रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून से पिंड छुड़ाएगी मोदी सरकार, जानिए तब प्रणव मुखर्जी ने क्या कहा था..

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रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून से पिंड छुड़ाएगी मोदी सरकार, जानिए तब प्रणव मुखर्जी ने क्या कहा था..

हाइलाइट्स

  • रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून को खत्म कर रही है सरकार
  • यह कानून 2012 में बना था तब प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री थे
  • इसे आईटी डिपार्टमेंट को रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का अधिकार मिला था

नई दिल्ली
सरकार विवादित रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कानून (Retrospective tax law) को खत्म करने जा रही है। इसके लिए गुरुवार को टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) बिल, 2021 संसद में पेश किया। पहले की तारीख से टैक्स लगाने का यह कानून 2012 में बना था। उस समय प्रणव मुखर्जी देश के वित्त मंत्री थे। उन्होंने फाइनेंस ऐक्ट में बदलाव किया था जिससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का अधिकार मिल गया था।

तब प्रणव मुखर्जी ने इसे सही ठहराते हुए कहा था कि कोर्ट ने कई मौकों पर इस तरह का सुझाव दिया है। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में कहा गया है कि सरकार को इसका समाधान करना चाहिए। निवेशकों की जिम्मेदारी और ऑनर्स को लेकर स्पष्टता होनी चाहिए। सरकार संशोधन करके ही ऐसा कर सकती है। इसलिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जरूरी स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं और फाइनेंस बिल में जरूरी कदम उठाए गए हैं।

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जी का जंजाल बना यह कानून
इस कानून को लेकर काफी विवाद पैदा हुआ और विदेश निवेश आकर्षित करने को लेकर भारत की साख को भी धक्का लगा। कई टैक्स एक्सपर्ट ने भी इस पर सवाल उठाए थे। दरअसल रेट्रोस्पेक्टिव टैक्सेशन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें नए कानून के पास होने की तारीख से पहले टैक्स लागू हो जाता है। यह टैक्स इनकम टैक्स विभाग कंपनियों पर लगाता है। इस कानून के तहत भारत सरकार ने ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) और वोडाफोन (Vodafone) को टैक्स डिमांड भेजा था।

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दोनों कंपनियों ने भारत सरकार के टैक्स की मांग को कोर्ट में चुनौती दी थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद दोनों कंपनियों की जीत हुई है। अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने इन कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। केयर्न ने तो अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फैसले को लागू कराने के लिए दुनिया के कई देशों में मामला दायर किया हुआ है। यही वजह है कि इस सरकार अब इस कानून के पिंड छुड़ाना चाहती है।

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