उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में आवारा कुत्तों के मारने पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से रिपोर्ट पेश करने को कहा है. इस याचिका में यह लिखा गया है कि कुत्तों के हमले या काटने की वेटनरी रिपोर्ट की अभी पुष्टि नहीं हुई है.
आपको बता दें कि यह याचिका कोर्ट में वकील गार्गी श्रीवास्तव ने दाखिल की है. इस याचिका में मांग की गई कि सीतापुर में पिछले 7 महिनों में 13 बच्चों की हत्या होने के बाद से कुत्तों को मारने की घटनाएँ दिन प्रति दिन बढ़ती जा रहीं है. गौरतलब है कि अभी तक यह पूरी तरीके से सुनिश्चित नहीं हुआ है कि बच्चों की मौत के पीछे इन आवारा कुत्तों का हाथ है. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलआर राव और जस्टिस एमएम शांतानागूदर इस मामले पर सुनवाई कर रहें है.
बच्चों पर जंगली जानवर के हमले के निशान मिले
पहली सुनवाई में वकील गार्गी श्रीवास्तव ने कहा था कि सीतापुर में अभी तक जितने बच्चों की हत्या हुई है उनके जांच से यह पता चला कि ये हमले बच्चों पर किसी जंगली जानवर द्वारा किये गए है. इस दौरान इन कुत्तों के मारे जाने पर रोक लगाई जाये. उन्होंने आगे यह भी बताया कि इस महीने कुत्तों को मारे जाने की समस्या तेजी से बढ़ी है. इस सबका सीतापुर के जिलाधिकार का मीडिया में कुत्तों द्वारा बच्चों की मौत से संबंधित बयान देने के बाद हुआ, जबकि यह रिपोर्ट अस्पष्ट थी. मीडिया में आई इस रिपोर्ट्स से सीतापुर में आवारा कुत्तो को कई प्रकार से मारा जाने लगा है. अभी तक गांव में करीब 150 आवारा कुत्तों को मारा गया है.
याचिका में आवारा कुत्तों को न मारने की अपील की गई
इस याचिका में 2015 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का निर्देश है कि आवारा कुत्तों को न मारा जाए. याचिका के अनुसार, एनिमल वेलफेयर समूहों ने सीतापुर में बच्चों के साथ हुई इस घटना को ध्यान में रखकर एक कमेटी गठित की है. उन्होंने ने सीतापुर का दौरा किया था. जिससे यह पता चला कि वह की स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने ही जनता को इन कुत्तों को मारने की अनुमति प्रदान की है.