अफगानिस्तान: अटकी 500 टन की सहायता सप्लाई, डब्लूएचओ ने कहा, पहुंचने में देरी हुई ताे बड़ा संकट

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अफगानिस्तान: अटकी 500 टन की सहायता सप्लाई, डब्लूएचओ ने कहा, पहुंचने में देरी हुई ताे बड़ा संकट

सुरक्षा हालात को देखते हुए काबुल एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया है। साथ ही यहां पर कई अन्य तरह के भी पहरे हैं। लेकिन इसके चलते अफगान लोगों के लिए जाने वाली सैकड़ों टन सामग्री फंस गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। इस सामग्री में करीब 500 टन मेडिकल सप्लाई और बच्चों को दी जाने वाला खाद्य सामान है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान के बदतर हालात को देखते हुए यहां पर मदद की सख्त जरूरत है। तालिबान राज स्थापित होने के बाद से तमाम लोग यहां पर बिना खाए और बिना मेडिकल सुविधाओं के जीवन गुजारने पर विवश हैं। 

पीछे छूट गए लोगों का भी रखना होगा ध्यान
इस बीच सहायता एजेंसियों का कहना है कि अफगानिस्तान में करीब 3 लाख लोग बेघर हो चुके हैं। यह लोग हालात से जूझने को विवश हैं। वहीं देश की करीब आधी जनसंख्या के लिए बाहर से आने वाली मदद ही एकमात्र सहारा है। लेकिन काबुल स्थित हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बंद होने से कॉमर्शियल फ्लाइट्स के लिए यहां तक पहुंच पाना मुमकिन नहीं है। डब्लूएचओ के इमरजेंसी डायरेक्टर डॉक्टर रिचर्ड ब्रेनन ने रॉयटर समाचार एजेंसी को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जबकि दुनिया भर की निगाहें अफगानिस्तान से निकलने वालों पर लगी हैं। हमें उन लोगों की चिंता करनी चाहिए जो पीछे छूट गए हैं। 

शरणार्थियों की भी समस्या बड़ी
अफगानिस्तान से लोगों को बाहर निकालना ही चैलेंज नहीं है। इसके बाद इन लोगों को सही ठिकाना दिलाना और जो पीछे छूट गए हैं, उनकी भी देखभाल करना इससे भी बड़ी चुनौती है। दुनिया भर के संगठन इस मुहिम में जुटे हुए हैं। हालांकि इसमें बाधाएं भी कई तरह की आ रही हैं। फिलहाल अफगान शरणार्थियों को ठिकाना देने की मुहिम में यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज (यूएनएचसीआर) लगातार कोशिश कर रही है। यूएनएचसीआर ने कहा कि रजिस्ट्रेशन और डॉक्यूमेंटेशन के जरिए इनकी मदद की जा रही है। इसमें भी प्राथमिकता उन्हें दी जा रही है जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं।

एक फीसदी से भी कम हो सके पुर्नस्थापित
यूएनएचसीआर ने कहा कि अफगान शरणार्थियों में से एक फीसदी से कम लोगों को पुर्नस्थापित किया जा सका है। इसके पीछे बड़ी वजह जगह की कमी होना है। यूएनएचसीआर के मुताबिक यही वजह है कि पुर्नस्थापित करने की प्राथमिकता उन्हें दी जा रही है जो शारीरिक रूप से बेहद अक्षम हैं। वहीं यह भी कहा गया है कि ऐसे शरणार्थी जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मिली हुई है वह यूएनएचसीआर या इसके सहयोगियों से संपर्क कर सकते हैं। इसकी पूरी जानकारी यूएनएचसीआर की वेबसाइट पर दी गई है। 

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