अस्पताल-अस्पताल लेकर घूमते रहे…नहीं मिला बेड, डेंगू से युवक ने तोड़ा दम

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अस्पताल-अस्पताल लेकर घूमते रहे…नहीं मिला बेड, डेंगू से युवक ने तोड़ा दम

हाइलाइट्स

  • 25 अक्टूबर को तड़के राम मनोहर लोहिया अस्पताल लेकर पहुंचा था परिवार
  • अस्पताल ने इंजेक्शन लगाकर बेड नहीं होने का हवाला देकर घर भेज दिया
  • परिवार वाले फिर प्राइवेट अस्पताल लेकर गए, वहां युवक ने तोड़ दिया दम

नई दिल्ली
‘रिग्रेट नो बेड अवेलेबल एट प्रेजेंट’ (मतलब : अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि यहां अभी बेड खाली नहीं है)… डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक मरीज पर्ची पर ये लिखकर दूसरे अस्पताल में जाने के लिए कह दिया गया। जिसके कुछ घंटे बाद डेंगू मरीज 26 साल का लड़का एक प्राइवेट अस्पताल में दम तोड़ देता है।

RML हॉस्पिटल ने इंजेक्शन देकर लौटाया
25 अक्टूबर को तड़के सुबह 3:40 पर हरि नगर के एमएस ब्लॉक निवासी कृष्ण कुमार अपने बेटे को लेकर डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचते हैं। वहां पर जाने के बाद मरीज को सुबह 4:10 मिनट पर कुछ इंजेक्शन दिए जाते हैं और फिर यह कह कर वापस भेज दिया जाता है कि यहां पर बेड नहीं है। जिसकी वजह से मरीज को भर्ती नहीं कर पाएंगे। इसके बाद द्वारका सेक्टर 3 में सुबह 5:30 बजे एक प्राइवेट अस्पताल में परिवार लेकर पहुंचता है। तब तक मरीज की हालत काफी गंभीर हो चुकी थी और उसी अस्पताल में सुबह 6:07 मिनट पर मरीज की मृत्यु हो जाती है।

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बेड नहीं होने का हवाला देकर एडमिट नहीं किया
जानकार बताते हैं कि सबसे पहले मृतक को 24 अक्टूबर को रात 9:48 मिनट पर दीन दयाल अस्पताल में लेकर गए थे। लेकिन, वहां के हालात बहुत खराब थे। एक बेड पर 3-3 मरीज थे। ऐसे में माता-पिता डर गए और डीडीयू से निकालकर जनकपुरी के माता चानन देवी अस्पताल लेकर गए। लेकिन, वहां पर भी बेड नहीं मिला। फिर, डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले गए। वहां पर कुछ दवाई दे कर भर्ती करने से इंकार कर दिया गया। जिसके बाद द्वारका ले गए। लेकिन, बेटे को बचा नहीं पाए।

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इलाज नहीं मिलने का लगाया आरोप
एमएस ब्लॉक के आरडब्ल्यूए महासचिव नरेंद्र वाधवा बताते है कि लड़के ने अभी मकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। हंसता-खेलता परिवार था जो बिखर गया। उन्होंने कहा कि जब लड़के को डीडीयू अस्पताल लेकर गए थे, तो उसके 11 हजार प्लेटलेट्स थे। अगर समय से उसे इलाज मिल जाता तो उसे बचाया जा सकता था। इलाज ना मिलने की वजह से 26 साल के नौजवान की जान चली गयी।

ब्लॉक में नहीं हुई फॉगिंग
वाधवा ने बताया कि हमारे ब्लॉक में एक बार भी फॉगिंग नहीं की गई है। जबकि, एमसीडी को पता है कि डेंगू जैसी बीमारी का सीजन है। इसके बाद लापरवाही की जा रही है। जिसकी वजह से डेंगू और फीवर के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। यही वजह है कि अस्पताल में मरीज को बेड नहीं मिल पा रहा है और उनकी मौत हो जा रही है।

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