महर्षि वाल्मीकि की रामायण अब नए स्वरूप में,मुरली मनोहर व्यास ने किया ऐतिहासिक काम

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महर्षि वाल्मीकि की रामायण अब नए स्वरूप में,मुरली मनोहर व्यास ने किया ऐतिहासिक काम

RAMAYAN TRANSLATION- राजस्थान के जैसलमेर जिले के मूल निवासी मुरली मनोहर व्यास ने 25 साल तक मेहनत कर महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण के एक-एक श्लोक को उसी लय.गति के साथ हिंदी कविता के रूप में अनुवाद किया है, जो रामायण लिखते समय वाल्मीकि के मन में रही होगी।

..25 साल की कोशिश के बाद मिली कामयाबी
..मुरली मनोहर व्यास ने किया ऐतिहासिक काम
चार खंडों में हुआ प्रकाशन

जयपुर। महर्षि वाल्मीकि ने जब संस्कृत में श्लोक के रूप में रामायण लिखी तो उसके हर श्लोक के साथ एक लय और गति भी जुड़ी हुई थी। जिससे रामायण का पाठ पूरे मनोयोग के साथ लय में भक्त करते हैं। लेकिन आज युवा पीढ़ी जिन्होंने संस्कृत भाषा नहीं पढ़ी है, वे उस गति और लय में संस्कृत के श्लोक नहीं पढ़ पा रहे हैं। ऐसे में रामायण का पाठ संस्कृत भाषा में कई लोगों के लिए बड़ी मुश्किल है। लेकिन इस मुश्किल को हल कर दिया है राजस्थान के जैसलमेर जिले के मूल निवासी मुरली मनोहर व्यास ने।
दरअसल, व्यास ने करीब 25 साल तक मेहनत कर महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण के एक-एक श्लोक को उसी लय.गति के साथ हिंदी कविता के रूप में अनुवाद किया है, जो रामायण लिखते समय वाल्मीकि के मन में रही होगी। इससे अब कोई भी व्यक्ति पूरे मनोयोग के साथ हिंदी भाषा में काव्य के रूप में वाल्मीकि रामायण का पाठ कर सकेंगे।

बाबरी विध्वंस के बाद शुरू किया अनुवाद
मुरली मनोहर व्यास बताते हैं कि बाबरी विध्वंस मामले में जो घटनाक्रम हुआ, उससे वह काफी उद्वेलित हो गए। व्यास बताते हैं कि उस समय उनकी उम्र करीब 50 वर्ष थी। इस दौरान उन्होंने देखा कि लोग केवल राम के नाम का जाप करते हैं। उन्हें भगवान राम के चरित्र की पूरी जानकारी नहीं है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में राम का चरित्र जैसा था, वैसा ही उन्होंने उल्लेख किया। लेकिन संस्कृत में होने के कारण बहुत से लोगों को भगवान राम के पूरे चरित्र की जानकारी नहीं थी। हालांकि हिंदी गद्य में रामायण के कई अनुवाद हो गए हैं। लेकिन महर्षि वाल्मीकि ने जो भावना रखते हुए संस्कृत काव्य के रूप में लिखा है। व्यास ने भी ठीक उसी लय और गति से रामायण को हिंदी कविता के रूप में अनुवादित किया है।
चार खंडों में हुआ प्रकाशन
बता दें रामायण के हिंदी काव्य का अनुवाद चार खंडों में किया गया है। इसमें पहले खंड में बालकांड व अयोध्याकांड का उल्लेख है। वहीं, दूसरा अरण्य कांड, किष्किंधा कांड और सुंदरकांड है। साथ ही तीसरे खंड में युद्ध कांड और चौथे खंड में उत्तर कांड का पूरा उल्लेख काव्य के रूप में किया गया है।

जैसलमेर के मूल निवासी हैं व्यास
मुरली मनोहर व्यास मूलत: राजस्थान के सीमावर्ती जिले जैसलमेर के रहने वाले हैं। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के वर्धा जिले में निवास करते हैं। व्यास पेशे से वकील के साथ ही जाने.माने राजनीतिज्ञ और ट्रेड यूनियन के लीडर भी रह चुके हैं। 76 वर्ष के मुरली मनोहर व्यास आज भी लगातार भगवान राम पर लिखते रहते हैं। माता सीता के चरित्र पर भी उन्होंने एक पुस्तक लिखी है। जिसका भी जल्द ही प्रकाशन होगा। इनके काव्यानुवाद की पुस्तकें विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड हैं। वे वर्धा जिले के हिंगणघाट नगरपालिका के करीब साढ़े आठ साल तक चेयरमैन रह चुके हैं।
व्यास के प्रयास की हो रही सराहना
हिंदी काव्य के रूप में प्रकाशन के बाद लेखक मुरली मनोहर व्यास के प्रयास की हर ओर सराहना हो रही है। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, प्रसिद्ध कथा वाचक संत रमेश भाई ओझा ने पुस्तक में व्यास के प्रयास की प्रशंसा की है। व्यास ने चारों खंड अपनी धर्मपत्नी को समर्पित किया है।



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