मोटापा और हर्निया कई लोग हैं शिकार,पढ़िए पूरी खबर

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मोटापा और हर्निया कई लोग हैं शिकार,पढ़िए पूरी खबर

जो लोग इन दोनों समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए बैरिएट्रिक सर्जरी एक सुरक्षित तरीका है

लखनऊ ,मोटापा भारत में प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यह अनुमान है कि हमारे देश में मोटापे के शिकार लोगों की संख्या 2010 से 2040 की अवधि में तिगुनी हो जाएगी। जबकि ऐसे व्यस्क (20-69 वर्ष की आयुवर्ग) जिनका वज़न सामान्य से अधिक है की आबादी इस अवधि के दौरान दोगुनी हो जाएगी।1 मोटापा अपने साथ कई अन्य स्वास्थ्य विकारों को भी लाता है, जिन्हें सहरूग्णता कहा जाता है। इनमें मधुमेह, उच्च रक्तदाब, कार्डियोवॉस्क्युलर डिसीज़ेज, जोड़ों में दर्द आदि प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। जो रोगी मोटे हैं, उनमें हर्निया होने की आशंका अधिक होती है।

वास्तव में, मोटे लोगों में न केवल हर्निया बनने का अधिक खतरा होता है, बल्कि ऐसे रोगियों में हर्निया की सर्जरी के सफल न होने की आशंका भी अधिक होता है। इस जोखिम को कम करने के लिए, अधिक वज़न वाले या मोटे रोगियों को अक्सर हर्निया सर्जरी से पहले वज़न कम करने के लिए कहा जाता है। हालांकि यह एक कठिन प्रस्ताव,सुझाव है, क्योंकि वज़न कम करने के लिए कहना आसान है, लेकिन वज़न कम करना थोड़ा मुश्किल है। गुरूग्राम स्थित मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. विकास सिंघल कहते हैं, “बैरिएट्रिक सर्जरी एक प्रकार की सर्जरी है जो न केवल काफी किलोग्राम वज़न कम करने में सहायता करती है, बल्कि मधुमेह और उच्च रक्तदाब जैसी सह-रूग्णता से जूझ रहे रोगियों की ये बीमारियां भी पूरी तरह ठीक हो जाती हैं। इसके साथ ही यह सर्जरी हृदय रोगों, कैंसर आदि के जोखिम को कम करती है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाती है।

डॉ. सिंघल ने आगे बताते हुए कहा पेट की दीवार में होने वाले हर्निया का उपचार किसी भी दवाई से नहीं किया जा सकता है, इसके लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में, सर्जरी के बाद भी मरीज को फिर से हर्निया हो जाता है। पेट की दीवार पर अधिक दबाव पड़ने के कारण मोटे रोगियों में हर्निया फिर से विकसित होने की आशंका अधिक होती है।3 मोटे रोगियों में हर्निया की सर्जरी से घाव की जटिलताओं का खतरा भी बढ़ जाता है।4 अक्सर मोटापे के शिकार लोग मधुमेह के रोगी होते हैं, जिन्हें जोड़ों के दर्द की शिकायत भी हो सकती है, जिससे उनकी गति सीमित हो जाती है। इस तरह, वे मोटापे के ऐसे दुष्चक्र में पड़ जाते हैं, जिससे केवल डाइट और एक्सरसाइज़ के साथ अपने आप वज़न कम करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, ऐसे रोगियों में वज़न कम करने, जटिलताओं से बचने और सर्जरी के बाद हर्निया की पुनरावृत्ति के जोखिम को कम करने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभरता है। केवल हर्निया की जटिलता के आपातकालीन मामलों को छोड़कर, बैरिएट्रिक सर्जरी एक आवश्यक उपचार बन जाता है।

एक रोगी के केस,मामले का जिक्र करते हुए, डॉ. सिंघल ने कहा 51 वर्ष की आयु का एक व्यक्ति मोटापे और हर्निया दोनों से पीड़ित था। उसका वज़न काफी बढ़ (138 किग्रा) गया था, उसे मधुमेह भी हो गया था। लिवर प्रत्यारोपण करवाने के कारण उसे लार्ज इन्सिज़नल हर्निया भी हो गया था। मरीज ने लैप्रोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी सर्जरी कराई, जिससे उसका वज़न 28 किलो कम हो गया और उसका मधुमेह रोग भी ठीक हो गया। इसके पश्चात उसने ओपन इन्सिज़नल हर्निया सर्जरी करवाई, उसे अस्पताल से जल्दी ही छुट्टी मिल गई, क्योंकि सर्जरी से पहले उसमें हर्निया से संबंधित कोई जटिलता विकसित नहीं हुई थी

डॉ. सिंघल ने कहा एक अन्य मामले में, 44 वर्षीय एक व्यक्ति में हिस्टेरेक्टोमी सर्जरी के बाद नाभि के नीचे एक बड़ा इन्सिज़नल हर्निया विकसित हो गया। उसे हर्निया वाले स्थान पर काफी तेज दर्द हो रहा था। उसका वज़न 108 किलोग्राम और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 48 था। सीटी स्कैन कराने पर पता चला कि मरीज में एक 5×5 से.मी. का हर्निया है, जिसमें छोटी आंत के कई लूप हैं। चूंकि, हर्निया के कारण मरीज में कई लक्षण दिखाई दे रहे थे, इसलिए हर्निया की सर्जरी के लिए वज़न घटाने तक रूका नहीं जा सकता था। सर्जरी के पश्चात मरीज को छुट्टी दे दी गई। दो सप्ताह बाद जब वह अस्पताल वापस आया तब तक उसका 8 किलो वज़न कम हो गया था। क्योंकि उसने सर्जरी के पश्चात सुझाए गए आहार नियमों का कड़ाई से पालन किया था।

मोटापा और हर्निया सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं। जो अक्सर एक-दूसरे से संबंधित होती हैं, जिससे मरीज की समस्या काफी बढ़ जाती है। अंततः, इस जटिल समस्या का समाधान क्या है। इसका निर्णय प्रत्येक मरीज के लिए व्यक्तिगत रूप से करने की जरूरत है। जिन रोगियों को इस उपचार को कराने की जरूरत है। उन्हें सभी जरूरी जांचे कराना चाहिए और देखभाल की एक उचित योजना के साथ आगे बढ़ना चाहिए।


















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