनों किडनी एक ही व्यक्ति को लगाई गई। अक्सर एक किड़नी एक व्यक्ति में प्रत्यारोपित की जाती है।

14 साल की राधारानी बनीं मिसाल,एसएमएस में हुआ था पहला अंगदान
सवाईमाधोपुर भगवतगढ़ गांव की 14 वर्षीय राधारानी भी खुद दुनिया से जाकर आसमां का चमकता सितारा बन गई। लेकिन राजस्थान के निवासियों के लिए मिसाल पेश की। छत से गिरने के बाद उसे 22 फरवरी 2015 में ही जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

यहा ब्रेन डेड घोषित हुई तो डॉक्टर्स की टीम ने अंगदान के लिए परिजनों से समझाइश की और परिजन सहमत हुए तो राधारानी की दो किडनी और एक लिवर को प्रत्यारोपित करने से तीन लोगों को नया जीवनदान मिला। एसएमएस का अंगदान या ट्रांसप्लांट का यह पहला केस था यही कारण रहा कि तत्कालीन अधीक्षक डॉ.मानप्रकाश शर्मा ने एसएमएस के पोस्ट ट्रांसप्लांट वार्ड का नामकरण राधारानी के नाम पर रख दिया।

राजू लोहार संसार में नहीं लेकिल आज भी धड़कता है उसका दिल
2 अगस्त 2015 को राजू के अंगदान से राजस्थान में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ। 18 साल के राजू के सडक़ हादसे के बाद ब्रेनडेड होने के बाद चिकित्सकों के समझाने के बाद उसके परिजनों ने सीतापुरा स्थित निजी अस्पताल में दिल,लिवर व दोनों किडनी दान कर दी थी। राजू का दिल अस्पताल में ही दूसरे मरीज सूरजभान को ट्रांसप्लांट किया गया। जिसके बाद राजू का दिल उसके संसार के चले जाने के 7 साल बाद भी धड़क रहा हैं।

अब तक 46 कैडेवर ट्रांसप्लांट
राजस्थान में अंगदान के लिए स्टेट ऑेर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट की स्थापना साल 2019 में हुई। इससे पहले ही अंगदान की 2015 से शुुरुआत हो गई थी। सोट्टो के अनुसार प्रदेश में 7 साल में 46 कैडेवर ट्रांसप्लांट से 170 अंग प्रत्योरोपित किए जा चुके है।

सोट्टो के डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि देश में प्रति मिलीयन पर अंगदान डोनेशन की रेट सिर्फ 0.8 प्रतिशत है। जबकि लोगों को इसके प्रति जागरुक रहकर अंगदान की मुहिम में साथ देना चाहिए। जिससे की गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को जीवनदान मिल सकें। वहीं अंगदान को लेकर जो मिथ है वह दूर हो सकें।
आज तक सिर्फ दो शरीर से मिले ज्यादा अंग
साल 2016 में गिरधारी पांचाल और राजेन्द्र सिर्फ दो ही ऐसे कैडेवर डोनेशन हुए जिनके शरीर ज्यादा अंगों को निकालने की स्वीकृति उनके परिजनों ने दी। सोट्टो से मिली जानकारी के अनुसार अगर बॉडी डोनेट भी होती है तो परिजन लंग्स और हार्ट डोनेट करने को तैयार नहीं होते है। सिर्फ गिरधारी और राजेन्द्र ही ऐसे सितारे है जिनके शरीर से लिवर,किडनी,हार्ट,कॉर्नियां,पैनक्रियाज और लंग्स को निकालकर प्रत्यारोपित किया गया।

कैडेवर डोनेशन से अब तक 85 किडनी,41 लिवर,25 हार्ट,4लंग्स,1 पैनक्रियाज,12 कॉर्नियां और 2 हार्ट वाल्व ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं।



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