महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के साथ ही चर्चा के केंद्र में आए देवेंद्र फडणवीस

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महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के साथ ही चर्चा के केंद्र में आए देवेंद्र फडणवीस

नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में महा विकास अघाडी (एमवीए) की शिकस्त और शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के बगावती तेवरों ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे नीत सरकार को हाशिये पर धकेल भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में एक मौका प्रदान किया है और इसी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चर्चा के केंद्र में आ गए हैं।

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जनादेश का आग्रह करते हुए फडणवीस ने “मैं वापस आऊंगा” का नारा दिया था। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी किंतु उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कराए गए विश्वास मत में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन पर्याप्त विधायकों का समर्थन हासिल न होने से सरकार नहीं बन पाई थी।

फडणवीस के राजनीतिक पैंतरों के कारण भाजपा राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में महाराष्ट्र विकास अघाडी के उम्मीदवारों को पराजित करने में सफल रही। माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के पास ऐसी कुंजी है जिससे वह राज्य में भाजपा की सरकार को वापस ला सकते हैं।

महाराष्ट्र के शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग मंत्री और शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी के कुछ विधायकों के साथ बगावत कर दी है और भाजपा शासित गुजरात के सूरत में एक होटल में रह रहे हैं, जिसका लाभ फडणवीस को मिल सकता है। शिंदे संगठन में काम करने वाले एक मजबूत नेता हैं जिनका शिवसेना में अच्छा खासा प्रभाव है।

उन्हें राज्य विधानसभा में नेता के पद से मंगलवार को हटा दिया गया। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ा दल है जिसके पास 106 विधायक हैं। शिवसेना के पास 55, राकांपा के 55 तथा कांग्रेस के 44 विधायक हैं। शिवसेना ने 2019 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा से नाता तोड़ कर शरद पवार की राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।

उद्धव के बेटे और मंत्री आदित्य ठाकरे का पार्टी के मामलों में हस्तक्षेप बढ़ा है जिसे लेकर शिवसेना के एक वर्ग में नाराजगी है। सत्तारूढ़ गठबंधन एमवीए के एक नेता ने कहा, “शिवसेना अपने विधायकों को जोड़कर नहीं रख पाई। उसके विधायकों की अकसर यह शिकायत रही है कि मुख्यमंत्री उनसे बात नहीं करते।”

उन्होंने कहा कि शिंदे को भी अपने मंत्रालय की फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय से आगे बढ़वाने में दिक्कत हो रही थी। एमवीए के एक अन्य नेता ने स्वीकार किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन को शिंदे की बगावत का अंदाजा नहीं था। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार गिराने का प्रयास कर रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, फडणवीस एक कुशल रणनीतिकार साबित हुए हैं। शिवसेना कई दशकों से महाराष्ट्र में एक ताकतवर पार्टी रही है लेकिन यदि एमवीए सरकार गिर जाती है तो उसे राज्य की राजनीति में बने रहने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

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