एटीएम काम नहीं कर रहा, ना खाना, ना पैसे, कोटा के सरफराज बोले- भारतीय दूतावास ने बच्चों को ‘मजाक’ बना दिया

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एटीएम काम नहीं कर रहा, ना खाना, ना पैसे, कोटा के सरफराज बोले- भारतीय दूतावास ने बच्चों को ‘मजाक’ बना दिया

कोटा, अर्जुन अरविंद :यूक्रेन पर रूस का बर्बरता पूर्ण तरीके से लगातार हमला कर रहा हैं। एक भारतीय स्टूडेंट की गोलीबारी में मौत भी हुई है। लिहाजा इन घटनाओं को सुनकर अब पैरेंट्स की चिंता बढ़ने लगी है। कोटा में मौजूद सरफराज , जिनका बेटा यूक्रेन के सुमी में बमबारी के बीच युद्ध के हालात में फंसा हुआ है। ऐसे में पिता सरफराज और परिवार की चिंता भी लगातार बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि बेटे से बड़ी मुश्किल से चंद सेकंड भी बातचीत नहीं हो पा रही है।

पिता बोले- बेटे का एटीएम काम नहीं कर रहा, ना खाना है ना पैसा
पिता सरफराज का कहना है कि जिस जगह बेटा फैसल अब्दुलाह अंसारी फंसा हुआ है। वहां लगातार बमबारी हो रही है, ब्लैक आउट हो रहा है। बेटे का एटीएम भी काम नहीं कर रहा है, ना खाना है ना उनके पास पैसा है। एक भारतीय स्टूडेंट फूड पैकेट लेने बाहर निकला तो उसे रशियन आर्मी ने गोलीबारी में मौत के घाट उतार दिया। सरफराज ने कहा कि रशियन भारतीय स्टूडेंट के चेहरे को अच्छी तरह जानते हैं। उसके बावजूद भी उसे निशाना बनाया गया। कभी यूक्रेन सैनिक छात्रों को पीटने की घटनाएं सामने आती है अन्य देशों के बॉर्डर पर बच्चे पहुंचते हैं तो उन्हें रोका जाता है ऐसे में बेटे की सुरक्षा को लेकर पिता को लगातार चिंता सता रही है।

भारतीय दूतावास ने बच्चों का मजाक बना दिया
इधर पिता सरफराज ने भारत सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, उनका कहना है कि भारतीय दूतावास ने बच्चों को मजाक बनाकर रख दिया है। बच्चों से कहा जा रहा है सुमी से 1200 किलोमीटर वह चलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएं। जबकि पिता का कहना है कि रशियन बॉर्डर से सुमी की दूरी जहां बेटा फंसा हुआ है। वह 50 किलोमीटर के करीब है। भारतीय दूतावास कहता है कि रशिया से मित्रता है तो फिर बच्चों को क्यों नहीं निकाला जा रहा है।

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इराक ईरान एयरलिफ्ट कर रहे , भारत क्यों नहीं ?
पिता सरफराज ने कहा कि इराक ईरान ने कई हमले झेले हैं। लेकिन उसके बावजूद भी ऐसे देशों ने अपने बच्चों को वहां से एयरलिफ्ट करके ले गए। भारत इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जबकि बच्चों को एयरलिफ्ट किया जा सकता है। युद्ध के हालात हैं ,पल पल वहां पर खतरा बना हुआ है। रूस ने यूक्रेन के कई पुल- सड़कों को तबाह कर दिया है। ऐसे में जिस तरह की बात भारतीय दूतावास बच्चों से 1200 किलोमीटर चलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने की कह रहा हैं। वह एक तरफ से खतरे का रास्ता बच्चों को बताया जा रहा है।

पिता ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि भारतीय दूतावास दावे खूब कर रहा है कि कार्रवाई बच्चों को लाने की की जा रही है। लेकिन ग्राउंड पर सब कुछ जीरो है। बेटे से जब बातचीत हुई थी तब उसने बताया था कि 3 दिन का खाने पीने का सामान उनके पास है। लेकिन उसमें बड़ी किफायत के साथ खाने को काम में ले रहे हैं। पैसा उनके पास है नहीं। बेटे के साथ करीब 200 स्टूडेंट हैं।

युद्ध के हालात के बीच मौसम भी नहीं दे रहा साथ
सरफराज ने कहा कि युद्ध के हालात के बीच मौसम भी साथ नहीं दे रहा है। 5 डिग्री में बच्चे वहां पर मौजूद हैं , जिनके सिर छुपाने के लिए भी जगह नहीं है। पिता ने कहा कि भारतीय गवर्नमेंट की बड़ी लापरवाही की वजह से भारतीय स्टूडेंट यूक्रेन में युद्ध के हालात के बीच बसे हैं। यहां पर जो स्टूडेंट फंसे हुए हैं उनसे इंडियन डेलिकेट बात करने को मिल नहीं रहा है। स्टूडेंट रास्ता भी बता रहे हैं कि उन्हें एयरलिफ्ट किया जा सकता है। लेकिन भारत सरकार इस ओर कोई कदम नहीं उठा रही है। उन्हें पोलैंड बॉर्डर पर जाने के लिए कहा जा रहा है ,जहां पर भी भारतीय स्टूडेंट को टॉर्चर किया जा रहा है। तस्वीरें खुद दुनिया भर के सामने आई है।

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फैसल अब्दुल्लाह अंसारी के पिता सरफराज ने कहा कि भारत सरकार जो बच्चे यूक्रेन से बड़ी मुश्किल से पहुंच पा रहे हैं। उनको रिसीव करके अपनी पीठ थपथपा रही है। जबकि यह होना चाहिए कि लास्ट फ्लाइट भारतीय छात्रों को लेकर आए और फिर यह दावा करें कि यूक्रेन में कोई स्टूडेंट भारत का नहीं है। अब सब कुछ सुरक्षित हैं अपने घर लौट चुके हैं।

हिमांशी पौलेंड पहुंची, पैरेंट्स ने ली राहत की सांस
इधर कोटा की हिमांशी सैनी यूक्रेन में फंसी हुई थी, जो पोलैंड तक पहुंच गई है। ऐसे में उसके परिवार ने बड़ी राहत की सांस ली हैं। बेटी भारत के लिए निकली है। ऐसे में परिवार ने कहा है कि वह दिल्ली जाकर बेटी हिमांशी सैनी को घर लेकर आएंगे। लेकिन पिता ने बातचीत करते हुए कहा कि जब तक बेटी वहां बसी हुई थी। उन्हें रात को नींद तक नहीं आती थी। बेटी के यूक्रेन में फंसने की बात कहते हुए मां का गला भर आया था।

kota parents

यह कोटा जिला प्रशासन का कहना है कि राजस्थान सरकार यूक्रेन में बच्चों को लाने का प्रयास कर रही है। 61 बच्चे कोटा के यूक्रेन में थे। इनमें से 35 स्टूडेंट सुरक्षित घर लौट चुके हैं। तीन स्टूडेंट अपने घर आने के लिए रास्ते में हैं। 23 स्टूडेंट विभिन्न लोकेशन पर यूक्रेन में अभी है, जो सेफ जोन में है।

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