अनशन के बाद सचिन पायलट का झुंझुनूं में शक्ति प्रदर्शन आज

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अनशन के बाद सचिन पायलट का झुंझुनूं में शक्ति प्रदर्शन आज

अनशन के बाद सचिन पायलट का झुंझुनूं में शक्ति प्रदर्शन आज

झुंझुनूं:राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार से संघर्ष जारी है। जयपुर में 5 दिन पहले सरकार के अपनी बात मनवाने अनशन पर बैठे। लेकिन न गहलोत ने इसे भाव दिया न आलाकमान ने सुध ली। लेकिन पायलट कांग्रेस पार्टी में अपनी गरीमा लौटाने की मांग पर अड़े हैं। इसी बीच सोमवार को झुंझुनूं में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंच रहे हैं। इसे सचिन पायलट के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। शहीद की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम में पायलट मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंच रहे हैं। वहीं सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा, सीएम सलाहकार और क्षेत्रीय विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह, परिवहन मंत्री बृजेंद्रसिंह ओला भी इसमें शामिल होंगे।

11 अप्रैल को जयपुर में किया अनशन, अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया

सचिन पायलट जी ने 11 अप्रैल रविवार को जयपुर में शहीद स्मारक पर अनशन किया। उनके अनशन का समर्थन करने के लिए प्रदेशभर से हजारों की समर्थक राजधानी पहुंचे। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के ख़िलाफ कार्रवाई की मांग उठाई। पायलट ने एक दिन का अनशन करते हुए अपनी ही पार्टी की सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया। पार्टी ने इस अनशन को अनुशासनहीनता करार दिया। इस मसले पर अब भी सियासत जारी है।

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4 दिन पहले वीरांगना को सरकार से मिला ‘दर्द’

मूर्ती अनावरण कार्यक्रम को लेकर झुंझुनूं टीबा गांव में बड़ी संख्या में भीड़ जुट रही है। लेकिन शहीद श्योराम गुर्जर की प्रतिमा के अनावरण से पहले एक बाद फिर सरकार से वीरांगना को निराशा हाथ लगी है। चार साल से अनुकंपा नौकरी के लिए चक्कर काटने वाली वीरांगना को 4 दिन पहले झुंझुनूं के सैनिक कार्यालय में जमा दस्तावेज लौटा दिए गए हैं। दलील दी गई है कि पहले रीट परीक्षा पास करें तब भी शिक्षक की नौकरी दी जाएगी। इस पर वीरांगना का कहना है कि जब रीट परीक्षा पास करके नौकरी मिलनी है तो फिर अनुकंपा की क्या जरूरत है। सरकार को अनुकंपा नौकरी नहीं देनी तो इस तरह से 4 साल तक झूठा दिलासा क्यों दिया गया।

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कौन हैं शहीद श्योराम गुर्जर? वीरांगना ने नौकरी पर क्या कहा

शहीद श्योराम गुर्जर 18 फरवरी 2019 को शहीद हुए थे। वो पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड कामरान गाजी और दो अन्य आतंकवादियों को ढेर करते हुए शहीद हो गए थे। शहादत के बाद उनके गांव में कई जनप्रतिनिधि और सरकार के अफसर पहुंचे थे। उन्होंने वीरांगना को अनुकंपा नौकरी देने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन अब तक नौकरी की आस लगाए बैठी वीरांगना अब सरकारी जवाब से निराश हुई हैं। उन्होंने कहा है कि ‘जब रीट पास कर लूंगी तो विधवा कोटे से ही नौकरी पा लूंगी। तब सरकार की अनुकंपा की क्या जरूरत है।’

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