बिहार भागलपुर पुल हादसा मामले में आया नया मोड़, जानिए राज्य के बाकी पुलों का क्या होगा

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बिहार भागलपुर पुल हादसा मामले में आया नया मोड़, जानिए राज्य के बाकी पुलों का क्या होगा

बिहार भागलपुर पुल हादसा मामले में आया नया मोड़, जानिए राज्य के बाकी पुलों का क्या होगा

पटना: भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहे चार लेन के सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने के तीन दिन बाद बिहार इंजीनियरिंग सर्विसेज एसोसिएशन (बीईएसए) ने बुधवार को राज्य के सभी पूर्ण और निर्माणाधीन पुलों का ‘स्ट्रक्चरल ऑडिट’ कराने की मांग की है। बीईएसए ने कहा कि यह ऑडिट सभी पूर्ण और निर्माणाधीन पुलों की संरचनाओं में खामियों, कमजोरियों और कमियों की पहचान करेगा। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल, 2022 को सुल्तानगंज की ओर से पिलर संख्या पांच के गिरने के लगभग 14 महीने बाद पिछले रविवार को पुल का खगड़िया की ओर का हिस्सा ढह गया।

बीएसए महासचिव की मांग

बीएसए के महासचिव राकेश कुमार ने बुधवार को कहा, “हमें ऐसी घटनाओं से सबक सीखना चाहिए। बीईएसए सदस्यों की एक टीम जमीन से सभी प्रासंगिक जानकारी एकत्र कर रही है। हम जल्द ही अपनी रिपोर्ट लेकर आएंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि, हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि वह राज्य में सभी पूर्ण और निर्माणाधीन पुलों के ‘स्ट्रक्चरल ऑडिट’ का आदेश दे।’’ उन्होंने कहा कि मानव जीवन और संरचनाओं की दीर्घायु के लिए इससे खामियों, कमजोरियों और कमियों की पहचान की जा सकेगी।

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घटना से सरकार की किरकिरी

इस घटना के बाद खगड़िया प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को निलंबित करने के बिहार सरकार के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए बीईएसए के महासचिव ने कहा कि बीईएसए सरकार की कार्रवाई पर सवाल नहीं उठा रहा है…लेकिन इस परियोजना के ‘अथॉरिटी इंजीनियर’ के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? निर्माण स्थल पर कार्यों के निष्पादन और गुणवत्ता में किसी भी चूक के लिए ठेकेदार और प्राधिकरण के इंजीनियर जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई सवाल हैं जिनका उत्तर देने की आवश्यकता है। राकेश ने कहा कि हम आधुनिक तकनीक और उच्च तकनीक निर्माण से जुड़े पुलों के निर्माण में इंजीनियरों को जिम्मेदारी देने से पहले उन्हें विशेष प्रशिक्षण की भी मांग करते हैं। हरियाणा स्थित कंपनी, जिसे ठेका दिया गया था, को पहले ही ‘बिहार राज्य पुल निर्माण निगम’ के प्रबंध निदेशक द्वारा कारण बताओ नोटिस दिया गया है और घटना के बाद 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है।

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कार्य की गुणवत्ता पर नजर

कार्य की गुणवत्ता पर नजर नहीं रखने के आरोप में संबंधित विभाग ने संबंधित कार्यपालन अभियंता को भी निलंबित कर दिया गया है। पुल निर्माण में संलग्न कनाडाई डिजाइन और इंजीनियरिंग कंपनी मैकाले हनी ने सोमवार को जारी बयान में कहा था कि मैकल्होने को भारत में गंगा नदी पर अगुवानी-सुल्तानगंज घाट पुल के आंशिक रूप से ढहने की जानकारी है। हम इस घटना से प्रभावित सभी लोगों की सुरक्षा और भलाई के लिए गंभीर रूप से चिंतित हैं और इस घटना से संबंधित किसी भी जांच में सहयोग करेंगे। हालांकि, हम इस समय घटना की बारीकियों पर टिप्पणी करने में असमर्थ हैं, हम अपने मूल्यों और समुदायों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

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1700 करोड़ की लागत से बन रहा था पुल

गौरतलब है कि 1,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के इस निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा रविवार को गिर गया था। इस पुल का निर्माण वर्ष 2019 तक पूर्ण किया जाना था। संरचना की आधारशिला फरवरी 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रखी गई थी। पुल ढहने के तुरंत बाद, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि राज्य सरकार वैसे भी संरचनात्मक खामियों के कारण निर्माणाधीन पुल को गिरने की योजना बना रही थी। उन्होंने कहा था कि पिछले साल 30 अप्रैल को इस पुल का एक हिस्सा ढह गया था जिसके बाद, हमने अध्ययन करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी),रुड़की से संपर्क किया।

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अंतिम रिपोर्ट बाकी

तेजस्वी ने कहा कि अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन संरचना का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने हमें सूचित किया था कि इसमें गंभीर खामियां थीं। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा 29 मई को अपनी वेबसाइट पर अपलोड की गई नवीनतम जानकारी के अनुसार, परियोजना की प्रशासनिक स्वीकृति 14 नवंबर, 2013 को तत्कालीन नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने दी थी और इसे नवंबर, 2019 तक पूरा किया जाना था। वेबसाइट के मुताबिक अब, पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने की संभावित तिथि (पुनर्निर्धारित) 30 जून, 2023 थी पर सुपर-स्ट्रक्चर से संबंधित केवल 84.3 प्रतिशत कार्य ही अप्रैल 2023 तक पूरा हुआ था।

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