पुलवामा अटैक की वीरांगनाओं के साथ धरने पर बैठे हैं BJP सांसद किरोड़ीलाल मीणा, जानें क्या है वजह
पहले इन तीनों वीरांगनाओं की पीड़ा को अलग अलग समझिए
1. वीरांगना मंजू जाट – 19 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में शहीद हुए रोहिताश लाम्बा की वीरांगना है मंजू जाट। शहीद रोहिताश जयपुर जिले के शाहपुरा के पास स्थित गोविन्दपुरा गांव के रहने वाले थे। शहीद के अंतिम संस्कार के समय मंत्री शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और लालचंद कटारिया के साथ कई प्रशासनिक अधिकारी और हजारों लोग मौजूद रहे।
इस दौरान मंत्रियों ने शहीद परिवार से वादा किया था कि नियमों में शिथिलता देकर शहीद रोहिताश के भाई जितेन्द्र लाम्बा को अनुकंपा नौकरी दिलवाई जाएगी। जितेन्द्र ने नौकरी के लिए आवेदन किया। चार साल हो गए, फाइल आज तक सैनिक कल्याण बोर्ड में लम्बित है। शहीद का स्मारक बनाने का वादा किया था। यह वादा भी आज तक पूरा नहीं किया। शहीद के घर से मुख्य सड़क तक डामर रोड़ बनाने का वादा किया लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी। शहीद का परिवार मंत्रियों और अफसरों के दफ्तरों के चक्कर लगा कर थक चुके हैं।
2. वीरांगना मधुबाला मीणा – भरतपुर जिले की सांगोद तहसील स्थित विनोदकला गांव निवासी हेमराज मीणा भी पुलवामा हमले में शहीद हुए थे। उनके अंतिम संस्कार के दौरान मंत्री शांति कुमार धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास, रमेश मीणा, प्रमोद जैन भाया शामिल हुए थे। हजारों लोगों की मौजूदगी में इन मंत्रियों ने शहीद परिवार की मदद के लिए तीन वादे किए थे। पहला सांगोद अदालत के पीछे शहीद का स्मारक बनाकर सौन्दर्यकरण और चौराहे का नाम शहीद के नाम किया जाएगा।
दूसरा शहीद के परिवार से मुख्य सड़क तक डामर रोड़ बनाने का वादा। तीसरा वादा यह था कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय विनोदकला को क्रमोन्नत किया जाएगा। ये तीनों वादे पिछले चार साल में पूरे नहीं किए गए।
3. वीरांगना सुन्दरी गुर्जर – भरतपुर जिले की नगर तहसील स्थित गांव सुन्दरावली निवासी जवान जीतराम गुर्जर पुलवामा हमले में शहीद हुए थे। मंत्री टीकाराम जूली, ममता भूपेश और अशोक चांदना शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। इन मंत्रियों ने राजकीय महाविद्यालय भरतपुर का नामकरण शहीद के नाम पर करने का वादा किया था। शहीद के भाई विक्रम सिंह को अनुकम्पा नौकरी देने के साथ शहीद का स्मारक बनाने का वादा किया था। चार साल में एक भी वादा पूरा नहीं किया गया।
तीनों वीरांगनाओं मंजू जाट, मधुबाला मीणा और सुन्दरी देवा का कहना है कि वे सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते थक गई। अधिकारी उन्हें मिलने के लिए घंटों इंतजार कराते हैं। मिलने के बाद बार बार आश्वासन देकर टरकाते देते हैं। शहीद के अंतिम संस्कार के दिन सरकार के प्रतिनिधि के रूप में आने वाले मंत्री सिर्फ दिखावा करते हुए वादे करके चले जाते हैं। शहीद के परिवार दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
सरकार के वादे को याद दिलाने के लिए तीनों वीरांगनाएं राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के साथ विधानसभा पहुंची और धरना दिया। पुलिस प्रशासन ने जबरन धरने से हटा दिया तो सांसद किरोड़ीलाल मीणा और तीनों वीरांगनाएं धरना देने के लिए शहीद स्मारक पहुंच गई। शहीद स्मारक पर पुलिस का भारी जाब्ता तैनात किया गया है। वीरांगनाओं का कहना है कि जब तक वे मुख्यमंत्री से नहीं मिलेंगी तब तक वापस घर नहीं लौटेंगी। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)
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