चार्जशीट के बिना बेल नहीं होगी और वो मेरे हाथ में है… जब कोर्ट में गूंजी SI की धमकी वाली रिकॉर्डिंग

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चार्जशीट के बिना बेल नहीं होगी और वो मेरे हाथ में है… जब कोर्ट में गूंजी SI की धमकी वाली रिकॉर्डिंग

हाइलाइट्स

  • आरोपी के रिश्तेदार को धमकी दी, कोर्ट ने मामले में एसीपी को तलब किया
  • कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश की गई एसआई प्रकाश वीर की कॉल रिकॉर्डिंग
  • अदालत ने IO के व्‍यवहार को अवैध और कानून के खिलाफ माना है

नई दिल्ली
‘चार्जशीट के बिना बेल नहीं होगी, चार्जशीट दाखिल करना मेरे हाथ में है, 90 दिन तक मैं चार्जशीट दाखिल नहीं करूंगा, तीन महीने तक बेल नहीं हो सकती किसी भी कीमत पर’…। यह कहते सुने गए ईस्ट दिल्ली के मधु विहार थाने में तैनात एसआई प्रकाश वीर। उनकी इन धमकी भरी बातों की ऑडियो रिकॉर्डिंग को कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश किया गया तो मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट भरत अग्रवाल ने डीसीपी को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। साथ ही, उनसे पूछा है कि उन्होंने आईओ के खिलाफ क्या एक्शन लिया। यही नहीं, संबंधित एसीपी को अगली तारीख यानी 7 दिसंबर को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। वहीं, कोर्ट ने आरोपी हेमंत कुमार को कुछ शर्तों के साथ बेल भी दे दी है।

6.21 मिनट की है पूरी रिकॉर्डिंग
पेश मामले के मुताबिक, आरोपी हेमंत कुमार के खिलाफ मधु विहार थाने में दो करोड़ रुपये न देने पर जान से मारने की धमकी देने पर एफआईआर दर्ज हुई थी। 8 अगस्त 2021 से आरोपी जेल में था। इस बीच उसकी बेल रद्द भी हुई। परेशान होकर आरोपी के बहनोई अशोक कुमार ने आईओ एसआई प्रकाश वीर को फोन किया। इस दौरान आईओ ने ये कहा कि अभी बेल मत लगाना, जब मैं कहूं, तब बेल अर्जी लगाना। आगे उन्होंने विशेष वकील को बेल पर लगाने की बात कही।

यही नहीं, प्रकाश वीर ने कहा कि जब तक वह चार्जशीट फाइल नहीं करेंगे किसी कीमत पर आरोपी की बेल नहीं होगी। ऐसी और कई बातें कहीं जो कानून के खिलाफ थीं। 25 नवंबर को आईओ की 6 मिनट 21 सेकंड की ये कॉल रिकॉर्डिंग कोर्ट में दी गई। इसके बाद कोर्ट ने ना सिर्फ डीसीपी से जवाब तलब किया, बल्कि आरोपी को कुछ शर्तों के साथ बेल भी दे दी।

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कोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक बताया
रिकॉर्डिंग के बारे में जानने के बाद कोर्ट ने आईओ के इस व्यवहार को अवैध और कानून के तहत उसके अधिकार से परे बताया है। साथ ही, कोर्ट का मानना है कि रिश्तेदार के साथ बातचीत के दौरान आईओ ने कथित बयान देकर इस अदालत की गरिमा को कम किया है। आवेदक द्वारा आईओ के खिलाफ लगाए गए आरोप काफी चौंकाने वाले हैं और इस अदालत के अधिकार को कमजोर करते हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक है।

karkardooma

फाइल फोटो



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