नरेन्द्र मोदी और सोनिया गांधी में बेहतर कौन? जानिए प्रशांत किशोर ने क्या कहा

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नरेन्द्र मोदी और सोनिया गांधी में बेहतर कौन? जानिए प्रशांत किशोर ने क्या कहा

पटना : अब तक राजनीतिक पार्टियों के लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर खुद के लिए चुनावी बिसात बिछाते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस से बात नहीं बनने पर अब खुद ही सियासत में उतरने का मन बना चुके हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि बिहार में तीन हजार किलोमीटर की पदयात्रा निकालेंगे। एक निजी चैनल से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कई सवालों का जवाब दिया। प्रशांत किशोर ने कहा कि ये सच है कि बिहार में प्रयास कर रहे हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि सियासत करने जा रहे हैं। अभी जो कुछ भी है, वो शुरुआती दौर में है। हो सकता है कुछ दिनों के बाद कुछ और नया हो जाए। हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। पीके ने कहा कि फिलहाल वे बिहार में पदयात्रा निकालेंगे और लोगों का मूड देखेंगे, उसके बाद फैसला लेंगे कि आगे उन्हें क्या करना है।

वहीं, बिहार की जातीय समीकरण को लेकर जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बिहार ही क्यों, देश के हर राज्य में सियासत करने वाले जातीय समीकरण को साधते हैं। बिहार में कुछ नया नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि बिहार के लोग आप पर विश्वास क्यों करेंगे? इस सवाल के जावब में उन्होंने कहा कि विश्वास करना भी नहीं चाहिए। पहले वे लोग परखें, फिर अपना विचार रखें और अंत में फैसला लें। वहीं लालू यादव के बयान को लेकर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे बड़े नेता हैं। कुछ भी कह सकते हैं। उनके बयान पर हम कुछ बोल नहीं सकते हैं। उन्होंने जो भी कहा, ठीक ही कहा है। देशभर में घुमने के बाद बिहार आएं हैं। इसमें गलत क्या है। लालू जी ने जो कुछ भी कहा, वो सही है।

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जब उनसे पूछा गया कि मोदी के बाद बीजेपी का सबसे सफल नेता कौन हो सकता है, अमित शाह या योगी आदित्यनाथ ? इस सवाल के जवाब में पीके ने गृहमंत्री अमित शाह का नाम लिया। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में तो अमित शाह ही है। एक और सवाल में पूछा गया कि नरेन्द्र मोदी और सोनिया गांधी में बेहतर नेता कौन है ? इस सवाल का जवाब पीके ने सीधे तौर पर तो कुछ कहा, हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा कि किसी को भी कम कर के नहीं देखा जा सकता।

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वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका रिश्ता पिता पुत्र का रहा है। इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने उस बयान का भी जवाब दिया है कि जिसमें बिहार के सीएम नीतीश ने कहा था कि उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के कहने पर उन्हें जेडीयू में ज्वाइन कराया था। प्रशांत किशोर ने कहा कि ये तो नीतीश कुमार ही सही-सही बता सकते हैं कि मैं किसके कहने पर जेडीयू में गया था। लेकिन एक बात कहना चाहूंगा कि क्या ऐसा लगता है कि आज के समय में नीतीश कुमार में इतनी ताकत है कि वह अमित शाह की कही बात ना कह दें। अगर मैं अमित शाह के कहने पर मैंने जेडीयू ज्वाइन किया था तो क्या नीतीश कुमार में हिम्मत होती कि वह मुझे उस पार्टी से हटा देते। ये तो उल्टी गंगा बहाने वाली बात है। बाकी कहने का अपना तरीका है, नीतीश जी से मेरे बेहद अच्छे संबंध हैं।

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एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं पब्लिकली कहता हूं कि नीतीश जी के साथ जबतक मेरे रिश्ते रहे और आजी भी अच्छे रिलेशन हैं। जब तक नीतीश जी के साथ काम किया तब उनका और मेरा पिता-पुत्र का रिश्ता रहा। उन्होंने मुझे अपने बेटे की तरह रखा। मैं भी उन्हें पिता की तरह ही सम्मान देता था। बाकी जो राजनीतिक विचारधारा है और किसी विषय पर मतभिन्नता हो गई, तो उनका काम है कि वह कुछ ऐसा कहें कि जिससे मेरी विश्वसनीयता खराब हो। मैं कुछ कहूंगा कि वह गलत कर रहे हैं। ये उनका प्रयास था, जो मैंने ट्वीट करके भी कहा है कि उनका लगता था कि वह बीजेपी के साथ हैं और मैं दूसरी साइड जा सकता हूं उसमें ब्लॉकेज डालने के लिए इस तरह का एक बयान डाल दिया। बाकी ठीक है, उनको मेरी शुभकामना है, उस समय वह 110 विधायक की पार्टी थे अब 40 विधायक की पार्टी हैं। हमको निकाल दिया, बहुत अच्छा काम किया है।

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बता दें कि साल 2019 में प्रशांत किशोर को जेडीयू से निकाले जाने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने अमित शाह के दो बार कहने पर उन्हें पार्टी में शामिल करने को कहा था। नीतीश ने कहा था कि इस संबंध में उन्हें अमित शाह से दो बार सुझाव मिल चुका था। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे और उन्हें बिहार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। इसके बावजूद अचानक उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था।

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