पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के वो 4 गांव जो 1971 युद्ध के बाद भारत का हिस्सा हो गए

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पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के वो 4 गांव जो 1971 युद्ध के बाद भारत का हिस्सा हो गए

1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के चार गांवों को अपने नियंत्रण में ले लिया था। ये चार गांव थे- तुरतुक, त्याक्शी, चलूंका और थांग। 1971 तक ये गांव पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा थे। 5 अगस्त 2019 के बाद से ये गांव लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा हैं।

इन गांवों तक पहुंचना बेहद मुश्किल हैं। ये गांव लद्दाख क्षेत्र की नुब्रा घाटी के आखिरी छोर पर हैं। इन गांवों के एक ओर श्योक नदी बहती है तो दूसरी ओर काराकोरम पर्वत की ऊंची चोटियां हैं। सर्दियों में इन गांवों के तापमान -25 डिग्री सेल्सियस तक जाते हैं।

तुरतुक क्यों है खास?

यह गांव रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है। लाइन ऑफ कंट्रोल के एकदम पास। यह गांव लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के भी बेहद पास है जो लद्दाख को चीन अधिकृत अक्साई चिन से अलग करती है। लेह से तुरतुक की दूरी करीब 205 किलोमीटर है लेकिन इसे पूरा करने में करीब 6 घंटे का वक्त लगता है। तुरतुक क्षेत्र इतिहास में मशहूर सिल्क रोड से जुड़ा हुआ था। इस बौद्ध बहुल इलाके में अधिकतर आबादी मुस्लिमों की है। लेकिन इन लोगों पर बौद्ध धर्म और संस्कृति का बहुत असर है। यहां के लोग बाल्टी भाषा बोलते हैं।

बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि 2010 तक इन गांवों को बाहरी लोगों के लिए बंद रखा गया था। हालांकि इनमें से सिर्फ तुरतुक ऐसा गांव था, जहां कुछ बाहरी लोगों को आने-जाने की इजाजत दी जाती थी।

भारत ने इन गांवों पर कैसे किया नियंत्रण?

रिपोर्ट्स बताती है कि इस क्षेत्र में भारतीय सेना को मेजर चेवांग रिनचेन लीड कर रहे थे। रिनचेन पास के ही गांव के रहने वाले थे। वह 1947 और 1962 युद्ध में भाग ले चुके थे। और अपने साहसिक कामों की वजह से उन्हें सेना मेडल दिया दिया था। रिनचेन ने पकिस्तानी सेना पर हमला करने के बजाए पहाड़ी रास्तों के जरिए ऊपर की चोटी पर पहुंचने का फैसला किया। इससे हुआ ये कि पाकिस्तान सेना सहम गई और भारी लड़ाई की जरूरत नहीं पड़ी। 8 दिसंबर को सेना ने पाकिस्तानी पिकेट पर कब्जा कर लिया जिसे पीटी 18402 के नाम से जाना जाता है।

यहां पहुंचने के बाद सेना ने पाकिस्तानी लाइन ऑफ कम्युनिकेशन पर कब्जा कर लिया। अगली सुबह जब सेना नजदीकी गांवों में उतरी तो पता चला कि पाकिस्तान सेना रात में ही सभी पोस्ट खाली कर चुकी है। इसके बाद भारतीय सेना नजदीकी पाकिस्तानी बेस कैंप पर पहुंची जहां दोनों पक्षों के बीच मोर्टार और मशीन गन से लड़ाई हुई और भारतीय सेना ने पाकिस्तान को पछाड़ दिया।

17 दिसंबर को सेना प्रहनु और पीयून पर हमला करने की तैयारी में थी लेकिन उसी दिन पाकिस्तान सरकार युद्धविराम के लिए सहमत हो गई और भारतीय सेना को संघर्ष विराम का आदेश दिया गया था। इस लड़ाई के बाद भारत ने पाकिस्तानी प्रशासित कश्मीर से 800 वर्ग किलोमीटर, ज्यादातर पहाड़ों और ऊबड़-खाबड़ जमीन पर नियंत्रण कर लिया था।



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