मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे नतमस्‍तक हुई इमरान सरकार, भड़के पाकिस्तानी पुलिसकर्मी

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मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे नतमस्‍तक हुई इमरान सरकार, भड़के पाकिस्तानी पुलिसकर्मी

हाइलाइट्स

  • पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने इमरान खान सरकार से जताई नाराजगी
  • इमरान सरकार ने देश में दंगे करने वाले कट्टरपंथी संगठन से किया समझौता
  • टीएलपी के समर्थकों ने लाहौर समेत कई शहरों में की थी आगजनी और तोड़फोड़


इस्लामाबाद
पाकिस्तान सरकार के प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के खिलाफ नरमी बरतने से पुलिसकर्मी नाराज हैं। लब्बैक के समर्थकों ने 22 अक्टूबर को पंजाब की राजधानी लाहौर सहित कई शहरों में जमकर उत्पात मचाया था। ये समर्थक अपने सरगना साद हुसैन रिजवी की रिहाई की मांग कर रहे हैं। रिजवी को इसी साल अप्रैल में पूरे देश में दंगा फैलाने और सरकारी संपत्ति के नुकसान को लेकर हिरासत में लिया गया था। अब इमरान सरकार ने टीएलपी के पकड़े गए हुड़दंगियों को रिहा करने और दर्ज मामलों को वापस करने का फरमान सुनाया है। इसी को लेकर पंजाब पुलिस ने कड़ा एतराज और दुख जताया है।

पुलिस बोली- सरकार ने शहादतों को भूला दिया
पाकिस्तानी मीडिया डॉन ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि टीएलपी के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कर्तव्यों का पालन करते हुए हमारे कई साथी मारे गए। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घायल भी हुए। लेकिन, हर बार सरकार ने टीएलपी के साथ समझौता कर लिया। उन्होंने इस बात की परवाह तक नही की कि हमारे लोगों को इन प्रदर्शकारियों के पेट्रोल बम, ईंट-पत्थरों, डंडों और दूसरे हथियारों का सामना करना पड़ा था। हमारी गाड़ियों को जला दिया गया, हथियार और सामान छीन लिए गए और सरकार समझौता कर रही है। यह सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान के अलावा है।

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शेख रशीद के बयान पर गुस्सा हैं पुलिसकर्मी
पंजाब पुलिस ने पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख रशीद के बयान पर भी गुस्सा जताया। रशीद ने कहा कि अब तक 350 टीएलपी कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया है। हम अभी सड़कों पर रखे गए कंटेनर्स को हटा रहे हैं और उन्हें खोल रहे हैं। मंत्री ने चौथी अनुसूची की सूची की समीक्षा करने का भी वादा किया था जिसमें उनके खिलाफ दर्ज सभी पुराने मामले वापस लेने के अलावा प्रतिबंधित नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम शामिल थे। इससे पहले भी जब अप्रैल में पाकिस्तान के कई शहरों में हिंसा हुई थी तब भी शेख रशीद ने ही टीलपी के कार्यकर्ताओं से मिलकर समझौता किया था।

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डीआईजी रैंक का अधिकारी बोला- यह पुलिस का अपमान
पुलिस के डीआईजी रैंक के एक बड़े अधिकारी ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ सरकार पुलिस को बलि का बकरा बना रही है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार को कानून लागू करने वालों या टीएलपी में से किसी एक के साथ खड़ा होना होगा। तत्काल समझौते के तहत टीएलपी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को रिहा करने के उनके फैसले ने पुलिसकर्मियों के बलिदान और संगठन के हिंसक आंदोलन के दौरान जान गंवाने की उपेक्षा की है।

दोबारा सड़कों पर क्यों उतरे टीएलपी समर्थक
टीएलपी ने अप्रैल महीने में पूरे पाकिस्तान को कई दिनों तक हिंसा की आग में जलाए रखा था। जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने मजबूरन टीएलपी को प्रतिबंधित करना पड़ा था। टीएलपी समर्थक इस समय अपने मुखिया साद हुसैन रिजवी की रिहाई की मांग कर रहे हैं। साद हुसैन रिजवी को पंजाब सरकार ने 12 अप्रैल को हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। तबसे ही वह पुलिस हिरासत में है।

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कौन है साद हुसैन रिजवी
खादिम हुसैन रिजवी के आकस्मिक निधन के बाद साद रिजवी तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान का नेता बन गया था। रिजवी के समर्थक, देश के ईशनिंदा कानून को रद्द नहीं करने के लिए सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं। पार्टी चाहती है कि सरकार फ्रांस के सामान का बहिष्कार करे और फरवरी में रिजवी की पार्टी के साथ हस्ताक्षरित करारनामे के तहत फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर निकाले।



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