खालिस्तानी आंदोलन कुचला तो फिर इंदिरा गांधी की तरह चुकानी होगी कीमत… अमृतपाल सिंह की धमकी

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खालिस्तानी आंदोलन कुचला तो फिर इंदिरा गांधी की तरह चुकानी होगी कीमत… अमृतपाल सिंह की धमकी

खालिस्तानी आंदोलन कुचला तो फिर इंदिरा गांधी की तरह चुकानी होगी कीमत… अमृतपाल सिंह की धमकी

अमृतसर: वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने समर्थकों के साथ मिलकर हिंसक प्रदर्शन किया। अमृतपाल ने एक साथी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी के विरोध में अजनाला पुलिस थाने में हंगामा किया। इस दौरान 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस बीच अमृतपाल ने गृह मंत्री अमित शाह को खुली धमकी दी है। अमृतपाल ने कहा कि उन्हें भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह परिणाम भुगतने होंगे।

अजनाला पुलिस थाने के घेराव के बाद अमृतपाल सिंह ने कहा, ‘अमित शाह ने कहा था कि खालिस्तान आंदोलन को नहीं बढ़ने देंगे। मैंने कहा था कि इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही किया था और अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको परिणाम भुगतने होंगे। अगर गृह मंत्री हिंदू राष्ट्र की मांग करने वालों से यही कहते हैं, तो मैं देखूंगा कि क्या वह पद पर बने रहते हैं या नहीं।’

‘अमित शाह पूरे सिख समुदाय को धमका रहे हैं’
हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ से बातचीत में अमृतपाल सिंह ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और यह तब तक शांतिपूर्वक रहेगा जब तक कि इसे दबाया नहीं जाएगा। वारिस पंजाब दे प्रमुख ने कहा, ‘अगर मैं कानून के खिलाफ कुछ कर रहा हूं तो बताइए। मैं अलग देश की मांग कर रहा हूं क्योंकि मेरे पास इसका अधिकार है। अगर भारत अभी भी लोकतांत्रिक देश है तो मुझे गृह मंत्री की ओर से धमकी क्यों मिल रही है।’

अमित शाह पर निशाना साधते हुए अमृतपाल ने कहा, ‘वह पूरे सिख समुदाय को धमका रहे हैं। एक तरफ कहते हैं कि वह सिखों के मित्र हैं और इंदिरा गांधी व कांग्रेस की तरह नहीं हैं लेकिन दूसरी ओर अगर वह यह बयान देते हैं कि खालिस्तानियों का शांतिपूर्ण आंदोलन कुचल देंगे तो वह वही कर रहे हैं जो इंदिरा ने किया था।’

‘हमारा नरसंहार चाहते हैं तो स्वागत है’
खालिस्तान की मांग पर अमृतपाल ने कहा, ‘यह मेरा अधिकार है। हम अरदास में हर दिन दो बार कहते हैं- राज करेगा खालसा। इसका मतलब है कि खालिस्तान। महाराजा रणजीत सिंह का राज, खालसा राज था और हमारे पूर्वज उन पर बहुत गर्व करते हैं। खालिस्तान 1934 में आया था। महाराजा पटियाला ने खालिस्तान की मांग की थी। जब हिंदुस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान टैबू नहीं है तो खालिस्तान टैबू क्यों है। आप किसी के संप्रभुता का विचार को दबा नहीं सकते। ऐसा तो मुगलों और अंग्रेजों ने किया था।’

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल ने कहा, ‘यह बंटवारा नहीं है, हम तो अधिकार मांग रहे हैं। अगर हम और आप एक साथ शांति से नहीं रह सकते, तो आपको लोगों की राय सुननी चाहिए।’ अमित शाह पर अमृतपाल ने कहा, ‘अगर वह हमारा नरसंहार कराना चाहते हैं जैसा इंदिरा ने किया था इसके लिए उनका स्वागत है लेकिन इसके बाद मेरे कंट्रोल में कुछ नहीं होगा।’

‘सिख देश के गुलाम हैं’
अमृतपाल सिंह ने कहा, ‘सिख देश के गुलाम हैं, हम आजाद नहीं है। ऐसे में आत्मनिर्णय और स्वयं की पहचान के मुद्दे और बड़े हो जाते हैं जो देश के दूसरे समुदाय के साथ नहीं है। हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और यह तब तक शांतिपूर्वक रहेगा जब तक कि इसे दबाया नहीं जाएगा। यह धमकी नहीं है यह फैक्ट है। दुनिया में कहीं भी जब किसी की आवाज दबाई जाती है तो फिर वे अपना हाथ इस्तेमाल करते हैं।’

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