मलेशिया एक्सचेंज टूटने से तेल तिलहनों के भाव लुढ़के

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मलेशिया एक्सचेंज टूटने से तेल तिलहनों के भाव लुढ़के

नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में सोमवार को हाल के दिनों की सबसे बड़ी लगभग साढ़े आठ प्रतिशत की गिरावट आने से खाद्य तेलों के भाव औंधे मुंह लुढ़के। इसकी वजह से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को आयातित और देशी तेल तिलहनों के भाव में जोरदार गिरावट देखने को मिली।

बाजार सूत्रों ने बताया कि संभवत: इंडोनेशिया में खाद्यतेलों का भारी मात्रा में स्टॉक जमा होने और मांग कमजोर होने के कारण मलेशिया में खाद्यतेलों के भाव लुढ़के हैं। शिकागो एक्सचेंज सोमवार को बंद था लेकिन मलेशिया में सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव टूटने से सोयाबीन तेल भी इस गिरावट की चपेट में आ गया। इसका असर देशी तेल तिलहनों पर भी हुआ और देशी तेल तिलहनों में भी गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्यतेलों के भाव पिछलों कुछ समय में लगभग 30 प्रतिशत टूटे हैं। पिछले सात आठ महीनों में आयात शुल्क में लगभग 38.25 प्रतिशत की कमी की गई है। लेकिन तमाम अपील और प्रयासों के बाद खाद्य तेलों के भाव में लगभग 15 रुपये लीटर तक की कमी की गई है यानी खाद्यतेल कीमतें 7-8 प्रतिशत कम हुई हैं।

अगर थोक कीमतों में आई कमी के बाद भी खुदरा कीमतों (मॉलों में बड़े स्टोर्स में बिकने वाले खाद्यतेल भी) में उसी अनुपात में कमी नहीं आती तो यह चिंता का विषय है जो हमारे तेल तिलहन उत्पादन में स्वाबलंबी होने का लक्ष्य प्राप्त करने से रोकेगा।

उसने कहा कि खुदरा बिक्री करने वाले दुकानदार अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ में इन तेलों को ऊंचे भाव पर बेचते हैं। यही कारण है कि सरसों के थोक भाव में गिरावट होने के बावजूद ग्राहकों को अभी भी यह तेल 190-195 रुपये लीटर के भाव मिलने की शिकायतें हैं।

सूत्रों ने कहा कि विशेषकर छोटे ब्रांड वालों के मामले में ऐसी शिकायतें अधिक हैं कि ऐसे ब्रांड की कंपनियां जानबूझकर एमआरपी कीमत अधिक लिखती हैं ताकि खुदरा विक्रेता मनमाना लाभ कमाने के लिए ऐसे ब्रांड की तेल खरीद को वरीयता दें।

उसने कहा कि सरकार को एमआरपी को नियंत्रित करने के कुछ उपाय करने होंगे।

सूत्रों ने कहा कि यदि संभव हो तो सरकार को एमआरपी को लेकर कानून बनाने के बारे में ध्यान देना चाहिये कि तेल उत्पादन के तमाम खर्च एवं मुनाफा जोड़कर, वास्तवित लागत से एमआरपी 10-15 रुपये से अधिक न रखा जाये। सूत्रों ने कहा कि इस व्यवस्था को कड़ाई के लागू करने पर ही खाद्यतेलों की महंगाई पर रोक लग सकती है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में विदेशों में गिरावट का असर देशी तेल तिलहनों पर भी दिखा और सरसों, मूंगफली तेल तिलहनों और बिनौला तेल में गिरावट आई। मलेशिया एक्सचेंज के टूटने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव टूट गये और इस कारण सोयाबीन तेल तिलहन भी गिरावट की चपेट में आ गये। आयातक अपने बैंकों के ऋण के ब्याज का भुगतान करने के लिए सोयाबीन को सस्ते में बेचने को मजबूर हैं।

खाद्य तेल की जरुरतों का स्थायी समाधान देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही हो सकता है।

सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,340-7,390 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,665 – 6,800 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,595 – 2,785 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,315-2,395 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,355-2,460 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,200 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,750 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 6,650-6,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 6,350- 6,450 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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