चंद्रशेखर आजाद को किया याद

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चंद्रशेखर आजाद को किया याद

आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ के तहत हुई चर्चा

डेली न्यूज
जयपुर, 23 जुलाई
अमर स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के जन्मदिवस के अवसर पर शुक्रवार को ऑनलाइन परिचर्चा ‘स्वतंत्र यज्ञ का अग्निपुंज’ का आयोजन किया गया। आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ के तहत आयोजित इस कार्यक्रम को जेकेके के फेसबुक पेज से लाइव किया गया। परिपचर्चा महान स्वतंत्रता सेनानी के प्रारंभिक जीवन, क्रांतिकारी गतिविधियों, मृत्यु और विरासत पर आधारित थी। कार्यक्रम में पुरातत्वविद, इतिहासकार और लेखक डॉ. रीमा हूजा ने कहा कि यह याद रखना जरूरी है कि चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु जैसे देश के युवाओं में भारत की आजादी के लिए ज्वलंत जुनून था। वे इस बात की परवाह नहीं करते थे कि वे जीवित रहेंगे या मर जाएंगे या उन पर क्या विपत्तियां आएंगी। उस समय के क्रांतिकारी नेताओं का ध्यान ब्रिटिश सेना के खिलाफ मोर्चा खोलने और राष्ट्र की सेवा के लिए धन की व्यवस्था करने पर केंद्रित था। चंद्रशेखर आजाद को भगवान के रूप में नहीं बल्कि नश्वर पुरुषों के रूप में याद किया जाना चाहिए जिन्होंने कष्ट सहे, जिनका परिवार और दोस्त होते हुए भी उन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।
वहीं चंद्रशेखर आजाद के क्रांतिकारी जीवन के बारे में बात करते हुए इतिहासकार, शिक्षाविदए कवि और लेखक डॉ. अभिमन्यु सिंह आढ़ा ने कहा कि 1925 में शाहजहांपुर से लखनऊ जाने वाली काकोरी ट्रेन को उस समय के कुछ चुने हुए क्रांतिकारी नेताओं ने लूट लिया था, जिसमें चंद्रशेखर आजाद भी शामिल थे। उस ट्रेन में ब्रिटिश खजाने से धन ले जाया जा रहा था,जिसे क्रांति के लिए हथियार खरीदने के पैसे एकत्रित करने के लिए लूट लिया गया था। आजाद पुलिस से बचने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा कि इन क्रांतिकारी नेताओं को दूसरों से बहुत समर्थन मिला, इसलिए नहीं कि वे युवा, गम.र्जोश वाले पुरुष थे, जो अपने मजे के लिए लोगों की हत्या करते थे, बल्कि इसलिए कि वे अच्छी तरह से शिक्षित, बौद्धिक और शिष्ट पुरुष थे जो कि अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक सुनियोजित मिशन पर थे।



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