राज्यसभा चुनाव अखिलेश के सामने बनेगी चुनौती | Rajya Sabha Elections Big Challenge For Akhilesh Yadav | Patrika News

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राज्यसभा चुनाव अखिलेश के सामने बनेगी चुनौती | Rajya Sabha Elections Big Challenge For Akhilesh Yadav | Patrika News

विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही चाचा शिवपाल और आजम खान की नाराजगी देखने को मिल रही है। इसे लेकर कई दल सपा को घेर चुके हैं। आजम को लेकर उनके समर्थक भी खुले मंचों से अपना विरोध जता चुके हैं। सपा मुखिया को कई बार सफाई देने पड़ी है। उनके साथ रहने की दुहाई भी देनी पड़ी है। सपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार आजम खान भी अपने के हितैषी के लिए टिकट चाहते हैं। इनके अलावा भी सपा के कई नेता राज्यसभा के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। लेकिन सपा के सामने निष्ठावान और जनाधार वाले नेता को राज्यसभा भेजने की बड़ी चुनौती है। सहयोगी दल के लोग भी अपने-अपने खास को चाहेंगे। ऐसे में पार्टी मुखिया को निर्णय लेना होगा। प्रसपा मुखिया शिवपाल यादव और आजम खां के समर्थक विधायकों ने भी अपना मूड बना लिया होगा। ऐसे में उन्हें भी संभालना होगा।

हारे नेता जाना चाहते हैं राज्यसभा दशकों से राजनीति में नजर रखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश के सामने कई चुनौतियां है। जिनसे पार पाना अभी मुश्किल दिखाई दे रहा है। जहां तक राज्यसभा चुनाव का सवाल है। उसमें आजम व शिवपाल की बड़ी भूमिका हो सकती है। क्योंकि इनके समर्थक इधर-उधर कर सकते है। ऐसे में सभी को एकजुट रखने के लिए अखिलेश के सामने चुनौती है। इसके बाद कौन-कौन से नेता राज्यसभा भेजे जाने है। इस पर भी लोग पैनी निगाह रखेंगे। क्योंकि तमाम हारे नेता अब राज्यसभा ही जाना चाहेंगे। क्योंकि सपा और सहयोगी दलों को मिलाकर इनके पास कुल 125 विधायक है। तीन सीट तो आसानी से निकाल लेगी। अगर चौथी के लिए प्रयास किया तो भाजपा से संघर्ष करना पड़ेगा। विधायकों को भी क्रॉस वोटिंग से बचाना होगा।

सपा को राज्यसभा चुनाव में कर सकते हैं सपोर्ट
ज्ञात है कि राज्यसभा में एक सदस्य के निर्वाचन के लिए 37.63 वोटों की जरूरत होती है। सपा के पास 111 विधायक हैं। उसके गठबंधन सहयोगी रालोद के पास 8 और सुभासपा के पास 6 विधायक हैं। सपा गठबंधन अगर तीन प्रत्याशी उतरता है तो उसे 113 विधायकों की जरूरत होगी। ऐसे में उसके पास 12 विधायक अतिरिक्त बचेंगे। दो सीटों का सहयोग कांग्रेस भी कर सकती है। वहीं भाजपा के पास वर्तमान में 255 विधायक हैं। सहयोगी अपना दल के पास 12 व निषाद पार्टी के पास 6 है। इस हिसाब से सात सीटे पक्की है। इसके बाद गठबंधन के बाद 12 विधायक बचते हैं। राजा भाइया की पार्टी जनसत्ता दल के दो विधायकों का साथ मिल सकता है। पार्टी को इनके समेत दूसरी वरीयता के वोटों के साथ 8 सीटें जीतने की स्थित में है। अगर 9वां प्रत्याशी उतरा तो उसे सपा के वोंटो पर सेंधमारी करनी पड़ेगी।



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