फांसी-उम्रकैद दिलाने पर वकीलों को दिया गया ईनाम, बैकफुट पर सरकार | mp govt gave encouragement govt lawyers fansi and life imprisonment | Patrika News
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार
मंदसौर जिले में 26 जून 2018 को तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली मासूम बच्ची के साथ रेप कर हत्या किए जाने के मामले में आरोपी इरफान उर्फ भैय्यू को हुई मौत की सजा के बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करते हुए मौत की सजा को चुनौती दी है। बीते 27 मई को सुप्रीम कोर्ट में जब इस मामले में सुनवाई हुई तो जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया वाली बेंच कहा कि मध्य प्रदेश में लोक अभियोजकों को मौत और आजीवन कारावास की सजा के मामलों में सफलतापूर्वक बहस करने के लिए प्रमोशन के तौर पर मजिस्ट्रेट बनने, पसंद के स्थान पर पोस्टिंग के अधिकार के साथ पुरस्कृत किया जा रहा है। पीठ ने कहा इसका एक हिस्सा यह है कि आप लोक अभियोजकों को बताना चाहते हैं कि जो भी तरीका हो, सजा होना एक अंतिम परिणाम प्राप्त करना है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए ये भी कहा कि मध्य प्रदेश सरकार को इस तरह की प्रथा को शुरू में ही खत्म कर देना चाहिए था।
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फांसी पर 1 हजार, उम्रकैद पर 500 प्वाइंट्स का प्रोत्साहन
बता दें कि मध्य प्रदेश संचालनालय लोक अभियोजन संघ ने साल 2017-18 से सरकारी वकीलों को आरोपियों को फांसी व उम्रकैद की सजा दिलाने पर प्रोत्साहन देने की शुरुआत की थी। प्रोत्साहन प्वाइंट्स के तौर पर दिया जाता था। फांसी की सजा दिलाने पर सरकारी वकील को 1000 प्वाइंट्स और उम्रकैद की सजा दिलाने पर 500 प्वाइंट्स का प्रोत्साहन मिलता था। जिनके लिए अलग-अलग कैटेगिरी तक तय की गई थीं। तब से अब तक मध्य प्रदेश में ऐसे 38 सरकारी वकील हैं, जो मध्य प्रदेश लोक अभियोजन संघ की योजना का लाभ ले चुके हैं। प्वाइंट्स के तौर पर मिलने वाला ये प्रोत्साहन सरकारी वकीलों के भविष्य को तय करता था और पोस्टिंग और मजिस्ट्रेट जैसे प्रमोशन में काम आता था।
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2008 से अब तक 80 लोगों को फांसी की सजा
बता दें कि साल 2008 से लेकर अभी तक मध्यप्रदेश के कुल 34 जिलों में 80 आरोपी फांसी की सजा तक पहुंच चुके हैं जिनमें से कुछ मामले हाईकोर्ट तो कुछ सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर हैं। वहीं अगर उम्रकैद करने वाले आरोपियों की बात करें तो उनकी संख्या हजारों में हैं। एक नजर डालिए किस जिले में कितने आरोपियों को हुई फांसी की सजा हुई…
इंदौर- 8 आरोपी
सागर- 8 आरोपी
नरसिंहपुर- 6 आरोपी
भोपाल- 5 आरोपी
सतना- 4 आरोपी
छतरपुर- 4 आरोपी
ग्वालियर- 4 आरोपी
मंडला- 3 आरोपी
बुरहानपुर- 3 आरोपी
सिंगरौली- 2 आरोपी
शहडोल- 2 आरोपी
मंदसौर- 2 आरोपी
मुरैना- 2 आरोपी
भिंड- 2 आरोपी
दतिया- 2 आरोपी
होशंगाबाद- 2 आरोपी
जबलपुर- 2 आरोपी
कटनी- 2 आरोपी
खंडवा- 2 आरोपी
बडवानी, छिंदवाड़ा, देवास, डिंडौरी, विदिशा, उज्जैन, सीधी, सिवनी, सीहोर, रतलाम, राजगढ़, रायसेन जिले में एक-एक आरोपी फांसी की सजा पा चुके हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार
मंदसौर जिले में 26 जून 2018 को तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली मासूम बच्ची के साथ रेप कर हत्या किए जाने के मामले में आरोपी इरफान उर्फ भैय्यू को हुई मौत की सजा के बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करते हुए मौत की सजा को चुनौती दी है। बीते 27 मई को सुप्रीम कोर्ट में जब इस मामले में सुनवाई हुई तो जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया वाली बेंच कहा कि मध्य प्रदेश में लोक अभियोजकों को मौत और आजीवन कारावास की सजा के मामलों में सफलतापूर्वक बहस करने के लिए प्रमोशन के तौर पर मजिस्ट्रेट बनने, पसंद के स्थान पर पोस्टिंग के अधिकार के साथ पुरस्कृत किया जा रहा है। पीठ ने कहा इसका एक हिस्सा यह है कि आप लोक अभियोजकों को बताना चाहते हैं कि जो भी तरीका हो, सजा होना एक अंतिम परिणाम प्राप्त करना है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए ये भी कहा कि मध्य प्रदेश सरकार को इस तरह की प्रथा को शुरू में ही खत्म कर देना चाहिए था।
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फांसी पर 1 हजार, उम्रकैद पर 500 प्वाइंट्स का प्रोत्साहन
बता दें कि मध्य प्रदेश संचालनालय लोक अभियोजन संघ ने साल 2017-18 से सरकारी वकीलों को आरोपियों को फांसी व उम्रकैद की सजा दिलाने पर प्रोत्साहन देने की शुरुआत की थी। प्रोत्साहन प्वाइंट्स के तौर पर दिया जाता था। फांसी की सजा दिलाने पर सरकारी वकील को 1000 प्वाइंट्स और उम्रकैद की सजा दिलाने पर 500 प्वाइंट्स का प्रोत्साहन मिलता था। जिनके लिए अलग-अलग कैटेगिरी तक तय की गई थीं। तब से अब तक मध्य प्रदेश में ऐसे 38 सरकारी वकील हैं, जो मध्य प्रदेश लोक अभियोजन संघ की योजना का लाभ ले चुके हैं। प्वाइंट्स के तौर पर मिलने वाला ये प्रोत्साहन सरकारी वकीलों के भविष्य को तय करता था और पोस्टिंग और मजिस्ट्रेट जैसे प्रमोशन में काम आता था।
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2008 से अब तक 80 लोगों को फांसी की सजा
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इंदौर- 8 आरोपी
सागर- 8 आरोपी
नरसिंहपुर- 6 आरोपी
भोपाल- 5 आरोपी
सतना- 4 आरोपी
छतरपुर- 4 आरोपी
ग्वालियर- 4 आरोपी
मंडला- 3 आरोपी
बुरहानपुर- 3 आरोपी
सिंगरौली- 2 आरोपी
शहडोल- 2 आरोपी
मंदसौर- 2 आरोपी
मुरैना- 2 आरोपी
भिंड- 2 आरोपी
दतिया- 2 आरोपी
होशंगाबाद- 2 आरोपी
जबलपुर- 2 आरोपी
कटनी- 2 आरोपी
खंडवा- 2 आरोपी
बडवानी, छिंदवाड़ा, देवास, डिंडौरी, विदिशा, उज्जैन, सीधी, सिवनी, सीहोर, रतलाम, राजगढ़, रायसेन जिले में एक-एक आरोपी फांसी की सजा पा चुके हैं।
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