अमिताभ बच्‍चन: एक ‘भारी, कर्कश आवाज’ जिसने हजारों लोगों की जिंदगी बदल दी!

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अमिताभ बच्‍चन: एक ‘भारी, कर्कश आवाज’ जिसने हजारों लोगों की जिंदगी बदल दी!

अमिताभ बच्‍चन: एक ‘भारी, कर्कश आवाज’ जिसने हजारों लोगों की जिंदगी बदल दी!

अमिताभ बच्‍चन। भारतीय सिनेमा के लिए यह सिर्फ एक नाम नहीं है। बिग बी को लेकर करोड़ों फैंस की अरबों यादें हैं। वह क्‍या नहीं हैं, द बेस्‍ट एक्‍टर, बेहतरीन होस्‍ट, सिंगर, बिजनसमैन, एक ऐसी शख्‍सियत जो 80 साल की उम्र में भी थक कर नहीं बैठता। अनुशासन ऐसा कि करियर के सर्वोच्‍च श‍िखर पर पहुंचने के बाद भी वह बिना अपने डायरेक्‍टर से पूछे 5 मिनट का ब्रेक नहीं लेता। जिस उम्र में लोग दवाओं और बिस्‍तर के सिरहने से आगे नहीं बढ़ते, अमिताभ जिम जाते हैं। 11 अक्‍टूबर 1942 को इलाहाबाद में पैदा हुए अमिताभ को सिर्फ सदी का महानायक कहना सही नहीं होगा। वह एक ऐसी व‍िशाल शख्‍स‍ियत के स्‍वामी हैं, जिनकी हर एक बात से प्रेरणा ली जा सकती है। बीते करीब 50 साल से अमिताभ बच्‍चन सिनेमा की दुनिया पर राज कर रहे हैं। लेकिन क्‍या आपने कभी गौर किया है कि वो एक ऐसी चीज क्‍या है, जो अमिताभ को द अमिताभ बच्‍चन बनाती है? हो सकता है कि कोई उनसे बेहतर एक्‍ट‍िंग कर ले, हो सकता है कोई उनसे ज्‍यादा मेहनत कर ले, लेकिन अमिताभ बच्‍चन के पास एक ऐसा गॉड गिफ्ट जो दुनिया में उन्‍हें सबसे अलग और सबसे दमदार बना देता है।

Amitabh Bachchan ने अपने करियर में जितना नाम एक्‍ट‍िंग से कमाया। जितनी शोहरत और दौलत उन्‍हें फिल्‍मों ने दी, सच तो ये है कि इस एक गॉड गिफ्ट के बिना वह उस मुकाम पर नहीं पहुंचते, जहां वो आज हैं। ईश्‍वर का यह एक वरदान है, उनकी आवाज। वही जिसे कभी कर्कश और भारी बताकर रिजेक्‍ट किया गया। आवाज जिसे कभी ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) ने खारिज कर दिया था। अमिताभ तब आकाशवाणी में न्‍यूज रीडर बनना चाहते थे, लेकिन आवाज की वजह से वह फेल हो गए। अच्‍छा ही हुआ, क्‍योंकि यह उनकी आवाज ही है, जो उनके पर्दे पर दिखने या नहीं दिखने के बावजूद उनकी मौजूदगी का एहसास करवा देती है। वो आवाज जो किसी टीवी या रेडियो के विज्ञापन में सुनाई देने से करोड़ों लोगों का भरोसा जीत लेती है। एक ऐसी आवाज जिसने सिर्फ अमिताभ बच्‍चन को ही बेशुमार शोहरत से नहीं नवाजा, बल्‍क‍ि इसकी अच्‍छी-बुरी नकल करने वाले हजारों लोगों को भी रोजगार दिया।

अमिताभ बच्‍चन

आवाज, जो जेहन में गूंजती हुई थ‍िएटर से घर तक साथ लौटती है
बिग बी की आवाज उनकी पर्सनैलिटी का सबसे अहम हिस्‍सा है। सैकड़ों की भीड़ में भी इस कारण वह सबसे अलग हो जाते हैं। अमिताभ बच्‍चन की इस आवाज ने उस मिथक को तो भी तोड़ दिया, जो यह कहता है कि भारी और गड़गड़ाहट वाली आवाज स्‍क्रीन के लिए अच्‍छी नहीं होती। यह आवाज का ही जादू है कि बच्चन की फिल्‍म खत्‍म हो जाने के बाद भी दर्शक जेहन में उनकी गूंजती आवाज लिए घर लौटते हैं। शायद अमिताभ बच्‍चन की जगह कोई और होता तो आकाशवाणी से रिजेक्‍ट होने के बाद अपनी आवाज को अपना सबसे बड़ा श्राप मान लेता। लेकिन बिग बी ने हमें यह मानने पर मजबूर कर दिया कि अगर मधुरता में मिठास है, तो भारी आवाज भरोसे का पर्याय बन सकती है। अमिताभ बच्‍चन की यह आवाज पहली बार फिल्‍ममेकर मृणाल सेन की ‘भुवन शोम’ (1969) में गूंजी थी। इसमें वह सूत्रधार (कथाकार) बने थे। वही जो फिल्‍म शुरू होने पर दिखने की बजाय अपनी आवाज में कहानी सुनाता है।

