सुप्रीम कोर्ट ने ‘महिलाओं के लिए रेप की सज़ा’ की याचिका को खारिज किया

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भारत देश में बलात्कार एक बहुत ही आम बात है. यहाँ पर हर मिनट सैकड़ों लड़कियों का रपे होता है और प्रशासन कोई भी ठोस क़दम उठाने में नाकाम है. लेकिन इस बीच महिलाओं से जुड़े बालात्कार के एक मामले ने ध्यान आकर्षित किया है. दरअसल ऋषि मल्होत्रा नाम के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के दंडित करने के लिए एक याचिका डाली थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

महिलाओं को भी बराबरी की सज़ा

इस याचिका में मांग की गई थी कि महिलाओं को भी पुरुषों की तरह रेप और यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में दंडित किया जाए क्योंकि पुरूष भी रेप के पीड़ित हो सकते हैं. इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सुनवाई करते हुए कहा कि ये संसद का काम है और वही इस पर फैसला ले सकती है. ऐसे कानून महिलाओं के सरंक्षण के लिए बनाए गए हैं.

ऋषि मल्होत्रा ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार कानून पर फिर से विचार करने की सहमित जताई है.

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केवल पुरुष ही अपराधी नहीं

जानकारी के मुताबिक इस याचिका में कहा गया है कि अगर कोई पुरुष किसी महिला के खिलाफ रेप या यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराता है तो महिला के खिलाफ कोई करवाई नहीं होती क्योंकि 158 साल पुराने आईपीसी के मुताबिक केवल पुरुष ही ऐसे अपराध करते हैं.

ये देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले के बाद वकील ऋषि मल्होत्रा का अगला क़दम क्या होगा और कौन-कौन उनके समर्थन में आएगा. लेकिन इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि कई मामलों में मर्द भी पीड़ित होते हैं और कानूनी पेचीदगियों की वजह से इंसाफ हासिल नही कर पाते.