ग्राम न्यायालयों का गठन ना करने पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

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ग्राम न्यायालयों का गठन ना करने पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख (gram nyaayaalayon ka gathan na karne par supreme court ka kada rukh)

अभी आम लोगों से जुड़ी बडी खबर आई है ,सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम न्यायालयों का गठन ना करने पर कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर एक-एक लाख रूपये का जुर्माना लगा दिया. l
सबसे पहले जानते हैं ये ग्राम न्यायालयों होता क्या है ?
आप सभी सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और जिला अदालतों के बारे में जानते होंगें, जहाँ तक आम लोग या गरीब लोग न्याय के लिए शायद नहीं जा पाते. उसका कारण जो भी हो, गरीबी या फिर कानून के बारे में जानकारी का अभाव. इसके लिए भारतीय विधि आयोग (Law Commission) की सिफारिश पर ग्राम न्‍यायालय अधिनियम, 2008 . जो 2.10.2009 से लागू किया गया. ग्राम न्‍यायालयों की स्थापना उस क्षेत्र के हाईकोर्ट की सलाह पर राज्य सरकार करती है. आपको यह भी बताना जरूरी समझते हैं कि ये सिर्फ नामात्र कि संस्था नहीं है. इसके लिए जो अदालती magistrate होगें वो प्रथम श्रेणी के अधिकारी होगें . जिसकी नियुक्ति हाईकोर्ट की सलाह पर राज्य सरकार करती है. ये ग्राम न्यायालय नागरिक और अपराधिक दोनों मामलें देखतें हैं
ग्राम न्यायालयों के कुछ फायदें देखते हैं-.

  1. 6 महीने के अंदर-अंदर केस के समाधान की कोशिस, जल्दी न्याय उपलब्ध होगा
  2. सब न्याय के दायरे में आएगें और घर पर ही गरीब लोगो को न्याय उपलब्ध होगा.
  3. सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और जिला अदालतों पर केसों का दबाव कम होगा.

अब जानते हैं अभी क्या मुद्दा है-
National Federation of Societies for Fast Justice नामक NGO की तरफ से एक PIL दायर की गई, इस PIL के अनुसार 12 वीं पंचवर्षीय योजना तक देश में 2500 ग्राम न्यायालयों कि जरूरत थी. अभी तक सिर्फ 208 ग्राम न्यायालय हैं. 11 राज्यों ने ही इसके लिए अधिसूचित किया है. इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हरियाणा, चण्दीगढ, असम, गुजरात, पंजाब , ओडिशा , तेलंगाना और पश्चिम बंगाल पर 1-1 लाख रूपए का जुर्माना लगाया है.

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ग्राम न्यायालयों की स्थापना एक बहुत ही अच्छा और जरूरी कदम है, राज्य सरकारें इस पर लापरवाही से काम कर रही हैं, इसको इतने हल्कें में नहीं लेना चाहिए. ग्राम न्यायालयों की स्थापना आम लोगो की जिंदगी में क्रातिकारी बदलाव लाएगी. उम्मीद करतें हैं सरकार इस पर ध्यान देगीं.