प्लास्टिक का विकल्प ढूंढ़ा, बोले-जरा महंगा है तो क्या हुआ, जान से कीमती थोड़े है

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प्लास्टिक का विकल्प ढूंढ़ा, बोले-जरा महंगा है तो क्या हुआ, जान से कीमती थोड़े है

प्लास्टिक का विकल्प ढूंढ़ा, बोले-जरा महंगा है तो क्या हुआ, जान से कीमती थोड़े है

सुनील गौड़, फरीदाबाद: बेहतर कल के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की घोषणा हो चुकी है। आदेश सरकारी हैं, लेकिन जिंदगी तो हमारी है। ऐसे में जरूरी है कि किसी सख्ती का इंतजार किए बिना हम बदलाव लाएं। ऐसा बदलाव, जो हमारे और हमारे परिवार की सेहत के लिए वरदान साबित हो। घर से थैला लेकर निकलने जैसी छोटी-सी शुरुआत ही बदलाव की बयार ला पाएगी। एनबीटी टीम ने सोमवार को परिवर्तन लाने की इन्हीं छोटी-छोटी कोशिशों को अपने कैमरे में क्लिक किया। कई जगह स्ट्रीट फूड वेंडर और छोटे रेस्तरां संचालकों की टेबल पर सुखद बदलाव दिखा।

प्लास्टिक की डिस्पोजल के बजाय स्टील की प्लेट, लकड़ी के चम्मच और कांच के गिलास में ठंडा रायता अब जायका बढ़ा रहा है। पैकिंग के लिए पॉलिथीन के स्थान पर कपड़े के थैले आ गए हैं। पांच किलोग्राम वाले कपड़े का थैला 5 रुपये का मिल रहा है। यह पहले से थोड़ा महंगा जरूर है, लेकिन सुरक्षित है। पहले इस क्षमता की पॉलिथीन करीब सवा रुपये में पड़ती थी। लकड़ी के चम्मच पहले के मुकाबले सस्ते पड़ रहे हैं। प्लास्टिक के 50 चम्मच का सेट 65 रुपये में आता था। लकड़ी के चम्मच 80 रुपये के 100 मिल रहे हैं। ये पहले से सस्ता विकल्प है। इस बदलाव के बाद भी दुकानदारों ने सामान के दाम नहीं बढ़ाए हैं। दुकानदारों का कहना था कि प्लास्टिक के विकल्प थोड़े महंगे जरूर हैं, लेकिन जान भी तो कीमती है।

1 PM एनआईटी-5 चौक
यहां चल रहे ढाबे पर लोगों की आवाजाही है। लोग खाना खा रहे हैं और पैक भी करवा रहे हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक के बाद ढाबे पर बदलाव जरूर आया है। पहले यहां प्लास्टिक की प्लेट और प्लास्टिक के चम्मच ग्राहकों को दिए जाते थे, लेकिन अब स्टील की प्लेट और लकड़ी के चम्मच दिए जा रहे हैं। ढाबा संचालक गिरिश कहते हैं कि इस बदलाव से उनके बजट पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है, इसलिए हमने भी खान-पीने की वस्तुओं के दाम नहीं बढ़ाए हैं।

1:20 PM रेलवे रोड
स्ट्रीट फूड स्टॉल पर यहां बदलाव दिखा। पहले भोजन पैकिंग के लिए पॉलिथीन इस्तेमाल होती थी, वहीं अब पैकिंग के लिए थैले इस्तेमाल किए जा रहे हैं। दुकानदार को ये थैले थोड़े से महंगे पड़ रहे हैं। ठेली संचालक चरणजीत कौर कहती हैं कि ग्राहकों की सुविधा के लिए पैकिंग सिस्टम के लिए थैले लेकर आए हैं, जो 40 रुपये के सात मिले हैं। पहले पॉलिथीन किलो में सस्ती पड़ती थी, लेकिन पर्यावरण को बनाए रखने के लिए प्लास्टिक का बंद होना जरूरी है। इसके अलावा ठेली पर रायता देने के लिए प्लास्टिक के ही गिलास देते थे, लेकिन अब कांच वाले गिलास लेकर आए हैं। कुल मिलाकर ये सब सस्ता ही पड़ेगा। एक बार सामान खरीद लो, बार-बार खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

1:45 PM एनआईटी-5 मार्केट
यहां छोले भटूरे वाले की दुकान पर भीड़ है, लेकिन यहां का नजारा कुछ अलग है। ग्राहकों को प्लास्टिक से बने दोने देने के बजाय पत्ते वाले दोने में सब्जी दी जा रही है। दुकानदार जहावीर कहते हैं कि अभी कुछ दिन इस सिस्टम से ग्राहकों को छोले-भटूरे परोसे जाएंगे। कुछ रुपये का इंतजाम कर स्टील की प्लेट व कांच के गिलास का बंदोबस्त करेंगे। प्लास्टिक बंद होने से अब ग्राहकों को रायता भी नहीं दिया जा रहा। दुकान में कांच के गिलास नहीं हैं। हालांकि ग्राहक दुकानदार से रायता मांगते हैं पर उन्होंने ग्राहकों को रायता नहीं दिया।

प्लास्टिक से दूरी बनाने के लिए आपने कोई पहल की हो, कुछ नया किया हो तो हमें [email protected] पर मेल कर बताएं। बदलाव की कोशिश दिखाता अपना फोटो भेजना न भूलें। सब्जेक्ट में लिखे No Plastic

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