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अमिताभ बच्‍चन की आवाज का कॉपीराइट
समय के साथ आवाज के बूते कमाई करने वाली इंडस्‍ट्री भी खूब बदल गई है। यह जुदा आवाज का ही नतीजा है कि अमिताभ बच्‍चन को इसे कॉपीराइट करवाना पड़ा, ताकि कोई इसका बेजा इस्‍तेमाल न कर ले। यह तब हुआ जब एक तंबाकू निर्माता कंपनी ने कथित तौर पर अपने गुटखे के विज्ञापन में अमिताभ जैसी आवाज का इस्‍तेमाल किया। हालांकि, वक्‍त ने ऐसी भी करवट ली कि अमिताभ बच्‍चन ने अपनी जैसी आवाज निकालने वाले को प्रमोट करना भी शुरू किया। यही कारण है कि ‘हम’ फिल्‍म का ‘जुम्‍मा चुम्‍मा दे दे’ गाना हो या ‘मेजर साब’ का ‘सोणा सोणा’, लोगों को लगता है कि ये गाने अमिताभ बच्‍चन ने गाए हैं, जबकि ऐसा नहीं है। यह कारनामा सुदेश भोसले का है।

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अमिताभ बच्‍चन के साथ सुदेश भोसले

सुदेश भोसले, बच्‍चन की आवाज में गाते हैं गाने
सुदेश भोसले बताते हैं कि उन्‍होंने बिग बी की आवाज की नकल करते हुए गाना पसंद है। अमिताभ भी इसे इतना पसंद करते हैं कि खुद डायरेक्‍टर और मेकर्स को सुझाव देते हैं कि उनके कुछ गाने सुदेश भोसले से गवाए जाए। भोसले कहते हैं, ‘मैंने बच्चन साहब के सामने गाने रिकॉर्ड किए हैं। वह अपने कुछ गानों के लिए मेरी सिफारिश करते हैं और रिकॉर्डिंग की निगरानी करते हैं।’ वह आगे कहते हैं कि अमिताभ की आवाज निकालते वक्‍त उनकी बॉडी लैंग्‍वेज भी बदल जाती है। वह कमर पर हाथ रखते हैं और अपने कंधों को एक तरफ झुका लेते हैं। ठीक वैसे ही जैसे पर्दे पर अमिताभ बच्‍चन करते हैं।

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डबिंग और मिमिक्री आर्टिस्‍ट्स को मिला रोजगार
सच तो यही है कि अमिताभ बच्‍चन की आवाज ने हजारों आर्टिस्‍ट्स के सपनों को पंख दिए हैं। उन्‍हें रोजगार दिया है। अम‍िताभ बच्‍चन की आवाज में विज्ञापनों की की डबिंग करने वाले चेतन शशितल कहते हैं, ‘उनकी आवाज निकालने के लिए मैं डायाफ्राम से गहरी सांस लेता हूं। उनकी आवाज को सिर्फ एक मध्‍यम टोन वाली आवाज बताना गलत है। वह इसे कैसे नियंत्रित करते हैं, बीच में सांस लेते हैं, रुकते हैं और जिस तरीके से बोलते हैं, यह सब बहुत मायने रखता है।’

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अमिताभ बच्‍चन की फाइल फोटो

चेतन शश‍ितल, बिग बी न हों तो ये करते हैं डबिंग
चेतन शशितल आगे कहते हैं कि वो सिर्फ बच्चन के कहने पर जब कभी वह उपलब्‍ध नहीं हैं या उनका गला ठीक नहीं है, तभी माइक पर आवाज की नकल करते हैं। शशितल बताते हैं, ‘उनकी आवाज उनकी इंटेलेक्‍चुअल प्रॉपर्टी यानी बौद्धिक संपदा है। हमें उसे किसी शरारत या उसका दुरुपयोग करने से बचना होगा।’ सुदेश भोसले कहते हैं, ‘मैं भी कभी बच्‍चन साहब की आवाज में रिकॉर्ड करने से उनके दफ्तर में फोन कर यह पता करता हूं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यह ब्रांड ऐसा है जो बिग बी को अफोर्ड नहीं कर सकता और इसलिए मेरे पास आया है।’

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मलयालम और दूसरी भारतीय भाषाओं में भी भरोसेमंद आवाज
केरल के कुछ बेहतरीन मिमिक्री आर्टिस्‍ट्स अमिताभ बच्चन की आवाज और अंदाज की नकल करने के लिए जाने जाते हैं। ये सभी क्षेत्रीय भाषाओं में अमिताभ बच्‍चन की आवाज निकालते हैं। स्‍वर्गीय कलाभवन अबी ऐसे ही एक आर्टिस्‍ट थे जो टीवी या रेडियो विज्ञापनों के मलयालम वर्जन के लिए अमित जी की आवाज में डब करते थे। उनके अलावा एक अशरफ थालास्सेरी भी हैं, जो मलयालम फिल्म ‘गप्पी’ में अमिताभ बच्‍चन के डुप्लिकेट बने थे।

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अमिताभ बच्‍चन की फिल्‍म का एक सीन

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‘वह बोलते हैं और सीधे भावनाओं से जुड़ जाते हैं शब्‍द’
साउंड डिजाइनर बिश्वदीप चटर्जी कहते हैं, ‘उनके बोले गए हर शब्‍द में एक गूंज होती है जो गहरे मुखर स्वर में भावनाओं को जोड़ने की क्षमता रखती है। वह चाहे अपनी आवाज को कितना भी तेज या धीमा कर लें उनकी पर्सनैलिटी के साथ उसमें एक गजब की स्‍थ‍िरता रहती है। अमिताभ बच्‍चन के साथ कई फिल्मों में काम कर चुके बिश्‍वदीप चटर्जी कहते हैं, ‘वह अपने डायलॉग्‍स को लेकर, अपने वॉयसओवर को लेकर या अपनी सिंगिंग को लेकर बहुत ही जुनूनी हैं। उन्होंने अपने घर में एक हाई-टेक रिकॉर्डिंग स्टूडियो बनाया है। उनकी आवाज न तो कभी बहुत पतली होती है और न ही कभी बहुत सॉफ्ट।’