आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने कितनी सरकारी संपत्ति बेची ?

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आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने कितनी सरकारी संपत्ति बेची ?
आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने कितनी सरकारी संपत्ति बेची ?

आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने कितनी सरकारी संपत्ति बेची ? ( How much government property did the Congress government sell after independence? )

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जहां पर नेता जनता द्वारा चुने जाते हैं. जनता को यह अधिकार हमारे संविधान ने दिया है. इसी वोट बैंक के कारण राजनीति में आपको नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए आसानी से दिख जाएगें. अभी हाल ही में मोदी सरकार में निजीकरण पर बहुत जोर दिया जा रहा है. जिसका विपक्ष के द्वारा विरोध किया जा रहा है. इस विरोध का जवाब देते हुए सरकार समर्थकों की तरफ से कहा जाता है कि कांग्रेस की सरकार में भी तो निजीकरण किया गया था. इसी कारण राजनीति में रूचि रखने वाले लोगों के मन में कई तरह के सवाल आते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने कितनी सरकारी संपत्ति बेची ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

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निजीकरण

निजीकरण क्या होता है-

आमतौर पर आपने नीजीकरण पर काफी बार बहस होते हुए सुनी होगी. अगर सबसे पहले निजीकरण को समझे तो साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि जब सरकार अपनी संपत्ति या सरकारी संपत्ति की बोली लगाकर उसको प्राइवेट क्षेत्र को बेच देती है. जिसमें सरकार का उस संपत्ति पर कोई हक नहीं रहता है. इसे ही निजीकरण कहा जाता है. यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह अपना कितना हिस्सा बेचती है या पूरी तरह से उस संपत्ति का निजीकरण कर देती है. अगर निजीकरण की शुरूआत की बात करें, तो 1991 के समय में भारत के वित्त मंत्री डॅा. मनमोहन सिंह होते थे. उन्होंने खुली अर्थव्यवस्था का पक्ष लिया तथा कंपनियों के विनिवेश की अवधारणा को पेश किया. हालांकि यह भी ध्यान देने की बात है कि उस समय तक 49 फीसदी तक बाहरी निवेश ही उस सकता था, इससे ज्यादा की अवधारणा नहीं आई थी. इसका अर्थ था कि स्वामित्व सरकार के पास ही रहता था.

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निजीकरण

कांग्रेस सरकार में निजीकरण या सरकारी संपत्ति बेची-

यूपीए-2 सरकार में 33 कंपनियों का निजीकरण किया गया या उनको बेचा गया. अगर बेची गई कंपनियों की बात करें, तो उसमें NHPC Ltd, OIL – ऑयल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी – नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन, आरईसी – ग्रामीण विद्युतीकरण निगम, एनएमडीसी – राष्ट्रीय खनिज विकास निगम, एसजेवीएन – सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड, ईआईएल – इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, CIL – कोल इंडिया लिमिटेड, पीजीसीआईएल – पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, MOIL – मैंगनीज अयस्क इंडिया लिमिटेड, एससीआई – शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, पीएफसी – पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, ओएनजीसी – तेल और प्राकृतिक गैस निगम, सेल – भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड, नाल्को – नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड, आरसीएफ – राष्ट्रीय रसायन और उर्वरक, एनटीपीसी – नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन, OIL – ऑयल इंडिया लिमिटेड, एनएमडीसी – राष्ट्रीय खनिज विकास निगम, HCL – हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, एनबीसीसी, एनएचपीसी – नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन, भेल – भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, ईआईएल – इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, एनएमडीसी – राष्ट्रीय खनिज विकास निगम, सीपीएसई – सीपीएसई-एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, PGCI – पावर ग्रिड कॉर्पोफ़ इंडिया लि., एनएफएल – राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटेड, MMTC – धातु और खनिज व्यापार निगम इत्यादी का नाम आता है.

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वहीं अगर एयरपोर्ट के निजीकरण की बात करें, तो उसकी शुरूआत कांग्रेस सरकार के दौरान ही हुई थी. सबसे पहला दिल्ली का इंदिरा गांधी एयरपोर्ट को जीएमआर ग्रुप को दिया गया. हालांकि अगर वहीं केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद उसकी तुलना कांग्रेस सरकार से करते हैं, तो मोदी सरकार में कांग्रेस के पूरे शासनकाल की तुलना में ज्यादा निजीकरण किया गया है.

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